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नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अनंत कुमार ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में किसी लोकसेवक पर भ्रष्टाचार के मामलों में मुकदमा चलाने के लिए किसी भी आम नागरिक के अनुमति मांगने के अधिकार को स्वीकार किया है। इसने इस प्रकार के मामले पर फैसला लेने हेतु सरकार के लिए 4 महीने की समयसीमा भी तय की है।
शीर्ष न्यायालय ने 2जी घोटाले में भ्रष्ट मंत्रियों पर मुकदमा चलाये जाने की अनुमति दिये जाने के डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी के तर्क को स्वीकार किया है। उसने स्वामी के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे गये आवेदन पर कोई कार्यवाही न करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को दोषी ठहराया है और कहा है कि यदि प्रधानमंत्री को सही ढंग से सलाह दी जाती, तो वे एक वर्ष तक मामले को लटके रहने न दिया होता।
इस संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से प्रश्न पूछे हैं कि क्या प्रधानमंत्री के बिना प्रधानमंत्री कार्यालय हो सकता है ?, क्या प्रधानमंत्री ने जानबूझकर अपने प्रधानमंत्री कार्यालय को डॉ स्वामी के आवेदन की एक वर्ष से अधिक की अवधि तक अनदेखी करने के लिए उन्हें गुमराह करने के लिए कहा था ? क्या प्रधानमंत्री ने अपने स्वयं के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा गुमराह होना उचित समझा क्योंकि 2जी घोटाले में न केवल तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदम्बरम, बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री भी लिप्त हैं। कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार ने उस समय तक प्रतीक्षा क्यों की जब तक उच्चतम न्यायालय ने उसे भ्रष्ट मंत्रियों और अन्य लोकसेवकों पर मुकद्दमा चलाये जाने की अनुमति मांगने के आम आदमी के अधिकार के बारे में याद दिलाई ?