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उत्तर प्रदेश का धन हाथी बनाने में खर्च-आडवाणी

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लालकृष्ण आडवाणी/lalkrishna adwani

कानपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने रविवार को कानपुर के सेंट्रल पार्क शास्त्रीनगर में कांग्रेस-सपा-बसपा को देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था, आसमान छूती महंगाई, सरकारी धन की लूट, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार बताया। उन्होंने इन दलों की रीति-नीति और नियत तीनों की जमकर खिंचाई की। आडवाणी ने कहा कि जात-पांत तथा लुभावने नारों में जनता को भ्रमित कर उनका शोषण करने वाले इन दलों का असली चेहरा उत्तर प्रदेश के लोगों के सामने है।
लालकृष्ण आडवाणी ने अपने पुराने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि कानपुर में 1952 में जनसंघ के अधिवेशन में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि एक देश में दो विधान, दो निशान नहीं चलेगा और देश की खातिर डॉ मुखर्जी ने अपने प्राणों की आहूति दे डाली, लेकिन आज राजनैतिक दलों का मकसद केवल सत्ता हासिल करना रह गया है, सत्ता को धन उगाही का माध्यम मान लिया गया है, जात पांत वर्ग और संप्रदाय की राजनीति कर समाज को बांटने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से कहा कि आपकी जागरूकता से ही कुशासन की समाप्ति संभव है।
आडवाणी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बने तो जनता को उनसे बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व की सरकार ने देश को भ्रष्टाचार, आतंकवाद और अराजकता में झोंक दिया, ऐसे में जनता को अटलजी का शासन याद आता है। आडवाणी ने कहा कि उत्तर प्रदेश का धन हाथी बनाने में खर्च किया जा रहा है, इन सभी सवालों को जवाब भाजपा की सरकार दे सकती है, आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत में लाना होगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दो उपहार महंगाई और भ्रष्टाचार, और मायावती के तीन उपहार हत्या, लूट, अत्याचार। आडवाणी ने कहा कि अभी हाल में प्रदेश की मैंने 40 दिन की रथयात्रा की, उससे यह जानकारी मिली कि प्रदेश की स्थिति बहुत दयनीय है। आडवाणी ने प्रदेश वासियों से भाजपा के प्रत्याशियों को भारी मतों से जिताने की अपील की। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि हम प्रदेश में परिवर्तन चाहते हैं। उत्तर प्रदेश को सर्वोत्तम प्रदेश बनाना चाहते हैं और अटलजी के सपनो को साकार करना चाहते हैं, आडवाणी जी ने उत्तर प्रदेश में चुनावी दौरे लगाकर जनता को नया संदेश देने का प्रयास किया है, उनका राजनैतिक जीवन अपने आप में एक उदाहरण है।

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