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उत्तराखंड की तीन नदियों में खनन की अनुमति

जिलाधिकारी ने स्‍थलीय निरीक्षण कर दिए दिशा-निर्देश

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जिलाधिकारी दिलीप जावलकर/district magistrate dilip javlkar

देहरादून। जिलाधिकारी दिलीप जावलकर ने बृहस्पतिवार को थानौ-भोगपुर, जाखन नदी के फेज-1 व फेज-2 तथा सौंग नदी के खनिज क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर अधिकारियों को एक सप्ताह के अंतर्गत कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड वन विकास निगम को जनपद देहरादून के वन क्षेत्र के अंतर्गत बहने वाली सौंग नदी-3 के 270 हेक्टेयर मध्य 135 हेक्टेयर, जाखन नदी-1 कुल क्षेत्र 195 हेक्टेयर मध्य 97.5 हेक्टेयर तथा जाखन नदी-2 कुल क्षेत्रफल 100 हेक्टेयर मध्य 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 5 वर्ष की अवधि हेतु उपखनिज रेता, बजरी, बोल्डर का चुगान किये जाने की अनुमति दी गई है।
उन्होंने दिशा-निर्देश दिये कि इसके अंतर्गत वन भूमि की वैधानिक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए। उत्तराखंड वन विकास निगम इन नदियों से उपखनिजों से चुगान से पूर्व भारत सरकार पर्यावरण वन मंत्रालय के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करे। इसके साथ भारत सरकार के वन संरक्षण अधिनियम 1980 तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का भी पालन सुनिश्चित किया जाए। चुगान कार्य के दौरान यह ध्यान रखा जाए कि वन संपदा को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचे, यदि वन संपदा को कोई क्षति पहुंचती है या पहुंचायी जाती है, तो उसके लिये संबंधित वनाधिकारी, निर्धारित प्रतिकर का उत्तराखंड वन विकास निगम भुगतान करेगा। निगम के पास वन भूमि तब तक रहेगी जब तक उसको भूमि की आश्यकता होगा, जब इस भूमि का प्रयोजन न हो तो भूमि को वन विभाग को बिना किसी प्रतिकर का भुगतान किये यथा स्थिति वापस करनी होगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि राजस्व विभाग, वन विभाग एवं खनन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अथवा उनके प्रतिनिधि किसी भी समय उपखनिज क्षेत्र में खनन गतिविधियों का निरीक्षण कर सकते हैं। खनन के लिये जारी वन क्षेत्र में कार्य करने वाले मजदूर तथा कर्मचारी अपनी ईधन की आवश्यकता के लिये वनों को हानि न पहुंचाएं इसके लिये वन विकास निगम उन्हें ईंधन की लकड़ी अथवा ईंधन सामग्री मुहैया करायेगा। भू-क्षरण रोकने व प्रश्नगत नदियों के तटबंधों के सुदृढ़ीकरण के लिए आवश्यक धनराशि वन विभाग को उपलब्ध कराई जायेगी, खनन क्षेत्र में काम करने वाला कोई भी श्रमिक वन क्षेत्र में रहने के लिए झोंपड़ी इत्यादि भी नहीं बनायेगा, खनन क्षेत्र में उपखनिजों के चुगान हेतु कोई विस्फोटक पदार्थ का उपयोग भी नहीं किया जायेगा, खनन का कार्य सूर्योदय से पूर्व तथा सूर्यास्त के पश्चात नहीं किया जायेगा, वर्षा ऋतु के दौरान माह जुलाई से सितंबर के बीच खनन का कार्य नहीं किया जायेगा, खनन कार्य शुरू करने से पूर्व प्रवेश व निकासी मार्गों पर पर्याप्त संख्या में अस्थायी चैकपोस्ट स्थापित किये जाएंगे।
जिलाधिकारी ने कहा कि पट्टेदार को लॉट संख्या जाखन-1 के वार्षिक पट्टे की धनराशि (डैडरेंट) रुपए 9633000 प्रथम वर्ष हेतु होगी, जिसके अनुवर्ती वर्षों में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती रहेगी तथा लॉट संख्या जाखन-2 के वार्षिक पट्टे की धनराशि (डैडरेंट) 4940000 कुल प्रथम वर्ष हेतु होगी जिसके अनुवर्ती वर्षों में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती रहेगी एवं लॉट संख्या सौंग-3 के वार्षिक पट्टे की धनराशि (डैडरेंट) 13338000 कुल प्रथम वर्ष के लिए होगी, जिसके अनुवर्ती वर्षों में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती रहेगी। लॉट में प्रत्येक आवागमन के रास्ते पर कंप्यूटराईज्ड धर्मकांटा स्थापित होना आवश्यक होगा, प्रत्येक आवागमन के रास्ते पर वीडियो रिकार्डिंग, सीसी टीवी कैमरों की व्यवस्था किया जाना आवश्यक होगा, इसके साथ ही गेट को छोड़कर अन्य वह रास्ते जहां चोरी की संभावना हो सकती है वहां पर टैंच खोदे जायेंगे।
उपखनिज की निकासी ज्येष्ठ खान अधिकारी, खान अधिकारी, खान निरीक्षक द्वारा जारी रवन्ना प्रपत्र एमएम-11 से होगी तथा ज्येष्ठ खान अधिकारी, खान अधिकारी, खान निरीक्षक प्रपत्र एमएम-11 के प्रत्येक पृष्ठ पर हस्ताक्षर करेंगे। पट्टाकृत क्षेत्र में स्थित सार्वजनिक निर्माणों, संपत्तियों, पुल, नहर, सड़क तथा बाढ़ सुरक्षा कार्य आदि के दोनों ओर 200 मीटर की दूरी तक चुगान कार्य पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। जिलाधिकारी ने ज्येष्ठ खान अधिकारी एवं प्रभागीय वन विकास प्रबंधक को निर्देश दिये हैं कि यमुना नदी में भी खनन का कार्य शुरू किया जाए तथा इसके लिये प्रस्ताव तैयार कर उन्हें प्रेषित करना सुनिश्चित करें। निरीक्षण के दौरान ज्येष्ठ खान अधिकारी एसएल पैट्रिक एवं प्रभागीय वन विकास प्रबंधक पीसी उपाध्याय एवं उत्तराखंड वन विकास निगम, वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे।

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