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नई दिल्ली। भारत के सावरन ऋण की रेटिंग आमतौर पर छह बड़ी सावरन क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां करती हैं। इनके नाम हैं-मूडीज़ इंवेस्टर सर्विसेज़, स्टैंडर्ड एंड पूवर्स, डोमिनियन बॉण्ड रेटिंग सर्विस, फिच रेटिंग्स, जेपनीज़ क्रेडिट रेटिंग एजेंसी और रेटिंग इंवेस्टमेंट और रेटिंग एंड इंवेस्टमेंट इंफोरमेशन। इन एजेंसियों से किया गया कोर्ट निर्धारण प्राय: अलग-अलग होता है। पिछले दो वर्षों में भारत की क्रेडिट रेटिंग या तो ज्यों की त्यों परिपुष्ट कर दी गई या फिर इन एजेंसियों ने इसका उन्नयन कर दिया। भारत को ये रेटिंग तब मिली, जब अनेक देशों को जिनकी अर्थव्यवस्था काफी मजबूत मानी जाती है, इसी अवधि में कम करके आंका गया।
जून 2011 में डोमेनियन बॉण्ड रेटिंग सर्विस ने भारत की रेटिंग उच्चीकृत कर दी और सरकार के राजकोषीय समेकन प्रयासों की सराहना की, लेकिन जुलाई, 2011 की अपनी रिपोर्ट में फिच ने इससे पहले वाले साल जारी क्रेडिट रेटिंग की पुष्टि की और भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रबंधन की प्रशंसा की। दिसम्बर, 2011 में मूडी ने भारत की सावरन ऋण के चार वर्गों की संभावनाएं बेहतर बताईं, वहीं, स्टैंडर्ड एंड पूवर्स ने 25 जुलाई 2012 को जारी भारत की सावरन क्रेडिट रेटिंग को बीबीबी (माइनस) रेटिंग दीर्घ अवधि के लिए और ए-3 रेटिंग अल्पाधिक के लिए दीं लेकिन, सभी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने भारत के राजकोषीय घाटे और ऋण की सराहना नहीं की।
केंद्रीय वित्त राजमंत्री नमोनारायण मीणा ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि अप्रैल 2012 की अपनी रिपोर्ट में स्टैंडर्ड एंड पूवर्स ने भारत की दीर्घ अवधि संभावनाओं को निगेटिव बताया। सरकार इन क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की चिंताओं से परेशान नहीं हुई है और इस संबंध में जरूरी कदम उठा रही है। स्टैंडर्ड एंड पूवर्स की 25 अप्रैल 2012 की रिपोर्ट को सरकार ने नोट किया है और वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार तथा राजकोषीय घाटे को कम करने के अनेक उपाय किए जा रहे हैं।