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Thursday 13 June 2019 02:06:21 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आधार को लोगों के लिए अधिक अनुकूल बनाने के उद्देश्य से नए आधार तथा अन्य कानून (संशोधन) विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी है। प्रस्तावित संशोधन राष्ट्रपति द्वारा 2 मार्च 2019 को घोषित अध्यादेश के प्रावधानों के अनुरूप है। इस विधेयक को संसद के इसी सत्र में पेश किया जाएगा। इससे आधार, लोगों के लिए अधिक सुविधाजनक और उपयोगी सिद्ध होगा। दावा है कि इस निर्णय से यूआईडीएआई लोगों के हितों के अनुरूप एक मजबूत प्रणाली बनाने में सक्षम होगा और इससे आधार के दुरूपयोग को कम करने में सहायता मिलेगी। इस संशोधन के बाद यदि संसद द्वारा पारित किसी कानून की बाध्यता न हो तो किसी व्यक्ति को अपनी पहचान साबित करने हेतु आधार नम्बर प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। यह संशोधन बैंक खाते खुलवाने में लोगों की सुविधा के लिए प्रस्तावित संशोधन आधार के उपयोग को मान्यता देता है, परंतु बैंक को आधार नम्बर देना स्वैच्छिक होगा।
प्रस्तावित संशोधन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-देश का कोई भी नागरिक स्वेच्छा से प्रमाणन या सत्यापन के लिए भौतिक रूपमें अथवा इलेक्ट्रानिक रूपमें आधार नम्बर का उपयोग कर सकता है। बारह अंकों वाले आधार नम्बर के उपयोग की सुविधा अथवा इसके वैकल्पिक वर्चुअल पहचान के उपयोग की सुविधा है, ताकि व्यक्ति के वास्तविक आधार नम्बर को गुप्त रखा जा सके। जिन बच्चों के पास आधार नम्बर है, उन्हें यह विकल्प दिया गया है कि वे 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले अपने आधार नम्बर को गुप्त रख सकते हैं। संस्थानों को सत्यापन करने की अनुमति है यदि वे प्राधिकरण द्वारा निर्दिष्ट निजता और सुरक्षा के मानकों का अनुपालक करते हैं या संसद द्वारा पारित किसी कानून के तहत सत्यापन की अनुमति है या केंद्र सरकार यह प्रस्ताव देती है कि सत्यापन राज्य हित में है। सत्यापन के लिए स्वैच्छिक रूपसे आधार नम्बर देने की अनुमति होगी। टेलीग्राफ अधिनियम-1885 तथा धन शोधन निवारण अधिनियम-2002 के तहत बैंक इसे केवाईसी दस्तावेज के रूप में स्वीकार कर सकता है।
आधार संशोधन कानून में निजी संस्थानों द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा 57 को हटाने का प्रस्ताव है। यदि आधार नम्बर का सत्यापन नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति में भी किसी व्यक्ति को सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण कोष स्थापित करने का प्रस्ताव है। आधार अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के संदर्भ में दीवानी जुर्माने का भी प्रावधान है। ज्ञातव्य है कि 28 फरवरी 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आधार व अन्य कानून (संशोधन) अध्यादेश-2019 पर विचार किया था और राष्ट्रपति ने 2 मार्च 2019 को इस अध्यादेश की घोषणा की थी। आधार व अन्य कानून (संशोधन) अध्यादेश-2019 के द्वारा उच्चतम न्यायालय के आदेशों तथा न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण (सेवानिवृत्त) समिति की अनुशंसाओं के अनुरूप आधार अधिनियम को सशक्त बनाया जा रहा है।