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Tuesday 25 March 2025 12:23:55 PM
नई दिल्ली। पीएमओ कार्यालय सहित केंद्र सरकार के कई और विभागों में राज्यमंत्री एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ जितेंद्र सिंह ने विश्व टीबी दिवस पर विज्ञान भवन नई दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन में कहाकि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के 10000 आइसोलेट्स की जीनोम अनुक्रमण उपलब्धि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2030 के लक्ष्य से पहले टीबी उन्मूलन केलिए भारत की प्रतिबद्धता में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है। चिकित्सा शिक्षाविदों, स्वास्थ्य वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने डब्ल्यूएचओ के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले तपेदिक को खत्म करने के भारत सरकार के महत्वाकांक्षी प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसके लिए सहयोगात्मक अनुसंधान के महत्व और संपूर्ण विज्ञान, संपूर्ण सरकार और संपूर्ण मिशन दृष्टिकोण पर जोर दिया।
जीनोम अनुक्रमण पहल 24 मार्च 2022 को शुरू किए गए डेयर2एराडी टीबी कार्यक्रम-टीबी उन्मूलन केलिए डेटा संचालित अनुसंधान का हिस्सा है। इसका एक प्रमुख घटक भारतीय तपेदिक जीनोमिक निगरानी संघ है, जिसका नेतृत्व जैव प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद प्रमुख नैदानिक संस्थानों के सहयोग से करता है। कार्यक्रम का उद्देश्य दवा प्रतिरोध उत्परिवर्तनों की पहचान करने और उपचार परिणामों में सुधार करने केलिए 32000 से अधिक टीबी आइसोलेट्स को अनुक्रमित करना है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि विकसित गहन जीनोमिक डेटासेट में टीबी निदान और दवा प्रतिरोध की भविष्यवाणी में क्रांतिकारी बदलाव की क्षमता है। उन्होंने कहाकि जीनोम अनुक्रमण निदान सटीकता में उल्लेखनीय सुधार कर सकता है और तेजीसे प्रतिरोध प्रोफाइलिंग को सक्षम कर सकता है, जिससे प्रभावी उपचार में लगने वाला समय हफ्तों से घटकर मात्र कुछ घंटे या दिन रह जाता है। उन्होंने कहाकि इससे रोगी की जरूरतों के अनुसार उपचार के तरीके तैयार करने में मदद मिलेगी और उपचार विफलता या बीमारी के फिरसे शुरू होने का जोखिम कम होगा।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने अपनी चिकित्सा पृष्ठभूमि से प्रेरणा लेते हुए भारत में टीबी के उपचार की ऐतिहासिक चुनौतियों पर विचार किया, जिनमें बीमारी से जुड़े कलंक से लेकर चिकित्सा प्रगति के विकास तक शामिल हैं। उन्होंने जनसमुदाय की अधिक भागीदारी का आह्वान किया और कहाकि टीबी उन्मूलन केवल एक वैज्ञानिक या चिकित्सा चुनौती नहीं है, बल्कि एक सामाजिक चुनौती है। उन्होंने कहाकि जबतक हम जनसमुदाय को शामिल नहीं करते, उनकी चेतना नहीं बढ़ाते और उनकी भागीदारी नहीं जगाते, टीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई अधूरी रहेगी। तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी वैज्ञानिक प्रगति और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए राज्यमंत्री ने कहाकि फेनोटाइपिक दवा-संवेदनशीलता परीक्षण और एम ट्यूबरकुलोसिस कल्चर को आमतौर पर निदान केलिए स्वर्ण मानक माना जाता है, जीनोम अनुक्रमण प्रौद्योगिकियों का उपयोग स्ट्रेन की पहचान और दवा प्रतिरोध की भविष्यवाणी केलिए तेजीसे किया जा रहा है, जो नैदानिक निर्णय लेने और निगरानी गतिविधियों केलिए मूल्यवान जानकारी प्रदान करता है।
राज्यमंत्री ने कहाकि अत्याधुनिक अनुसंधान में सरकार का निरंतर निवेश, नीतिगत हस्तक्षेप और सामुदायिक भागीदारी केसाथ मिलकर 2025 के लक्ष्य से काफी पहले टीबी मुक्त भारत का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उन्होंने कहाकि टीबी से लड़ने केलिए इन नवाचारों को लागू करना जरूरी है। डीबीटी सचिव डॉ राजेश गोखले ने 10,000 जीनोम अनुक्रमों के पूरा होने को मील का पत्थर बताया और कहाकि यह डेटा भारत की टीबी निगरानी और निदान क्षमताओं को मजबूत करने में सहायक होगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने अधिक मजबूत उपकरणों के परिवर्तनकारी नवाचारों का समर्थन करने केलिए सक्रिय और दूरदर्शी पहल की सराहना की, जो भारत को पहले से कहीं अधिक टीबी से निपटने केलिए तैयार कर सकते हैं। गौरतलब हैकि भारत में वैश्विक टीबी के मामलों में जीनोम अनुक्रमण की सफलता से इस बीमारी से निपटने केलिए राष्ट्रीय और वैश्विक प्रयासों को बल मिलने की उम्मीद है। कार्यक्रम में सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ एन कलईसेलवी, आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ राजीव बहल, एम्स के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।