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Saturday 15 June 2019 03:46:11 PM
शिमला। शिमला रोटरी टाउन हॉल में वाणी प्रकाशन दिल्ली, कैम्ब्रिज स्कॉलर्स पब्लिशिंग लंदन, ओकार्ड इंडिया और हिमाचल अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में जानेमाने लेखक एसआर हरनोट की दो कहानी पुस्तकों-वाणी से प्रकाशित 'कीलें' और कैम्ब्रिज स्कालर्स पब्लिशिंग लंदन से अंग्रेजी अनुवाद की पुस्तक 'केटस टॉक' का लोकार्पण आलोचक प्रोफेसर गौतम सान्याल ने किया। लोकार्पण कार्यक्रम में विभिन्न विद्वानों ने गहन विचार-विमर्श करते हुए हरनोट की समकालीन समय-समाज के संदर्भ में उनकी मुक्कमल समझ और दायित्वशीलता की सराहना की और उनके सृजन के विभिन्न दायरों और दिशाओं की चर्चा की। प्रोफेसर गौतम सान्याल ने कहा कि सात कहानियों का यह संग्रह कीलें वर्तमान पहाड़ी जीवन की भूमंडलीकृत हौलनाकी का अभिनव भाष्य परोसता है और ये कीलें किन्हीं कथा स्थितियों या प्रोटेगॉनिस्टों में बलपूर्वक ठोक नहीं दी गई हैं, बल्कि इनका पैनापन पहाड़ चेतना की अथाह वेदना से उपजा है।
प्रोफेसर गौतम सान्याल ने कहा कि हरनोट समकालीन जीवन के पॉपुलर नैरेटिव्स के समांतराल अपने नैरेटिव्स गढ़ने में माहिर हैं। प्रोफेसर गौतम सान्याल ने इसी संकलन की एक बहुचर्चित कहानी 'भागा देवी का चाय घर' पर चर्चा करते हुए कहा कि इकोफेमिनिज्म के आलोक में भारतीय व उसकी स्त्रीमयता एवं उसके पर्वत-पार्वती स्वरूप को आंकते हुए कदाचित यह हिंदी की पहली कहानी है और ये कहानियां पाठक मन में देरतक और दूरतक गहरे चुभते हुए सिर्फ सीत्कारें ही पैदा नहीं करतीं, बल्कि ये पाठक मन में गहरे घुलकर समय-समाज-राष्ट्र के बारे में व्याकुल चिंताएं भी उगाहती हैं। प्रोफेसर गौतम सान्याल ने कहा कि आलोचक होने के नाते कहना है कि मैं उन कहानियों को सदैव आगे बढ़कर गले लगाता हूं, जो मेरी आंखों में झांककर कहती हैं कि तुम्हारी बुद्धि से कहा कि हरदिन वह कुछ सीखे और तुम्हारे ज्ञान से कहा कि वह हरदिन कुछ न कुछ छोड़े देखिए कि इस श्वेतपत्र पर मेरा हस्ताक्षर स्पष्ट है।
अंग्रेजी पुस्तक का संपादन और छह कहानियों के अनुवाद डॉ खेमराज शर्मा और प्रोफेसर मीनाक्षी एफ पॉल ने किए, जबकि अन्य कहानियों के अनुवाद प्रसिद्ध अनुवाद डॉ आरके शुक्ल, डॉ मंजरी तिवारी, प्रोफेसर इरा राजा और डॉ रविनंदन सिन्हा ने किए। प्रोफेसर मीनाक्षी पॉल ने अंग्रेजी संग्रह केट्स टॉक की अनुवाद प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए इसकी मूल्यवत्ता पर भी विस्तार से बात की। डॉ खेमराज शर्मा ने कहानियों की कथावस्तु में जाति, शोषण, पर्यावरण और बदलते युग में रिश्तों के विघटन को रेखांखित किया। वरिष्ठ आलोचक डॉ विद्यानिधि ने संग्रह पर चर्चा करते हुए कहा कि हिमाचल की ग्रामीण धरती की उपज एसआर हरनोट ऐसे कथाकार हैं, जिनका सृजन आज देश में ही नहीं, विश्व में भी पढ़ा, समझा और सराहा जा रहा है, देशी-विदेशी कई भाषाओं में इनकी कहानियों के अनुवाद हो रहे हैं, अनेक विश्वविद्यालयों में इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है और कई विद्यार्थी इनपर शोध कर रहे हैं तो कई रंगकर्मी इन्हें मंच पर खेल रहे हैं।
आलोचक डॉ विद्यानिधि ने कहा कि इन कहानियों में हिमाचल की मिट्टी से निकलकर विश्व साहित्य की धरोहर हैं, हरनोट की कहानियों की खासियत है कि ये आमजन की दुर्बलताओं पर आंसू नहीं बहाती, उसके अंधविश्वासों को जायज़ नहीं ठहराती, उसके पिछड़ेपन पर गर्वोक्ति नहीं करती, बल्कि इस ग्रामीण जन को एस ऐसे साहसी, सशक्त, विचारवान और आशावान रूपमें प्रतिष्ठित करती है, जो सिर्फ गांव, शहर और देश की राजनीति को ही नहीं समझता, इस राजनीति को निर्धारित करने वाले उत्तर-आधुनिक ग्लोबल युग के हालात पर दबावों को भी समझता है। हरनोट की कहानियां जीवन की विडंबनाओं पर खत्म नहीं होतीं, उनमें आशा के लिए हमेशा जगह बची रहती है। डॉ देविना अक्ष्यवर ने कीलें संग्रह पर कहा कि कहानियों में केवल पहाड़ी संस्कृति की ही झलक नहीं मिलती, बल्कि समकालीन सामाजिक सांस्कृतिक और राजनीतिक परिस्थितियों का भी बारीक चित्रण मिलता है। एसआर हरनोट ने कीलें कहानी संग्रह की चर्चित कहानी 'भागा देवी का चायघर' कहानी के कुछ अंशों का पाठ किया, जिसे खूब सराहा गया।