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Monday 17 June 2019 06:28:28 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि भारत मरूस्थलीकरण से मुकाबला करने में उदाहरण प्रस्तुत करके एक मजबूत नेतृत्व प्रदान करेगा। प्रकाश जावड़ेकर ने नई दिल्ली में आज मरूस्थलीकरण एवं भूमि क्षरण को रोकने हेतु विश्व दिवस-2019 विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत एक देश के रूपमें किसी वैश्विक दबाव में कोई लक्ष्य तय नहीं करता, बल्कि भारत के लक्ष्य वास्तविक सतत विकास के लिए होते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की अपेक्षाएं ऊंची हैं और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्तराष्ट्र फ्रेमवर्क समझौता, जैव विविधता पर समझौता और मरुस्थलीकरण के विरुद्ध लड़ाई के लिए संयुक्तराष्ट्र से समझौते के प्रति भारत संकल्पबद्ध है। मरुस्थलीकरण के विरुद्ध लड़ाई के लिए संयुक्तराष्ट्र समझौता एक मात्र अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जो पर्यावरण एवं विकास के मुद्दों पर कानूनी बाध्यता प्रदान करता है। गौरतलब है कि संयुक्तराष्ट्र ने 17 जून को ‘मरूस्थलीकरण एवं भूमि क्षरण को रोकने हेतु विश्व दिवस’ घोषित किया है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि जमीन के क्षरण से देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 30 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रति बूंद अधिक फसल जैसी भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं मिट्टी के क्षरण में कमी ला रही हैं। केंद्रीय मंत्री ने वन भूमि पुनर्स्थापन और भारत में बोन चुनौती पर क्षमता बढ़ाने के बारे में एक अग्रणी परियोजना लॉंच की, जो 3.5 वर्ष की पायलट चरण की होगी, जिसे हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, नागालैंड तथा कर्नाटक में लागू किया जाएगा और इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय राज्यों के लिए श्रेष्ठ व्यवहारों तथा निगरानी प्रोटोकॉल को विकसित करना, अपनाना तथा एफएलआर, बोन चुनौती पर इन पांच राज्यों के अंदर क्षमता सृजन करना होगा और परियोजना के आगे के चरणों में पूरे देश में इसका विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बोन चुनौती एक वैश्विक प्रयास है, इसके तहत दुनिया के 150 मिलियन हेक्टेयर गैर वनीकृत एवं बंजर भूमि पर 2020 तक और 350 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर 2030 तकवनस्पतियां उगाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि पेरिस में संयुक्तराष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2015 में भारत ने स्वैच्छिक रूपसे बोन चुनौती पर स्वीकृति दी थी और कहा था कि 13 मिलियन हेक्टेयर गैर वनीकृत एवं बंजर भूमि पर 2020 तक और अतिरिक्त 8 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर 2030 तक वनस्पतियां उगाई जाएंगी।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि यह दिवस विश्व समुदाय को याद दिलाने का अनूठा अवसर है कि मरूस्थलीकरण की समस्या से निपटा जा सकता है और सभी स्तरों पर सामुदायिक भागीदारी और सहयोग मजबूत करना ही इसका उपाय है। पर्यावरण वन तथा जलवायु पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा ने कहा कि मरूस्थलीकरण एवं भूमि क्षरण को रोकने हेतु विश्व दिवस सतत भूमि प्रबंधन के बारे में भारत द्वारा की गई प्रगति पर विचार करने का अवसर प्रदान करेगा। भारत 29 अगस्त से 14 सितंबर के दौरान इंडिया एक्सपो मार्ट ग्रेटर नोएडा में सीओपी-14 सत्र का आयोजन करेगा, जिसका कार्यक्रम में लोगो भी जारी किया गया। सीओपी का प्रमुख कार्य उन रिपोर्टों की समीक्षा करना है, जो सदस्य देश अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के संदर्भ में बैठक के दौरान रखते हैं। भारत को चीन से 2 वर्ष के लिए सीओपी की अध्यक्षता करने का अवसर प्राप्त होगा। दो सप्ताह तक चलने वाले इस सम्मेलन में 197 देशों के 5000 से ज्यादा प्रतिनिधि भाग लेंगे। सम्मेलन में राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, स्थानीय निकाय, विज्ञान और अनुसंधान क्षेत्र, निजी क्षेत्र, अंतर्राष्ट्रीय एवं स्वयंसेवी संगठन और मीडिया प्रतिनिधि भाग लेंगे।