स्वतंत्र आवाज़
word map

कैंसर पर आधारित पुस्तक ‘मायण’ का विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 25 March 2013 08:40:18 AM

runa banerjee, dr nityananda and dr anand prakash maheshwari

लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पद्मश्री डॉ नित्यानंद ने लखनऊ साहित्य महोत्सव के अंतर्गत एक भव्य समारोह में डॉ आनंद प्रकाश माहेश्वरी की पुस्तक ‘मायण’ का विमोचन किया। कैंसर से ग्रसित एक महिला की सांसारिक, पारिवारिक एवं आध्यात्मिक जीवन यात्रा से जुड़ी प्रस्तुत पुस्तक की कथावस्तु पर पद्मश्री रूना बनर्जी ने कहा कि पुस्तक के कथानक एवं अभिव्यक्ति ने दिल ही नहीं, उनकी आत्मा तक को झकझोर दिया है। सन् 1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी डॉ माहेश्वरी ने इस मौके पर कहा कि उनकी कृति का मुख्य किरदार कैंसर से पीड़ित उनकी ‘मायण’ अर्थात मां हैं, यह लंबी कहानी आत्म चिंतन की ओर प्रवृत्त करती है, जिसमें मृत्यु से रू-ब-रू होने का सच तो है, किंतु साथ ही जीवन शक्ति से परिचय भी है।
कथावस्तु में एक युवती विवाहोपरांत एक अनजाने एवं मायके से भिन्न परिवेश में हंसते-हंसते अपने रिश्तों से सामंजस्य बैठाती है और पारिवारिक जिम्मेदारियों को वहन करते हुए धीरे-धीरे कई बीमारियों का शिकार होती है। अचानक उसे पता चलता है कि उसे कैंसर भी है और यहीं से कितने निरीक्षण-परीक्षण, चिकित्सकों के विविध रूप, आत्मीयजनों, नाते रिश्तेदारों की मानसिकता एवं उनके व्यवहार आदि से साक्षात्कार करती वह सारी विपदाओं एवं कठिनाइयों को आध्यात्मिक चिंतन एवं आराध्य के ध्यान में मग्न होकर ठेलती रहती है। जीवन के अंतिम पड़ाव की सत्यता का कबीर पंथी ‘मायण’ मुक्तभाव से वरण करती है-हमन है इश्क मस्ताना हमन को होशयारी क्या।
‘मायण’ के माध्यम से लेखक ने कैंसर की बीमारी, परिचारिकों की व्यवहार कुशलता, वैकल्पिक निदान एवं अन्य सामयिक व्यवस्थाओं को भी उजागर किया है। राष्ट्रपति पदक, पुलिस पदकों एवं गोविंद वल्लभ पंत एवार्ड से सम्मानित डॉ माहेश्वरी की यह नवीं पुस्तक प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है। ‘रोगी केवल दवा और दया से नहीं, प्रेम और अपनत्व से शीघ्र अच्छा होता है’ पुस्तक के माध्यम से दिया गया यह संदेश किताब को मानवीय संदर्भों एवं संवेदनशीलता से जोड़ता हुआ पाठकों के मन पर निराली छाप छोड़ता है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]