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Monday 25 March 2013 10:21:57 AM
बांदा। पसमांदा मुस्लिम समाज राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव अनीस मंसूरी ने कहा है कि देश में लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाली पार्टियों ने पिछले 64 वर्ष में देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले मुस्लिम समाज को राजनैतिक साजिशों के तहत दलितों से भी बदतर हालत में पहुंचा दिया है, अगर यह सारे दल इंसाफ परस्त व मुस्लिम हितैषी होते तो आज मुस्लिम समाज दलितों से बदतर हालत में नहीं होता। उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी एवं रंगनाथ मिश्र आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में माना है कि मुस्लिमों के हालात दलितों से भी बदतर हैं।
पसमांदा मुस्लिम समाज के तत्वावधान में राइफल क्लब मैदान में समाज का एक सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें अनीस मंसूरी ने आक्रोश पूर्वक यह बात कही। सम्मेलन में विधान परिषद सदस्य नरेश चंद्र उत्तम, आरके सिंह पटेल सांसद, विशंभर सिंह विधायक, वीर सिंह पटेल विधायक मुख्य रूप से उपस्थित थे। सम्म्ेलन की अध्यक्षता अनीस मंसूरी ने की। अनीस मंसूरी ने कहा कि सच्चर कमेटी एवं रंगनाथ मिश्र आयोग ने दलित समान मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की वकालत की है, मगर मुसलमानों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाली कांग्रेस की यूपीए सरकार ने इस आरक्षण को लागू नहीं किया कि इसके लागू होने से मुस्लिमों को सरकारी नौकरियों में पहुंचने का अवसर मिल जाएगा। मंसूरी ने कहा कि अंग्रेज सरकार में दबे कुचले वर्ग के लिए 1936 में शुरू किए गए इस आरक्षण में धार्मिक प्रतिबंध न रहने के कारण हिंदू, मुस्लिम, सिख एवं बौद्ध सभी धर्म के स्वजाति लोग इस आरक्षण से लाभांवित होने के हकदार थे, लेकिन संविधान की धारा 341 के तहत राष्ट्रपति के 10 अगस्त 1950 के आदेश से धार्मिक प्रतिबंध लगाकर सभी अल्पसंख्यक दलितों को इस श्रेणी से बाहर कर दिया गया। बाद में संशोधन कर सिखों को1956) एवं बौद्धों (1990) को इसमें दोबारा शामिल किया गया, लेकिन मुस्लिम एवं इसाई दलित आज भी इस श्रेणी से वंचित हैं।
मंसूरी ने आरोप लगाया कि देश की आजादी के बाद से ही कांग्रेस की नीतियां मुस्लिम विरोधी रही हैं, चाहे बाबरी मस्जिद का मुद्दा हो या धारा 341 (3) पर धार्मिक प्रतिबंध का मामला हो। कांग्रेस एक तरफ सांप्रदायिकता को बढ़ावा देकर मुसलमानो को क्षति पहुंचाने का काम कर रही है, वहीं दूसरी तरफ धारा 341 पर धार्मिक प्रतिबंध लगाकर पसमांदा मुसलमानों को दो वक्त की रोटी से महरूम कर उन्हें भुखमरी के कगार पर खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस की नीयत साफ होती तो केवल मुसलमान पिछड़ी जातियों को 9 प्रतिशत आरक्षण देती, परंतु कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया, यदि कांग्रेस में थोड़ी सी भी नैतिकता है, तो वह सुप्रीम कोर्ट ने धारा 341 पर केंद्र सरकार से मांगी सूचना पर हलफनामा लगाए। सुप्रीम कोर्ट में धारा 341 पर 24 फरवरी 2011 से अब तक 24 महीनों में 12 बार सुनवाई की तारीख पड़ चुकी है, परंतु केंद्र सरकार ने अभी तक हलफनामा नहीं लगाया है और ना ही आरटीआई में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दिया जा रहा है, कि किन परिस्थितियों में धारा 341 में संशोधन किया गया और वह कौन लोग थे, जो ऐसा करवाना चाहते थे।
अनीस मंसूरी ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से अनुरोध किया है कि वे केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं कि आरटीआई में मांगे गए प्रश्नों का उत्तर दाखिल करे, ताकि धारा 341 (3) का मुकद्मा जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, निस्तारण की कार्रवाई पूरी की जा सके, केंद्र सरकार को चाहिए कि वह अविलंब प्रेसिडेंसियल आर्डर 1950 के पैरा 3 के तहत लगाए गए धार्मिक प्रतिबंध को समाप्त कर उसे सेक्यूलर आर्डर में बहाल किया जाए। जस्टिस रंगनाथ मिश्र ने भी अपनी रिपोर्ट में इस आर्डर को असंवैधानिक बताया है। मंसूरी ने समाजवादी सरकार के 1 साल मुकम्मल होने पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बधाई भी दी। पसमांदा समाज के प्रदेश महासचिव अहमद खां मंसूरी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पसमांदा मुसलमानों से जो वादे किए थे, वे उन्हें जल्द से जल्द पूरा करें।
सम्मेलन के संयोजक ऐनुल हक़ राईनी (प्रदेश सचिव एवं मंडल अध्यक्ष चित्रकूट पीएमएस) और सलीम मंसूरी (जिलाध्यक्ष बांदा पीएमएस) ने नरेश चंद्र उत्तम, आरके सिंह पटेल विशंभर सिंह, वीर सिंह पटेल एवं पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी का आभार प्रकट किया। मोहम्मद वसीम राईनी प्रदेश अध्यक्ष पीएमएस, मुख्तार मंसूरी आंवला (राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष), हाजी अंजुम अली एडवोकेट (राष्ट्रीय महासचिव), हाजी सेठ नसरूल्लाह (बुंदेलखंड प्रभारी), नरेंद्र यादव, डॉ इदरीश, सदल मंसूरी, रहीम बख्श, अब्दुल रहमान, मुस्तफा उर्फ बाबू, मोहम्मद कलीम, डॉ उमर, अब्दुल रसीद, अली मोहम्मद, रसीद अली शाह, रफीक मंसूरी, मकसूद सलमानी, इम्तियाज कुरैशी, यूनुस सौदागर, समीर सौदागर उर्फ बब्लू, साबिर मंसूरी, मौलाना नबी उल्ला, सलीम भाई (छोटे), रसीद मंसूरी, मोहम्मद शमीम, रईस भाई राईन, रज्जाक मेरासी, अली मुहम्मद अंसारी, नब्बू मंसूरी आदि उपस्थित थे।