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Tuesday 27 August 2019 12:29:06 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश के प्रत्येक किसान को प्रगतिशील किसान बनना चाहिए, उनको नई तकनीकें अपनानी चाहिएं और कृषि वैज्ञानिकों तथा स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्रों के संपर्क में रहना चाहिए। नरेंद्र सिंह तोमर ने नई दिल्ली में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों की समृद्धि के लिए प्रौद्योगिकी नवाचार और रणनीति विषय पर दो दिवसीय चिंतन सत्र में कहा कि गांव, ग़रीब और किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों के केंद्र में रहते हैं और कृषि संबंधी सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाता है और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए आधुनिकीकरण एवं तकनीकी उपयोग आवश्यक हैं, इसमें आईसीएआर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श और चिंतन की जो प्रक्रिया राजस्थान से शुरु हुई है उसे प्रत्येक राज्य के लिए जारी रखा जाना चाहिए। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे इस दो दिवसीय सत्र से प्राप्त जानकारियों का उपयोग कृषि कार्यों में करें।
कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष बाज़ार कनेक्टिविटी और कृषि उत्पाद निर्यात को प्रोत्साहन देना जैसी कई चुनौतियां हैं, इसके अतिरिक्त किसानों के सामने अपने उत्पादों का सही मूल्य प्राप्त नहीं करना जैसी गंभीर चुनौती भी है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पाद को बेहतर बनाने के लिए किसानों और अनुसंधानकर्ताओं के बीच समन्वय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता ऐसी होनी चाहिए, जो विश्व बाज़ार में अन्य देशों के उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर सकें। उन्होंने कहा कि हालांकि किसानों को सब्सिडी और सरकारी समर्थन मिलता है, लेकिन किसानों को केवल सरकारी सहायता पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, उन्हें उत्पादन बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। एकीकृत और जैविक कृषि के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि केवल अनाज उत्पादन के विचार को बदलकर एकीकृत कृषि को अपनाना चाहिए, इसके अंतर्गत मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन जैसे कार्य आते हैं, यदि सभी किसान इन्हें अपनाएंगे तो जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार पहलीबार राज्य विशेष को ध्यान में रखकर विचार-विमर्श का सत्र आयोजित कर रही है, इसमें किसानों के साथ सीधी बातचीत हो रही है। उन्होंने कहा कि बैंक की औपचारिकताओं में कमी की गई है और किसान आसानी से बैंक खाते खोल सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को पेंशन योजना-पीएम मानधन योजना से जुड़ना चाहिए, जो किसान इस योजना से जुड़ चुके हैं, उन्हें उनके मोबाइल पर सभी जानकारियां उपलब्ध कराई जाएंगी। डीएआरई एंड डीजी के सचिव डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि नई और आधुनिक तकनीकों को अपनाने से 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों का उचित मूल्य सुनिश्चित करना, एफपीओ के माध्यम से बाजार की भूमिका, वैज्ञानिकों और संस्थानों की भूमिका, फसल परिवर्तन आदि विषयों पर भी विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने जांच किट, आईसीएआर संस्थानों के विकसित टीकों और आठ आईसीएआर मोबाइल ऐप लांच किए। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के तीन सौ से अधिक किसान, छात्र, उद्यमी, संस्थानों के निदेशक और कुलपति सत्र में भाग ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरूषोत्तम रुपाला और कैलाश चौधरी भी उपस्थित थे।