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Sunday 6 October 2019 01:22:26 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पुलिस व्यवस्था को लोगों पर केंद्रित बनाने और थानों को लोगों के अनुकूल एवं सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम थानों में माहौल सुधरना चाहिए, क्योंकि थाने लोगों के लिए संपर्क करने का पहला स्थान है और पीड़ित को यह विश्वास होना चाहिए कि पुलिसकर्मी उनकी शिकायत का निवारण करने में समर्थ हैं। उन्होंने कहा कि अकसर शिकायतकर्ता इसी गलतफहमी के साथ थाने में प्रवेश करता है कि क्या उसकी रिपोर्ट दर्ज की जाएगी या उसके साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इंडियन पुलिस फाउंडेशन, नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस और ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के संयुक्त रूपसे स्मार्ट पुलिस व्यवस्था पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पुलिस बलों में आंतरिक सुधार का सुझाव दिया। उन्होंने अपराध के आंकड़ों में वृद्धि को लेकर परेशान होने के बजाय मामलों को तेजी से निपटाने के लिए कुशल एवं वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि हरेक शिकायत को अवश्य पंजीकृत किया जाए और उस संबंध में पूछताछ की जाए। वेंकैया नायडू ने कहा कि हम थानों को लोगों के अनुकूल बनाने के लिए कई साल से बात कर रहे हैं, दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है, जबतक वरिष्ठ अधिकारी थानों में माहौल सुधारने का बीड़ा नहीं उठाएंगे, तबतक स्थिति नहीं बदल सकती है।
आतंकवाद, माओवाद और उग्रवाद जैसी समस्याओं के संदर्भ में वेंकैया नायडू ने कहा कि बुलेट के मुकाबले बैलेट अधिक दमदार होता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है, देश की रक्षा और सुरक्षा को लेकर कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र बलों की क्षमता को बेहतर करने को कहा, ताकि उभरती चुनौतियों से प्रभावी तौरपर निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि प्रेरित एवं प्रतिबद्ध पुलिस द्वारा सुनिश्चित की गई कानून व्यवस्था देश के सतत आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। साइबर युग में पैदा हुईं चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए देशभर में पुलिस बलों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन, जांच, रक्षा एवं सुरक्षा प्रबंधन के साथ-साथ नागरिक केंद्रित पुलिस व्यवस्था के क्षेत्र में आईटी के इस्तेमाल के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं। स्मार्ट पुलिस व्यवस्था के बारे में प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वीआईपी सुरक्षा से निपटने और वीवीआईपी लोगों के आवाजाही के दौरान यातायात के प्रबंधन के लिए अभिनव दृष्टिकोण से सोचने की जरूरत है।
महिलाओं एवं नाबालिग बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न और अपराधों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने सुरक्षा उपायों को बेहतर करने का आह्वान किया और कहा कि इन मामलों में पुलिस को सख्ती से कार्रवाई करने के बारे में संवेदनशील होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के सुझाए गए पुलिस सुधारों को लागू करने के अलावा श्रमबल की कमी को दूर करने, परिवहन एवं संचार सुविधाओं को बेहतर करने और फोरेंसिक प्रयोगशालाएं स्थापित करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर इंडियन पुलिस फाउंडेशन के अध्यक्ष एन रामचंद्रन, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के महानिदेशक वीएसके कौमुदी, इंडियन पुलिस फाउंडेशन के चेयरमेन प्रकाश सिंह, कार्मिक प्रशासनिक सुधार के सचिव चंद्रमौलि उपस्थित थे।