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Tuesday 02 April 2013 06:39:08 AM
रामनगर, देहरादून। प्रोजेक्ट टाइगर की 40वीं वर्षगांठ पर ढिकाला में आयोजित समानांतर परिचर्चा में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि कार्बेट पार्क के विकास के साथ-साथ वन्य जीवों का संरक्षण भी अति आवश्यक है, जिसके लिए पार्क से लगे गाँवों के निवासियों को भी जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्कों से लगे गाँव के लोगों को पूर्ण सुविधाओं के साथ-साथ रोज़गार परक योजनाओं से भी लाभांवित किया जाएगा। उन्होंने इस हेतु कार्बेट प्रशासन को पहल करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण व विकास दोनों जरूरी हैं, अतः हम सबको मिलकर इस दिशा में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि राजाजी नेशनल पार्क को टाइगर रिज़र्व घोषित करने हेतु केंद्र से पुरजोर पहल करेंगे। उन्होंने लैंसडाउन वन प्रभाग के कोटरी व दुगड्डा मानव रहित वन क्षेत्रों को कार्बेट पार्क के बफर क्षेत्र में शामिल करने की घोषणा करने के साथ ही सोन नदी के किनारे 181 गुर्जर परिवारों के विस्थापन के साथ ही, उनके बच्चों को छात्रवृत्ति व वृद्धावस्था पेंशन देने, कार्बेट पार्क के विकास हेतु अच्छा कार्य करने वाले 20 कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र देने के साथ ही प्रत्येक कर्मचारियों को अपनी ओर से 11 हजार रूपए बतौर पारितोषित देने, महावतों व चारा कटरों को एक हजार रूपए प्रतिमाह वेतन वृद्धि देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नेचर गाईडों की बेहतरी की दिशा में भी सरकार कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की पहचान मंदिरों, नदियों व कार्बेट पार्क से है, इसलिए पार्क के विकास व वन्य जीव सुरक्षा हेतु रात्रि गश्त बढ़ाने व ईको टूरिज्म, पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु नेचर गाईडों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानव व वन्यजीव संघर्ष को रोकने की दिशा में कार्रवाई की भी आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि पार्क में टाइगरों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण टाइगरों की सुरक्षा के साथ ही पार्क क्षेत्र का विस्तारीकरण है, क्योंकि यह टाइगर व अन्य जीवों की वृद्धि में सहायक है। उन्होंने सभी से अपील की कि आज के दिन सब संकल्प लें कि देवभूमि की सुंदरता बचाए रखने के साथ-साथ वन्य जीव संरक्षण की दिशा में भी हम सभी लोग सजग रहेंगे व अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, क्योंकि वन्यजीव की सबसे बड़ी भूमिका पर्यावरण संवर्द्धन में भी है।
कार्यक्रम में उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि टाइगर प्रोजेक्ट के साथ क्षेत्रवासियों को रोज़गार से भी जोड़ा जाएगा, उन्होंने कहा कि पौड़ी से कार्बेट पार्क तक पहुंचने के लिए एक अन्य मोटर मार्ग की भी आवश्यकता है, ताकि पार्क में आने वाले पर्यटकों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। संसदीय सचिव वन एवं पर्यावरण हिमेश खर्कवाल ने कार्बेट की 40वीं वर्षगांठ पर खुशी व्यक्त करते हुए कार्बेट के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को शीघ्र वेतन दिलाने, स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने, उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने की अपील मुख्यमंत्री से की। उन्होंने ग्रीन बोनस के साथ-साथ ही उत्तराखंड को केंद्र सरकार से टाइगर बोनस दिलाने की भी मांग रखी। जसपुर के विधायक डॉ शैलेंद्र मोहन सिंघल ने कहा कि वन्य एवं पर्यावरण से संबंधित जानकार लोगों के अनुभवों को एक स्थान पर विश्लेषण करने हेतु शोध एवं विकास संस्थान की स्थापना कार्बेट पार्क में की जाए, ताकि उनके अनुभवों का लाभ वन्य जीव संरक्षण एवं पार्क के विकास में मिल सके।
कार्यक्रम में एनटीसीए भारत सरकार के सदस्य सचिव डॉ राजेश गोपाल ने टाइगर प्रोजेक्ट के इतिहास और उपलब्धियों की विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि 1 अप्रैल 1973 में टाइगर प्रोजेक्ट शुरू किया गया, जो कि विश्व का सबसे पहला टाइगर प्रोजेक्ट था। शुरूआत में 9 टाइगर रिज़र्व बनाए गए, जो आज बढ़कर 42 हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 13 टाइगर देशों में सबसे ज्यादा टाइगर भारत में हैं, जो हमारे लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि कार्बेट में सबसे ज्यादा टाइगर का घनत्व है, जिसके लिए उन्होंने राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कि उत्तराखंड में टाइगर कंजरवेशन प्लान का गठन कार्बेट में किया जाएगा, साथ ही अवैध वन्यजीव शिकार की रोकथाम के लिए भारत सरकार से प्रोटेक्शन हेतु सहायता भी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने हेतु स्थानीय लोगों को जोड़ा जाए, ताकि वे भी योजनाओं का लाभ उठा सकें।
कार्यक्रम में पीसीसीएफ आरबीएस रावत, प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण उत्तराखंड एस रामास्वामी, एडिशनल पीसीसीएफ एसके दत्ता, पीसीसीएफ वाइल्ड लाईफ एसएस शर्मा, विजेंद्र सिंह, राजीव भरतरी, डीबीएस खाती, एएस नेगी, जिलाधिकारी नैनीताल निधिमणि त्रिपाठी, एसएसपी डॉ सदानंद दाते, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ एससी पंत, पार्क निदेशक रंजन मिश्रा सहित अनेक अधिकारी उपस्थित थे।