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Wednesday 15 January 2020 05:10:22 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज नई दिल्ली में यकृत और पित्त विज्ञान संस्थान के 10वें स्थापना दिवस और 7वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा है कि भारत में हर वर्ष करीब दो लाख लीवर प्रत्यारोपणों की आवश्यकता पड़ती है, जबकि केवल कुछ हजार लीवर ही प्रत्यारोपित हो पाते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ और सार्वजनिक अस्पतालों में लीवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरु करने की आवश्यकता है और आईएलबीएस इस संबंध में आवश्यक विशेषज्ञता प्रदान कर सकता है। उन्होंने इस अवसर पर उन सभी विशेषज्ञों को बधाई दी, जिन्होंने यकृत की बीमारी के क्षेत्र में आईएलबीएस में अपने पाठ्यक्रम यहां पूरे किए हैं। उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से बेहतर सेवा का कोई उदाहरण नहीं हो सकता है, वे इस संस्थान के पहले चांसलर थे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सबसे कठिन काम अंगदान को प्रोत्साहित करना और इसके बारे में जागरुकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि किसी की जान बचाने के लिए आवश्यक अंग और उसकी उपलब्धता के बीच एक काफी अंतर है, अंगदान के बारे में जागरुकता की कमी की वजह से दानदाताओं की कमी रहती है। राष्ट्रपति ने आईएलबीएस से आग्रह किया कि वह लीवर दान करने को प्रोत्साहित करने के तरीके बताने के लिए एक रोडमैप तैयार करे, ताकि संबंधित प्रक्रिया में सुधार लाया जा सके और वर्तमान की तुलना में अधिक संख्या में लीवर प्रत्यारोपित किए जा सकें। राष्ट्रपति ने कहा कि लीवर की बीमारियां बढ़ने के मामलों का संबंध हमारी खराब जीवनशैली है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चार भारतीयों में से एक का चर्बीदार लीवर होता है और अत्याधिक चर्बी होने के कारण इनमें से दस प्रतिशत लीवर की बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह स्थिति मधुमेह और दिल की बीमारी का पूर्व लक्षण है और मधुमेह के मरीज को अन्य की तुलना में लीवर की बीमारी अधिक देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि आईएलबीएस जैसे संस्थान का कर्तव्य है कि वह अनुसंधान करे, जिससे हमारी जीवनशैली और लीवर की बीमीरियों के बीच संबंध स्पष्ट हो सके, इससे जीवनशैली में बदलाव पर आधारित रोकथाम प्रणाली विकसित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य भारत के लिए एक महत्वपूर्ण विकास चुनौती बना हुआ है, लेकिन हमारी सरकार आयुष्मान भारत जैसे स्वास्थ्य मिशनों के माध्यम से इससे निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक और अन्य चिकित्सा पेशेवर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की एक मजबूत रीढ़ हैं।