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Thursday 16 April 2020 12:34:28 PM
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की है यानी इसबार भारत में सबसे अच्छी वर्षा होगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ एम राजीवन ने आईएमडी के महानिदेशक डॉ एम मोहापात्रा की मौजूदगी में 2020 के लिए दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन वर्षा के लिए आईएमडी के प्रथम चरण लंबी दूरी का पूर्वानुमान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि प्रथम चरण लंबी दूरी के पूर्वानुमान के अनुसार इस साल जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन की वर्षा कुल मिलाकर पूरे देश के लिए सामान्य (96-104 प्रतिशत) रहेगी। मौसम विज्ञान विभाग ने भारतभर में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आरंभ व प्रगति एवं वापसी की नई सामान्य तिथियां भी जारी कर दी हैं। मॉनसून के 1 जून को केरल के तिरुवनंतपुरम तक पहुंचने की उम्मीद है।
डॉ एम राजीवन ने कहा कि मात्रा के लिहाज से दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन की वर्षा के 5 प्रतिशत की मामूली त्रृटि के साथ लंबी अवधि औसत का 100 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि 1961-2020 की अवधि के लिए कुल मिलाकर देश में सीजन की वर्षा का एलपीए 88 सीएम है। उन्होंने कहा कि ऐसा अनुमान है कि वर्षा की कमी 9 प्रतिशत होगी जोकि अच्छी बात है। यह पूर्वानुमान सांख्यिकी माडल पर आधारित है, जो संकेत दे रहा है कि देश में इसबार मानसून सामान्य रहेगा। उन्होंने कहा कि आईएमडी द्वितीय चरण पूर्वानुमान के एक हिस्से के रूपमें मई के अंतिम सप्ताह यानी जून 2020 के प्रथम सप्ताह में अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा। डॉ एम राजीवन ने बताया कि न्यूट्रल एल नीनो साउदर्न आस्लिेशन स्थितियां प्रशांत महासागर और न्यूट्रल इंडियन ओसन डिपोल स्थितियां हिंद महासागर के ऊपर व्याप्त हो रही हैं, कुछ जलवायु मोडल पूर्वानुमानों से संकेत मिलता है कि इन स्थितियों के आगामी मानसून सीजन के दौरान बनी रहने की उम्मीद है।
डॉ एम राजीवन ने कहा कि चूंकि प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के ऊपर समुद्री सतह तापमान भारतीय मानसून पर मजबूत प्रभाव के लिए जाने जाते हैं, आईएमडी सर्तकतापूर्वक प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के ऊपर समुद्री सतह स्थितियों के उद्भव की निगरानी कर रहा है। उन्होंने बताया कि ला नीनो या पूर्व-मध्य प्रशांत महासागर में सामान्य से ठंडी समुद्री सतह पारंपरिक रूपसे बेहतर मानसून वर्षा और भारत में ठंडी हवाओं से जुड़ी है, जबकि एल नीनो देश में सामान्य से नीचे वर्षा के साथ जुड़ा है। दक्षिण-पश्चिम मानसून जो देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को पूरा करता है, सामान्य रूपसे जून के प्रथम सप्ताह में पहले केरल के दक्षिणी सिरे तक पहुंचता है और सितंबर तक राजस्थान जाकर पीछे हट जाता है। मॉनसून विद्यमान सामान्य तिथियों की तुलना में महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार एवं उत्तर प्रदेश के हिस्सों में 3-7 दिन की देरी से पहुंचेगा, तथापि सुदूर उत्तर पश्चिम भारत में मानसून अब थोड़ा पहले 15 जुलाई की तारीख की तुलना में 8 जुलाई को आता है। मानसून के 15 अक्तूबर को दक्षिण भारत से वापस हो जाने की उम्मीद है।