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Monday 20 April 2020 11:29:31 AM
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण और उससे जनित लॉकडाउन के बावजूद यह सुखद स्थिति है कि देश में खेती किसानी का कार्य सावधानी और सुचारू रूपसे गतिमान है। कोरोना अनिश्चितता के बीच कृषि संबंधी कार्य चलते रहने में बड़ी बाधाओं के बावजूद खाद्य सुरक्षा का आश्वासन आशा प्रदान कर रहा है। भारत में किसान और खेतिहर मज़दूर कोरोना की सभी विपत्तियों से लड़ते हुए पसीना बहा रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के इसमें सहयोग ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि कटाई संबंधी कार्यों और गर्मियों की फसलों की निरंतर बुवाई में कोई बाधा नहीं है। गृह मंत्रालय ने कोविड-19 पर नियंत्रण के उपायों के बारे में समेकित दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनसे कृषि कार्यों का सुचारू संचालन सुनिश्चित हुआ है। किसानों को खेती संबंधी कार्य करते समय उनकी सुरक्षा और एक दूसरे से दूरी बनाए रखने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया की जानकारी दी गई है, परिणामस्वरूप रबी की फसल की कटाई और गर्मियों की फसलों की बुवाई के कार्य सुनियोजित तरीके से चल रहे हैं।
देशभर में 310 लाख हेक्टेयर भूमि में गेहूं की कुल रबी फसल में से 63-67 प्रतिशत की कटाई हो चुकी है। राज्यवार कटाई भी बढ़ी है। मध्यप्रदेश में 90-95 प्रतिशत, राजस्थान में 80-85 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 60-65 प्रतिशत, हरियाणा में 30-35 प्रतिशत और पंजाब में 10-15 प्रतिशत तक गेहूं की कटाई हो चुकी है। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में कटाई अपने चरम पर है और अप्रैल 2020 के अंत तक इसके पूरा होने की संभावना है। पंजाब ने फसल काटने की 18000 मशीनों को लगाया है, जबकि हरियाणा ने कटाई और थ्रेशिंग के लिए फसल काटने की 5000 मशीनें लगाई हैं। करीब 161 लाख हेक्टेयर जमीन में बोई गई दालों में से चना, मसूर, उड़द, मूंग और मटर की कटाई पूरी हो गई है। कुल 54.29 लाख हेक्टेयर में बोए गए गन्ने की महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पंजाब में कटाई पूरी हो गई है। तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड राज्य में 92-98 प्रतिशत कटाई पूरी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में 75-80 प्रतिशत कटाई पूरी हो चुकी है और यह मई 2020 के मध्य तक जारी रहेगी। आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में 28 लाख हेक्टेयर जमीन में रबी की फसल धान कटाई की आरंभिक अवस्थाा में है, क्योंकि अनाज की लदाई अभी चल रही है और कटाई का समय अलग होगा।
तिलहन फसलों के बीच 69 लाख हेक्टेयर में बोई गई रेपसीड सरसों की फसल की राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यी प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, पंजाब, असम, अरुणाचल प्रदेश और संघशासित जम्मूढ-कश्मीर में कटाई हो चुकी है। करीब 4.7 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की 85-90 प्रतिशत फसल की कटाई हो चुकी है। भारत में विशेष रूपसे खाद्यान्न की अतिरिक्त घरेलू आवश्यकता को पूरा करने और मवेशियों के चारे के लिए गर्मियों की फसलों को उगाना एक पुरानी प्रथा है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने ग्रीष्मकालीन फसलों दालों, मोटे अनाज, पोषकतत्व वाले अनाज और तिलहनों की वैज्ञानिक खेती की नई पहल की है। इसके अलावा किसान पानी की उपलब्धता के आधार पर पूर्वी भारत और मध्य भारत के कुछ राज्यों में ग्रीष्मकालीन धान की फसलों की खेती भी करते हैं। देश में गर्मियों की बुवाई पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है। मौसम की वर्षा पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक रही जो गर्मियों की फसलों की बुवाई के लिए अनुकूल रही है। एक वर्ष पहले इसी अवधि में ग्रीष्मकालीन फसल का कुल क्षेत्र 38.64 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 52.78 लाख हेक्टेयर हो गया है।
दालों, मोटे अनाजों, पोषकतत्व वाले अनाजों और तिलहनों में शामिल क्षेत्र पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 14.79 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 20.05 लाख हेक्टेयर हो गया है। पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, ओडिशा, असम, गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल राज्यों में लगभग 33 लाख हेक्टेयर भूमि में ग्रीष्मकालीन चावल बोया गया है। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, पंजाब, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड और तेलंगाना राज्यों में लगभग 5लाख हेक्टेयर भूमि में दलहनों को बोया गया है। पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब और बिहार राज्यों में लगभग 7.4 लाख हेक्टेयर जमीन पर तिलहनों की बुआई की गई है। पश्चिम बंगाल में जूट की बुवाई भी शुरू हो गई है और बारिश से फायदा हुआ है। गर्मियों की फसल न केवल अतिरिक्त आय प्रदान करती है, बल्कि किसानों के लिए रबी और खरीफ के बीच रोज़गार के बहुत से अवसर पैदा करती है। ग्रीष्मकालीन फसल विशेषकर दलहन की फसलों की खेती से मिट्टी की सेहत में भी सुधार होता है। यंत्रीकृत बुवाई ने भी गर्मियों की फसलों की अत्यधिक मदद की है। केंद्र और राज्य सरकारों के मार्गदर्शन ने न केवल कटाई की गतिविधियां समय पर सुनिश्चित की हैं, बल्कि किसानों की कड़ी मेहनत ने ग्रीष्मकालीन फसलों का अधिक क्षेत्र कवरेज सुनिश्चित किया है।