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न्याय प्रणाली मुकद्मों के बोझ से दबी है-कानून मंत्री

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Sunday 07 April 2013 09:52:47 AM

justice altamas kabir and union minister for law & justice, dr Ashwani Kumar

नई दिल्‍ली। केंद्रीय कानून मंत्री डॉ अश्विनी कुमार ने कहा है कि लोगों के घर तक न्याय सुलभ कराना सरकार का आंतरिक लक्ष्य है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया। उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर ने समारोह की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीशों का स्वागत करते हुए विधि और न्याय मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार कानून के शासन और न्यायिक स्वतंत्रता की बुनियाद सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि यह संविधान की बुनियादी संरचना है और इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत के तीन अंगों को मिलकर संवैधानिक लक्ष्यों को हासिल करने की राष्ट्र की इच्छा के लिए काम करना चाहिए।
यह सम्मेलन चार वर्ष के अंतराल पर आयोजित किया गया। अश्विनी कुमार ने कहा कि दिल्ली में दिसंबर की घटना ने जनता के दिलों में हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रति आक्रोश पैदा किया, जिसे आसानी से समझा जा सकता है, उसके बाद से ही सरकार ने तेजी से काम किया और आपराधिक कानून (संशोधन)विधेयक 2013 को पारित कराया है। अश्विनी कुमार ने कहा कि हमारी न्याय प्रणाली मुकदमों के बोझ से दबी हुई है और विभिन्न अदालतों में 3 करोड़ से अधिक मुकदमें लंबित हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी को सस्ता और तेजी से न्याय दिलाने का लक्ष्य अब भी दूर का सपना है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन इस लिहाज से अनोखा है, क्योंकि इसमें राजनीतिक और न्यायिक पक्ष के सभी लोग शामिल हैं, इसलिए इसमें ऐसे प्रयासों की पहचान की जा सकेगी जिनसे सब लोगों के लिए सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक न्याय सुरक्षित किया जा सके।
अश्विनी कुमार ने कहा कि लोगों के घर पर न्याय सुलभ कराना और खासतौर से गरीबों और समाज के कमजोर एवं हाशिये पर मौजूद लोगों को न्याय सुलभ कराने के लक्ष्य सरकार और न्‍याय व्‍यवस्‍था का आंतरिक अंग है। यह सम्मेलन विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग ने आयोजित किया, इसमें देश में न्याय प्रदान करने संबंधी विभिन्न मुद्दों पर विचार किया गया। सम्मेलन में सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को आमंत्रित किया गया था। इस तरह का सम्मेलन पिछली बार अगस्त 2009 में भी आयोजित किया गया था।

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