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भारत में शुरु हुआ 'आत्मनिर्भर भारत अभियान'

आत्मनिर्भरता के लिए देश को 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जारी की पहली किस्त

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 14 May 2020 11:39:07 AM

nirmala sitharaman press conference to announce the details of special economic package

नई दिल्‍ली। केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में कोविड-19 जनित संकटों के खिलाफ जारी लड़ाई में भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत की जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा पर अमल कर दिया है। वित्तमंत्री ने इस पैकेज की पहली किस्त में पांच करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राहतें प्रदान की हैं। वित्तमंत्री ने इसके साथ ही आत्मनिर्भर भारत अभियान का आह्वान भी किया है। उन्‍होंने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों जैसे-अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, युवा आबादी या शक्ति और मांग को भी रेखांकित किया। नई दिल्‍ली में प्रेस कॉंफ्रेंस में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि काफी मंथन करने के बाद प्रधानमंत्री ने स्वयं यह सुनिश्चित किया है कि व्यापक परामर्श से प्राप्त सुझाव या फीडबैक कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आर्थिक पैकेज का एक हिस्सा बनें। निर्मला सीतारमण ने कहा कि अनिवार्य रूपसे लक्ष्य एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है, यही कारण है कि आर्थिक पैकेज को आत्मनिर्भर भारत अभियान नाम दिया गया है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने उन स्तंभों का हवाला दिया जिनपर आत्मनिर्भर भारत की इमारत खड़ी होगी। उन्‍होंने कहा कि हमारा फोकस भूमि, श्रम, तरलता और कानून पर होगा। निर्मला सीतारमण ने उन उपायों की घोषणा की जिनका उद्देश्‍य कामकाज फि‍रसे शुरू करना है अर्थात कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं, व्यवसायों, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्‍यम उद्यमों को फि‍र से उत्‍पादन कार्य में संलग्‍न करना और कामगारों को फि‍र से लाभकारी रोज़गारों से जोड़ना है। उपायों में एमएसएमई सहित व्‍यवसायों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा, व्यवसायों को राहत देने के लिए 29 फरवरी 2020 तक बकाया ऋण के 20 प्रतिशत की अतिरिक्त कार्यशील पूंजी रियायती ब्‍याज दर पर सावधि ऋण के रूपमें प्रदान की जाएगी। यह राहत 25 करोड़ रुपये तक के बकाया ऋण और 100 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली उन इकाइयों के लिए उपलब्ध होगी, जिनके खाते मानक हैं। इन इकाइयों को अपनी ओर से कोई भी गारंटी या जमानत नहीं देनी होगी। इस राशि पर 100 प्रतिशत गारंटी भारत सरकार देगी, जो 45 लाख से भी अधिक एमएसएमई को 3.0 लाख करोड़ रुपये की कुल तरलता (लिक्विडिटी) प्रदान करेगी।
कर्ज बोझ से दबे उन दो लाख एमएसएमईके लिए 20,000 करोड़ में अप्रधान ऋण का प्रावधान किया गया है, जो एनपीए से जूझ रहे हैं या कर्ज बोझ से दबे हुए हैं। सरकार सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट को 4,000 करोड़ रुपये देकर आवश्‍यक सहयोग देगी। बैंकों से अपेक्षा की गई है कि वे इस तरह के एमएसएमई के प्रवर्तकों को अप्रधान ऋण प्रदान करेंगे, जो इकाई में उनकी मौजूदा हिस्सेदारी के 15 प्रतिशत के बराबर होगा। यह ऋण अधिकतम 75 लाख रुपये होगा। एमएसएमई फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी सुलभ कराई जाएगी। सरकार 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना करेगी, जो एमएसएमई को इक्विटी फंडिंग सहायता प्रदान करेगा। फंड ऑफ फंड्स का संचालन एक समग्र फंड और कुछ सहायक फंडों के माध्‍यम से होगा। यह उम्मीद की जाती है कि सहायक फंडों के स्तर पर 1:4 के लाभ या प्रभाव की बदौलत फंड ऑफ फंड्स लगभग 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी जुटा सकेगा।
निवेश की सीमा बढ़ाकर एमएसएमई की परिभाषा को संशोधित किया जाएगा। टर्नओवर का एक अतिरिक्त मानदंड भी शामिल किया जा रहा है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के बीच के अंतर को भी समाप्त किया जाएगा। एमएसएमई के लिए ई-मार्केट लिंकेज को बढ़ावा दिया जाएगा, जो व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों के प्रतिस्थापन के रूपमें काम करेगा। सरकार और सीपीएसई की ओर से एमएसएमई के प्राप्य 45 दिन में जारी किए जाएंगे। दो सौ करोड़ रुपये से कम मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में वैश्विक निविदा पूछताछ को नामंजूर करने के लिए सरकार के सामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर) में संशोधन किए जाएंगे। पीएमजीकेपी के एक भाग के रूपमें शुरू की गई योजना, जिसके तहत भारत सरकार ईपीएफ में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की ही ओर से वेतन में 12-12 प्रतिशत का योगदान करती है को जून, जुलाई और अगस्त 2020 के वेतन महीनों के लिए 3 माह तक बढ़ाया जाएगा। इसके तहत लगभग 2500 करोड़ रुपये का कुल लाभ 72.22 लाख कर्मचारियों को मिलेगा। ईपीएफओ द्वारा कवर किए जाने वाले सभी प्रतिष्ठानों के नियोक्ता और कर्मचारी दोनों में से प्रत्‍येक के अनिवार्य पीएफ अंशदान को 3 माह तक मौजूदा 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे प्रति माह लगभग 2,250 करोड़ रुपये की तरलता मिलेगी।
भारत सरकार 30,000 करोड़ रुपये की विशेष तरलता योजना शुरू करेगी, तरलता आरबीआई द्वारा प्रदान की जा रही है। एनबीएफसी, एचएफसी और एमएफआई के निवेश योग्‍य डेट पेपर में प्राथमिक और द्वितीयक बाजार में होने वाले लेन-देन में निवेश किया जाएगा। इस पर भारत सरकार की ओर से 100 प्रतिशत गारंटी होगी। मौजूदा आंशिक ऋण गारंटी योजना को संशोधित किया जा रहा है और अब कम रेटिंग वाली एनबीएफसी, एचएफसी और अन्य माइक्रो फाइनेंस संस्‍थानों (एमएफआई) की उधारियों को भी कवर करने के लिए इसका दायरा बढ़ाया जाएगा। भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 20 प्रतिशत के प्रथम नुकसान की संप्रभु गारंटी प्रदान करेगी। पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन इसके तहत डिस्‍कॉम में दो समान किस्‍तों में 90000 करोड़ रुपये तक की तरलता सुलभ कराएंगी। इस राशि का उपयोग डिस्‍कॉम द्वारा पारेषण और उत्‍पादक कंपनियों को उनके बकाये का भुगतान करने में किया जाएगा। इसके अलावा सीपीएसई की उत्‍पादक कंपनियां इस शर्त पर डिस्‍कॉम को छूट देंगी कि यह रियायत अंतिम उपभोक्ताओं को उनके निर्दिष्‍ट शुल्क की अदायगी में राहत के रूप में मिल जाए।
रेलवे, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और सीपीडब्ल्यूडी जैसी सभी केंद्रीय एजेंसियां ईपीसी और रियायत समझौतों से जुड़े दायित्‍वों सहित अनुबंधात्मक दायित्‍वों को पूरा करने के लिए छह माह तक का समय विस्तार दिया जाएगा। राज्य सरकारों को यह सलाह दी जा रही है कि वे ‘रेरा’ के तहत अप्रत्‍याशित परिस्थिति या आपदा अनुच्‍छेद का उपयोग करें। सभी पंजीकृत परियोजनाओं के लिए पंजीकरण एवं पूर्णता तिथि 6 माह तक बढ़ाई जाएगी तथा राज्य की परिस्थिति के आधार पर इसे 3 माह और बढ़ाया जा सकता है। ‘रेरा’ के तहत विभिन्न वैधानिक अनुपालनों को भी एक साथ बढ़ाया जाएगा। धर्मार्थ ट्रस्टों एवं गैर-कॉरपोरेट व्यवसायों और प्रोपराइटरशिप, साझेदारी एवं एलएलपी सहित पेशों तथा सहकारी समितियों को लंबित आयकर रिफंड तुरंत जारी किए जाएंगे। निवासियों को होने वाले सभी गैर-वेतनभोगी भुगतान के लिए टीडीएस दरों, और ‘स्रोत पर संग्रहीत कर’ की दर में वित्त वर्ष 2020-21 की शेष अवधि के लिए निर्दिष्ट दरों में 25 प्रतिशत की कमी की जाएगी। इससे 50,000 करोड़ रुपये की तरलता सुलभ होगी। आकलन वर्ष 2020-21 के लिए सभी आयकर रिटर्न की अंतिम तारीख को 30 नवंबर 2020 तक बढ़ा दी गई है। इसी तरह टैक्स ऑडिट की अंतिम तिथि को 31 अक्टूबर 2020 तक बढ़ा दिया जाएगा। ‘विवाद से विश्वास’ योजना के तहत अतिरिक्त राशि के बिना ही भुगतान करने की तारीख को 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया है।

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