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Friday 15 May 2020 12:52:21 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवासी श्रमिकों, स्ट्रीट वेंडरों, फेरी वालों, प्रवासी शहरी गरीबों, छोटे व्यापारियों, स्वरोज़गार वाले लोगों, छोटे किसानों और आवास सेक्टर के समक्ष मौजूद कठिनाइयों को दूर करने के लिए विभिन्न अहम उपायों के दूसरे भाग की घोषणा करते हुए अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों की विस्तार से जानकारियां दीं। निर्मला सीतारमण ने कहा कि किसान और श्रमिक राष्ट्र की रीढ़ हैं, वे कड़ी मेहनत करके हम सभी की सेवा करते हैं, प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के अलावा शहरी क्षेत्रों में किफायती और सुविधाजनक किराये वाले आवास की आवश्यकता होती है, प्रवासी और असंगठित कामगारों सहित गरीबों के लिए रोज़गार अवसर सृजित करने की भी जरूरत है, किसानों को समय पर और पर्याप्त ऋण सहायता की आवश्यकता है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था और समाज के सभी वर्गों की जरूरतों के प्रति सजग है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विशेष रूपसे स्ट्रीट वेंडर्स के छोटे व्यवसाय शिशु मुद्रा ऋणों के जरिए गरिमामयी आजीविका में सहयोग देते हैं, उन्हें भी व्यवसाय के जरिए हमारे संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा और संवर्धित ऋण के रूपमें हमारी देख-रेख की आवश्यकता है। प्रवासी कामगारों के लिए राज्यों एवं संघशासित क्षेत्रों को प्रति कामगार दो महीनों यानी मई और जून 2020 के लिए प्रति महीने प्रति कामगार 5 किलोग्राम की दर से खाद्यान्न और प्रति परिवार 1 किलोग्राम चने का मुफ्त आवंटन किया जाएगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में नहीं आने वाले या राज्य/ संघशासित क्षेत्रों में बिना राशन कार्ड वाले ऐसे प्रवासी कामगार इसके पात्र होंगे, जो वर्तमान में किसी क्षेत्र में फंसे हुए हैं। राज्यों/ संघशासित क्षेत्रों को योजना के तहत लक्षित वितरण के लिए एक तंत्र विकसित करने का परामर्श दिया जाएगा, इसके लिए 8 लाख एमटी खाद्यान्न और 50,000 एमटी चने का आवंटन किया जाएगा। इसपर होने वाला कुल 3,500 करोड़ रुपये के व्यय का वहन भारत सरकार करेगी।
प्रवासियों को भारत में किसी भी फेयर प्राइस शॉप से राशन खरीदने में सक्षम बनाने के लिए मार्च 2020 तक प्रौद्योगिकी प्रणाली का उपयोग होगा-एक राष्ट्र एक राशन कार्ड। राशन कार्डों की पोर्टेबिलिटी की पायलट योजना का 23 राज्यों तक विस्तार किया जाएगा। इससे अगस्त 2020 तक राशन कार्डों की राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबिलिटी के द्वारा 67 करोड़ लाभार्थियों यानी 83 प्रतिशत पीडीएस आबादी को इसके दायरे में लाया जाएगा। सौ प्रतिशत राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी के लक्ष्य को मार्च 2021 तक हासिल कर लिया जाएगा। यह पीएम की तकनीक आधारित व्यवस्थागत सुधारों की मुहिम का हिस्सा है। इस योजना से एक प्रवासी कामगार और उनके परिवार के सदस्य देश की किसी भी फेयर प्राइस शॉप से पीडीएस का लाभ लेने में सक्षम हो जाएंगे। इससे स्थान परिवर्तन करने वाले विशेष रूप से प्रवासी कामगार देश भर में पीडीएस लाभ लेने में सक्षम हो जाएंगे। केंद्र सरकार प्रवासी श्रमिकों और शहरी गरीबों के लिए सस्ते किराए पर रहने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू करेगी।
सस्ते किराए के आवासीय परिसर प्रवासी श्रमिकों, शहरी गरीबों और छात्रों आदि को सामाजिक सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करेंगे। ऐसा शहरों में सरकारी वित्त पोषित मकानों को रियायती माध्यम से पीपीपी मोड के तहत सस्ते किराए के आवासीय परिसरों में परिवर्तित करके किया जाएगा। विनिर्माण इकाइयां, उद्योग, संस्थाएं अपनी निजी भूमि पर सस्ते किराए के आवासीय परिसरों को विकसित करेंगे और उन्हें संचालित करेंगे। इसी तर्ज पर सस्ते किराये के आवासीय परिसरों को विकसित करने और संचालित करने के लिए राज्य सरकार की एजेंसियों/ केंद्र सरकार के संगठनों को प्रेरित किया जाएगा। इस योजना का पूरा विवरण मंत्रालय/ विभाग जारी करेगा। भारत सरकार मुद्रा शिशु ऋण लेने वालों में शीघ्र भुगतान करने वालों को 12 महीने की अवधि के लिए 2 फीसदी का ब्याज उपदान प्रदान करेगी, जिनके ऋण 50,000 रुपये से कम के हैं। मुद्रा शिशु ऋणों का वर्तमान पोर्टफोलियो लगभग 1.62 लाख करोड़ रुपये का है। शिशु मुद्रा ऋण लेने वालों को इसमें लगभग 1,500 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी।
स्ट्रीट वेंडरों पर मौजूदा स्थिति में सबसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, उनको ऋण तक आसान पहुंच की सुविधा देने के लिए एक महीने के भीतर एक विशेष योजना शुरू की जाएगी, ताकि उन्हें अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने में सक्षम बनाया जा सके। इस योजना के तहत प्रत्येक उद्यम के लिए 10,000 रुपये की प्रारंभिक कार्यशील पूंजी की बैंक ऋण सुविधा दी जाएगी। यह योजना शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के विक्रेताओं को भी कवर करेगी, जो आसपास के शहरी इलाकों में व्यवसाय करते हैं। मौद्रिक पुरस्कारों के माध्यम से डिजिटल भुगतानों के उपयोग और समय पर पुनर्भुगतान को प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसा अनुमान है कि 50 लाख स्ट्रीट वेंडर इस योजना के तहत लाभान्वित होंगे और उन तक 5,000 करोड़ रुपये का ऋण प्रवाहित होगा। क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना को मध्यम आय समूह के लिए (6 से 18 लाख रुपये के बीच वार्षिक आय) मार्च 2021 तक बढ़ाया जाएगा, इससे 2020-21 के दौरान 2.5 लाख मध्यम आय वाले परिवारों को लाभ होगा और आवासन क्षेत्र में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा। आवास क्षेत्र को बढ़ावा देकर ये बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा करेगा और इस्पात, सीमेंट, परिवहन व अन्य निर्माण सामग्री की मांग को प्रोत्साहित करेगा।
क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण के अंतर्गत लगभग 6000 करोड़ रुपये की निधियों का उपयोग शहरी क्षेत्रों सहित वनीकरण एवं वृक्षारोपण कार्यों, कृत्रिम पुनरुत्पादन, सहायता प्राप्त प्राकृतिक पुनरुत्पादन, वन प्रबंधन, मृदा एवं आर्द्रता संरक्षण कार्यों, वन सरंक्षण, वन एवं वन्यजीव संबंधी बुनियादी सुविधाओं के विकास, वन्यजीव संरक्षण एवं प्रबंधन आदि में किया जाएगा। भारत सरकार 6000 करोड़ रुपये तक की इन योजनाओं को तत्काल स्वीकृति प्रदान करेगी। इससे शहरी, अर्ध-शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों और जनजातियों के लिए रोज़गार अवसर सृजित होंगे। ग्रामीण सहकारी बैंकों और आरआरबी की फसल ऋण आवश्यकता को पूरा करने के लिए नाबार्ड 30,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पुनर्वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। यह पुनर्वित्त फ्रंट-लोडेड और मांग के अनुसार प्राप्य होगा। यह 90,000 करोड़ रुपये से अतिरिक्त राशि है, जो इस क्षेत्र को नाबार्ड के माध्यम से प्रदान कराई जाएगी। इससे लगभग 3 करोड़ किसानों को फायदा होगा, जिनमें ज्यादातर छोटे और सीमांत हैं और इससे उनकी रबी की फसल कटाई के बाद और खरीफ की मौजूदा जरूरतें पूरी होंगी। पीएम-किसान के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से रियायती ऋण प्रदान करने के लिए एक विशेष अभियान है। मछुआरे और पशुपालक किसान भी इस अभियान में शामिल किए जाएंगे। इससे कृषि क्षेत्र में 2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी आएगी। इसके तहत 2.5 करोड़ किसानों को कवर किया जाएगा।