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Tuesday 16 June 2020 01:29:59 PM
नई दिल्ली। भारत में 31 ज्येष्ठ, शक संवत 1942 अंग्रेजी तारीख 21 जून 2020 को वलयाकार सूर्य ग्रहण घटित होगा। भारत के उत्तरी भाग के कुछ स्थानों राजस्थान, हरियाणा तथा उत्तराखंड के हिस्सों के संकीर्ण गलियारे में प्रात:काल ग्रहण की वलयाकार प्रावस्था दृश्यमान होगी, जबकि देश के शेष भाग में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूपमें दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण के संकीर्ण वलय पथ में रहने वाले कुछ और प्रमुख स्थान हैं-देहरादून, कुरुक्षेत्र, चमोली, जोशीमठ, सिरसा, सूरतगढ़ आदि।
वलयाकार सूर्य ग्रहण की अधिकतम अवस्था के समय भारत में चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन लगभग 98.6 प्रतिशत होगा। आंशिक ग्रहण की अधिकतम अवस्था के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन दिल्ली में लगभग 94 प्रतिशत, गुवाहाटी में 80 प्रतिशत, पटना में 78 प्रतिशत, सिलचर में 75 प्रतिशत, कोलकाता में 66 प्रतिशत, मुम्बई में 62 प्रतिशत, बंगलुरू में 37 प्रतिशत, चैन्नई में 34 प्रतिशत, पोर्ट ब्लेयर में 28 प्रतिशत होगा। यदि पृथ्वी को संपूर्ण माना जाए तो ग्रहण की आंशिक प्रावस्था भा.मा.स. के अनुसार 9 बजकर 16 मिनट पर प्रारम्भ होगी। वलयाकार प्रावस्था भा.मा.स. के अनुसार 10 बजकर 19 मिनट पर प्रारम्भ होगी। वलयाकार प्रावस्था भा.मा.स. के अनुसार 14 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी तथा आंशिक प्रावस्था भा.मा.स. के अनुसार 15 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी।
सूर्य ग्रहण का वलयाकार पथ कोंगो, सूडान, इथियोपिया, यमन, सऊदी अरब, ओमान, पाकिस्तान, भारत एवं चीन के उत्तरी भागों से होकर गुजरेगा। चंद्रमा की प्रच्छाया से आंशिक ग्रहण होता है जोकि अफ्रीका में मगर उसके पश्चिमी तथा दक्षिणी हिस्से को छोड़कर, दक्षिण और पूर्व यूरोप, एशिया मगर इसके उत्तर एवं पूर्व रूस को छोड़कर तथा ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी हिस्सों में दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन तब घटित होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आ जाता है तथा ये तीनों एक ही सीध में होते हैं। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य के कोणीय व्यास की अपेक्षा छोटा होता है, जिसके परिणामस्वरूप चंद्रमा सूर्य को पूर्णतया ढक नहीं पाता है, फलत: चंद्रमा के चतुर्दिक सूर्य चक्रिका का छल्ला दिखाई देता है।
सलाह दी गई है कि ग्रहण से ग्रस्त सूर्य को थोड़े समय के लिए भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। सूर्य के अधिकतम भाग को चंद्रमा ढक ले, तबभी ग्रहण ग्रस्त सूर्य को न देखें अन्यथा इससे आंखों को स्थाई नुकसान हो सकता है, जिससे अंधापन भी हो सकता है। सूर्य ग्रहण के प्रेक्षण की सुरक्षित तकनीक है अल्यूमिनियम कृत माइलर, काले पॉलीमर, 14 नंबर शेड का वेल्डिंग ग्लास जैसे उपयुक्त फिल्टर का प्रयोग करना अथवा टेलेस्कोप के माध्यम से श्वेत पट पर सूर्य के छाया चित्र का प्रेक्षण करना।