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Wednesday 23 September 2020 03:39:13 PM
नई दिल्ली। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने विश्व गैंडा दिवस पर भारत में गैंडों के संरक्षण में अग्रिम पंक्ति के वनकर्मियों और अधिकारियों के अथक परिश्रम के लिए उन्हें बधाई दी है और उनका आभार जताया है। उन्होंने कहा कि भारत में गैंडों का सफलतापूर्वक संरक्षण किया गया है जिससे भारत गैंडों के लिए बेहतर संरक्षण क्षेत्र बन गया है। बीसवीं सदी के आखिर में विलुप्ति के कगार पर पहुंच गए एक सींघ और विशाल आकार वाले गैंडों की संख्या का उल्लेख करते हुए बाबुल सुप्रियो ने कहा कि उस समय इनकी संख्या महज़ 200 के आसपास रह गई थी, किंतु इनके संरक्षण के आवश्यक उपाय करने और बेहतर प्रबंधन से इनकी संख्या में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे अब हम कह सकते हैं कि अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाली इस प्रजाति का भविष्य भारत में सुरक्षित है।
गैंडों की आबादी की गणना समय-समय पर राज्य सरकारें करती हैं। भारत में इस समय एक सींघ और विशाल आकार वाले गैंडों की कुल संख्या की 75 प्रतिशत आबादी तीन प्रमुख राज्यों असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में है। विश्व गैंडा दिवस प्रतिवर्ष 22 सितंबर को मनाया जाता है, इसका उद्देश्य जंगली जीवों की इस प्रजाति के संरक्षण और इसके प्रवास के महत्व को उल्लेखित करना है। पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के इस वर्चुअल कार्यक्रम के आयोजन में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, राज्य वन विभाग, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, डबल्यूडबल्यूएफ़-इंडिया, आरण्यक, यूएनडीपी सहित विभिन्न विभागों और संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। राज्यमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार का केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के अधिकारियों का पटना चिड़ियाघर से दिल्ली चिड़ियाघर में एक नर गैंडा भेजने का अनुरोध स्वीकार करने के लिए धन्यवाद दिया।
गैंडों की प्रजाति को संरक्षित करने के लिए प्रयास जारी हैं। इंडियन राइनों विजन-2020 कार्यक्रम के तहत इस प्रजाति का वितरण बढ़ाने पर भी काम किया जा रहा है। विश्व धरोहर स्थल मानस राष्ट्रीय पार्क में एक वन से दूसरे वन में गैंडों का आदान-प्रदान हो रहा है। पर्यावरण मंत्रालय ने एक सींघ वाले गैंडों को रिकवरी कार्यक्रम के तहत उन 21 प्रजातियों में शामिल किया है, जो खतरे में हैं। एक सींघ वाले भारतीय गैंडों की संख्या बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय संरक्षण रणनीति आरंभ की गई है, इसके तहत वैज्ञानिक विधि भी अपनाई जाएगी। मंत्रालय असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की मदद से नई दिल्ली घोषणा पत्र के अनुरूप वह सभी कदम उठा रहा है, जो 26-28 फरवरी 2019 को हुए दूसरे एशियाई राज्य संरक्षण सम्मेलन में तय किए गए थे। सम्मेलन में भारत के अलावा भूटान, मलेशिया, नेपाल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पश्चिम बंगाल और बिहार सरकार भी इस ओर प्रयास कर रही है, साथ ही जो क्षेत्र कुछ दशक पहले गैंडों के प्रवास के लिए अनुकूल क्षेत्र रहे हैं, वहां गैंडों को फिरसे बसाया जा रहा है।