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भारतीय चिकित्सा शिक्षा में ऐतिहासिक बदलाव

भारतीय चिकित्सा परिषद की जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग गठित

चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शी एवं गुणवत्तापूर्ण उत्तरदायी व्यवस्था

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 26 September 2020 03:34:59 PM

national medical commission

नई दिल्ली। भारत सरकार ने दशकों पुरानी संस्था भारतीय चिकित्सा परिषद को खत्म कर दिया है और इसके स्‍थान पर चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा सेवा के क्षेत्र संविधान में बड़े बदलाव करते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बना दिया गया है। सरकार ने अब चार स्वायत्त बोर्ड गठित किए हैं। एनएमसी के साथ स्नातक और परास्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड, चिकित्सा आकलन और मानक बोर्ड और नैतिक एवं चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड का होंगे, जो एनएमसी को दिन प्रतिदिन के कामकाज में मदद करेंगे एवं जवाबदेह होंगे। भारत सरकार का कहना है कि यह ऐतिहासिक सुधार है, जिसके चलते भारतीय चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी और गुणवत्तापूर्ण उत्तरदायी व्यवस्था बनेगी। इसमें सबसे बड़ा बदलाव यह आया है कि नियामक नियंत्रक का चयन योग्यता के आधार पर किया जाएगा ना कि चुने गए नियामक नियंत्रक के द्वारा। महिला एवं पुरुषों के शुचितापूर्ण एकीकरण, व्यावसायीकरण, अनुभव और व्यक्तित्व को महत्व मिलेगा, इससे चिकित्सा शिक्षा में और ज्यादा सुधार होंगे।
भारत सरकार ने इस आयोग की अधिसूचना जारी कर दी है। एम्स के ईएनटी विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ एसपी शर्मा एनएमसी के 3 वर्ष की अवधि के लिए अध्यक्ष बनाए गए हैं। एनएमसी के अध्यक्ष के अलावा 10 अन्य अधिकारी सदस्य होंगे, जिनमें चारों स्वायत्त बोर्डों के अध्यक्ष शामिल होंगे, जिनमें पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के निदेशक डॉ जगत राम, टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉ राजेंद्र बादवे और गोरखपुर एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ सुरेखा किशोर नियुक्त किए गए हैं। एनएमसी में 10 नामित सदस्य होंगे जो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विश्वविद्यालयों के उपकुलपति स्तर के होंगे। इसमें राज्य शिक्षा परिषदों से 9 मनोनीत सदस्य भी होंगे और विविध सेवा क्षेत्रों से जुड़े तीन विशेषज्ञ सदस्य होंगे। महाराष्ट्र के मेलाघाट जनजातीय क्षेत्र में काम करने वाली जानीमानी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ स्मिता कोल्हे और फूटसोल्जर फॉर हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ संतोष कुमार क्रालेती बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य नियुक्त कर दिए गए हैं। डॉ आरके वत्स एनएमसी के सचिवालय में सचिव होंगे।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के साथ जो चार बोर्ड गठित किए गए हैं वह भी तत्काल प्रभावी हो गए हैं, इसमें स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड, परास्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड के अलावा विदेशों में स्नातक और परास्नातक चिकित्सा शिक्षा तथा मान्यता हेतु मूल्यांकन और चिकित्सकों के आचरण से जुड़े मामलों के लिए आकलन और मानक बोर्ड तथा नैतिक एवं चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड शामिल हैं। डॉ वीके पॉल के अधीन शासक मंडल की सुधार पहल को एनएमसी आगे बढ़ाएगा। भारत में एमबीबीएस सीटें 2014 के 54,000 की तुलना में 2020 में 48 प्रतिशत बढ़ाकर पहले ही 80,000 की जा चुकी हैं। इसी अवधि के दौरान परास्नातक के लिए सीटों की संख्या में 79 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और यह 24,000 से बढ़कर अब 54,000 हो गई है। एनएमसी का मुख्य कार्य नियामक व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना, संस्थाओं का मूल्यांकन करना, एचआर आकलन करना और शोध पर अधिक ध्यान देना है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एमबीबीएस करने के उपरांत कॉमन फाइनल ईयर परीक्षा के तौर-तरीकों पर काम करेगा और उनपर नज़र रखेगा, जिसका उद्देश्य पंजीकरण और परास्नातक प्रवेश के लिए सेवाएं देना, निजी चिकित्सा विद्यालयों के शुल्क ढांचे का नियमन करना और सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराने के बारे में मानक तय करना, जिसमें सीमित सेवा लाइसेंस दिया जाएगा। यहां उल्लेखनीय है कि अगस्त 2019 में संसद ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम 2019 पारित किया था। एनएमसी अधिनियम के 25 सितंबर 2020 से प्रभावी होने के साथ ही भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 को खत्म कर दिया गया है और भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा नियुक्त किए गए शासक मंडल को भी तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया गया है।

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