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Thursday 18 April 2013 08:06:06 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग एवं कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने बृहस्पतिवार को विदेश व्यापार नीति 2009-14 के लिए वार्षिक अनुपूरक 2013-14 जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2012-13 में भारत का निर्यात 300 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 300.60 बिलियन अमरिकी डॉलर हो गया है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में इसमें 1.76 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह चिंता की बात है कि वित्तीय घाटा जो पिछले वर्ष 183.4 बिलियन अमरिकी डॉलर था, वह बढ़कर 190.91 बिलियन अमरिकी डॉलर हो गया है।
आनंद शर्मा ने कहा कि भारत विश्व में सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया है और दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ निर्यातक देश भी हो गया है। सितंबर, 2011 से भारत ने 6 मिलियन एमटी से ज्यादा गेहूँ निर्यात किया है और फिलहाल दाल और खाद्य तेलों को छोड़कर सभी कृषिगत वस्तुएं मुक्त हैं। उन्होंने कहा कि जैविक कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए गए हैं, साथ ही लंबे समय तक के करार की संभावना के लिए विचार किया है कि कुछ परिष्कृत तथा मूल्य संवर्धन उत्पादों को निर्यात में छूट दी जाए, ताकि आधारभूत कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध की स्थिति में भी इन उत्पादों का मुक्त रूप से निर्यात किया जा सके। उदाहरण के लिए दूध और दूध से बने उत्पाद के निर्यात पर प्रतिबंध की स्थिति में भी पनीर, घी, मक्खन, केसीन जैसे उत्पाद निर्यात प्रतिबंध से मुक्त हैं।
उन्होंने कहा कि गत चार वर्षों में हमने गंभीरता से व्यापार उदारीकरण की नीति पर कार्य किया है, पिछले वर्ष संस्मारक शिखर सम्मेलन के दौरान सेवा तथा निवेश के संबंध में किए गए हस्ताक्षर के बाद आसियान (एएसईएएन) के साथ विस्तृत आर्थिक भागीदारी समझौता संपन्न हुआ है। शून्य कर ईपीसीजी योजना निर्यात की प्रौद्योगिकी तीव्रता को बढ़ाने की एक महत्वपूर्ण योजना है, यह योजना मार्च, 2013 में समाप्त होने वाली थी, लेकिन एक बड़े फैसले के तहत न केवल शून्य कर ईपीसीजी योजना को मार्च, 2013 से आगे विस्तार करने का फैसला किया गया, बल्कि इसे 3 प्रतिशत ईपीसीजी योजना से भी जोड़ने का निर्णय लिया गया। अब इस योजना का लाभ सभी क्षेत्रों को मिल रहा है।
आनंद शर्मा ने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में तीन महीने के लिए हमने एक नई योजना-वृद्धि संबंधी निर्यात प्रोत्साहन योजना शुरू की है, जिसके तहत दिए गए अवधि के दौरान पिछले वर्ष के दिए गए अवधि के दौरान वृद्धि संबंधि निर्यात पर निर्यात के एफओबी मूल्य का 2 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया गया। यह योजना अमेरिका, यूरोप तथा एशिया क्षेत्र को किए जाने वाले निर्यात के लिए उपलब्ध कराई गई। इस योजना की लोकप्रियता को देखते हुए इसके लाभ का विस्तार इस वर्ष के लिए कर दिया गया है, ताकि पहले से निर्धारित बाजारों के अलावा लेटिन अमेरिका और अफ्रीका के कुल 53 देश इस योजना के दायरे में आ सकें।