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Friday 26 April 2013 04:21:21 AM
भुवनेशवर। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरूवार को भुवनेशवर के उत्कल विश्वविद्यालय के 45वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में भाग लिया। जाने-माने शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय 1943 में कटक में एक किराए के भवन में शुरू हुआ था और आज यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में उच्च शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के बढ़ते हुए दायरे को देखकर बहुत गर्व और संतोष महसूस हो रहा है। इस विश्वविद्यालय की नींव भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने रखी थी और इसका शुभारंभ देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृणन ने किया था।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति की प्रगति और सशक्तिकरण में शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राष्ट्रपति ने युवाओं को शिक्षित करने वाले तथा समाज को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने वाले उन सभी लोगों से आग्रह किया वे इस प्रक्रिया पर ज़ोर दें। उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों को ऐसी शिक्षा देने में मुख्य भूमिका निभानी चाहिए जो हमारे समक्ष नैतिक चुनौतियों से निपटने में मदद करे, इन्हें, हर व्यक्ति की गरिमा तथा समानता के मूल्यों पर आधारित आधुनिक लोकतंत्र के निर्माण में मदद करनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान में कहा गया है कि हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जो व्यक्ति की स्वतंत्रता, सभी के लिए आर्थिक अवसरों और सामाजिक न्याय पर आधारित हो। उन्होंने कहा कि हमे अपने लोगों विशेषकर सामाजिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों की बेहतरी के लिए कार्य करना चाहिए। समावेशी आर्थिक वृद्धि की हमारी रणनीति से सकारात्मक परिणाम मिले हैं, हमारी औसत आर्थिक वृद्धि दर पिछले 10 वर्षों में 7.9 प्रतिशत थी। हालांकि 2012-13 में यह 5.0 प्रतिशत पर पहुंच गई। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस संबंध में उठाए जा रहे उपायों से अगले दो से तीन वर्षों में हमारी वृद्धि दर 7 से 8 प्रतिशत के स्तर तक पहुंच जाएगी।
उन्होंने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली गुणवत्ता, व्यवहारिकता और पहुंच के तीन स्तंभों पर आधारित है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक डिग्री देने वाले कुल 659 संस्थान और 33,000 से अधिक कॉलेज थे। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक उच्च शिक्षा में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या 2.6 करोड़ थी, जो कि 12वीं पचंवर्षीय योजना के अंत तक बढ़ कर 3.6 करोड़ हो सकती है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों को शिक्षण के नवाचार तरीकों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने डिग्रियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि महिला और बच्चियों के साथ जघन्य दुष्कर्म का भी जिक्र किया और कहा कि यह वक्त है कि समाज से लुप्त होते मूल्यों पर विचार किया जाए तथा महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में बार-बार हो रही नाकामियों पर ध्यान दिया जाए।इस अवसर पर ओडिशा के राज्यपाल डॉ एससी जमीर और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी मौजूद थे।