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Saturday 27 April 2013 04:07:01 AM
नई दिल्ली। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने लोकसभा में बताया कि वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) देश में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए आवश्यक वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय ज्ञानाधार उपलब्ध कराती रही है। सीएसआईआर की ‘सीएसआईआर-800’ नामक स्कीम आर्थिक पिरामिड के सबसे निचले पायदान पर स्थित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने, नीरसता को समाप्त करने तथा उनकी आय में वृद्धि करने हेतु वांछित वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय अंतराक्षेप उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। इस स्कीम के माध्यम से सीएसआईआर प्रौद्योगिकी-समर्थित गांव (टेकविल) पहल आर्थिक पिरामिड के सबसे निचले पायदान पर स्थित एक मिलियन लोगों के लिए प्रासंगिक प्रौद्योगिकीय अंतराक्षेप उपलब्ध कराने, उनके कौशल विकास एवं उन्नयन से संबंधित स्कीम है।
सीएसआईआर रोज़गार सृजन को एवं आय में वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए गांवों को अपनाता रहा है। इस प्रकार इसने समुदाय प्रतिभागिता के माध्यम से उत्तरांचल में जिरेनियम और जम्मू एवं कश्मीर में लेवेंडर की वाणिज्यिक कृषि को उत्प्रेरित किया है। इन आद्योपांत (एंड टू एंड) मिशनों में किसानों को न केवल जिरेनियम और लेवेंडर की कृषि में अपितु तेल के निष्कर्षण में भी प्रशिक्षित किया गया है, परिणामस्वरूप उनकी आय में वृद्धि हुई है। इस प्रकार से सीएसआईआर ने मेंथा की महत्वपूर्ण किस्मों के विकास और वृहद मात्रा में कृषि हेतु उनके प्रचार के लिए प्रयास किए हैं। इन प्रयासों से भारत का आर्थिक विकास हुआ है और भारत मेंथॉल मिंट तेल के उत्पादन और निर्यात में विश्व में नेतृत्व की स्थिति हांसिल कर पाया है।