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Saturday 27 April 2013 07:24:37 AM
चित्तौड़गढ़। इक्कीस अप्रैल को ई-पत्रिका अपनी माटी ने माटी के मीत नाम से एक कविता केंद्रित कार्यक्रम का आयोजन किया। सवाई माधोपुर के विनोद पदरज और अजमेर के अनंत भटनागर ने सामान्य श्रोताओं के मध्य नई कविता का प्रभावी पाठ किया और मुक्त छंद की कविता को वाचिक परंपरा से जोड़ने का सफल प्रयत्न किया। विनोद पदरज ने कचनार का पीत पात, बेटी के हाथ की रोटी, शिशिर की शर्वरी, दादी माँ, उम्र आदि कविताएँ सुनाईं, जबकि अनंत भटनागर ने झुकी मुट्ठी, सेज का मायावी संसार ,मुझे फांसी दो, मोबाइल पर प्रेम आदि कविताओं का पाठ किया।
विनोद पदरज की कविताओं पर टिप्पणी करते हुए डॉ रेणु व्यास ने कहा कि उनकी कविता बची हुई मनुष्यता का शब्दचित्र है, एक तरफ कवि परिवेश में विद्यमान विषमताओं से उपजी पीड़ा को वाणी देता है, दूसरी ओर घरेलू जीवन और पारिवारिक रिश्तों में गरमाहट की तलाश करता है। अनंत भटनागर की कविताओं पर केंद्रित समीक्षा लेख में डॉ राजेंद्र कुमार सिंघवी ने समकालीन कविता के दो मुख्य विमर्शों दलित एवं स्त्री से संदर्भित करते हुए बताया कि अनंत की कविता सामाजिक प्रतिबद्धता एवं आस्था का संगुफन है।
विशिष्ट अतिथि कोटा के कवि अंबिका दत्त ने मौजूदा परिदृश्य में संसाधनों की भरमार और उसी अनुपात में रचनात्मकता के निरंतर घटाव पर चिंता ज़ाहिर करते हुए समाज में सोद्देश्य कविता की सतत उपस्थिति पर बल दिया। उनके मुताबिक़ कविता असंभव में संभव का दर्शन कराती है। कार्यक्रम के आरंभ में बीज वक्तव्य में डॉ कनक जैन ने नवे दशक की कविता की अंतर्वस्तु एवं उसके रूप की चर्चा करते हुए कहा कि आज की हिंदी कविता बाजारवाद की चुनौती से जूझ रही है।
डॉ सत्यनारायण व्यास ने कहा कि सृजन पहले दर्जे का सच है, इसलिए आलोचकों को सृजक का आदर करना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही सृजक को सामाजिक दायित्वबोध युक्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उक्ति वैचित्र्य मात्र कविता नहीं है, कविता की ज़िम्मेदारी सीखनी हो तो नागार्जुन, त्रिलोचन सरीखे कवियों से सीखी जानी चाहिए। उनका कहना था कि रस, राग और भाव का बहिष्कार कर कविता संप्रेषणीय और दीर्घजीवी नहीं हो सकती। कार्यक्रम में रचनाकार-श्रोता संवाद के अंतर्गत डॉ नरेंद्र गुप्ता, लक्ष्मण व्यास, प्रवीण कुमार जोशी, अफसाना बानो, कृष्णा सिन्हा, नटवर त्रिपाठी, एमएल डाकोत, विकास अग्रवाल ने चर्चा में भाग लिया और अंश ग्रहण किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ राजेश चौधरी ने किया।