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राष्‍ट्रीय कैंसर ग्रिड और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं

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Monday 29 April 2013 03:25:43 AM

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नई दिल्‍ली। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा में बताया कि जैसा कि टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने सुनिश्चित किया है, राष्‍ट्रीय कैंसर ग्रिड की परिकल्‍पना देश के वर्तमान और भावी सभी प्रमुख कैंसर केंद्रों के नेटवर्क के रूप में की गई है। उन्‍होंने बताया कि इसके गठन का उद्देश्‍य-कैंसर की उच्‍च गुणवत्‍ता वाली देखभाल मरीजों की दहलीज पर लाते हुए देश भर में मरीजों की देखभाल के समान मापदंड बनाना। देश में कैंसर प्रबंधन के लिये मानव संसाधन की क्षमताओं में वृद्धि करना। कैंसर में सहयोगपूर्ण अनुसंधान को बढ़ावा देना।
इसके लिए अगस्‍त 2012 और फरवरी 2013 में दो प्रारंभिक बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें देश के प्रमुख कैंसर केंद्रों ने हिस्‍सा लिया। महाराष्‍ट्र सरकार ने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में समग्र कैंसर संस्‍थान की स्‍थापना के लिये 378.47 करोड़ रुपये की वित्‍तीय सहायता की पेशकश की है। कैंसर की वर्तमान योजना (कैंसर, मधुमेह, हृदय रोगों एवं स्‍ट्रोक से बचाव एवं नियंत्रण के लिये राष्‍ट्रीय कार्यक्रम-एनपीसीडीसीएस) में इतनी क्षमता वाले प्रस्‍ताव पर विचार करने का प्रावधान नहीं है। वर्तमान योजना में दिशा-निर्देशों और शर्तों का पालन करने के पश्‍चात 6.00 करोड़ रुपये (4.80 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और 1.20 करोड़ राज्‍य सरकार की ओर से) की वित्‍तीय सहायता मुहैया कराई गई है। राज्‍य और संघ शासित प्रदेशों की सरकारों की ओर से राष्‍ट्रीय कैंसर ग्रिड के तहत प्रस्‍ताव प्राप्‍त नहीं हुए हैं।
परिवार कल्‍याण मंत्री ने बताया कि लोगों को आवश्‍यक स्‍वास्‍थ्य देखभाल संबंधी सुविधाएं उपलब्‍ध कराना राज्‍य सरकारों की जिम्‍मेदारी है, क्‍योंकि जन स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍यों का विषय है, जहां तक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान नई दिल्‍ली, जीपमर पुड्डुचेरी, पीजीआई चंडीगढ़ और दिल्‍ली में केंद्र सरकार के तीन अस्‍पतालों-सफदगंज अस्‍पताल, डॉक्‍टर राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल और लेडिग हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और उससे संबद्ध अस्‍पतालों की बात है, वहां सभी सुविधाएं आम लोगों को उपलब्‍ध हैं। उन्‍होंने बताया कि क्‍लीनिकल स्‍टैब्लिशमेंट (रजिस्‍टेशन एंड रेगुलेशन) कानून 2010 अरूणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम तथा सभी केंद्र शासित प्रदेशों में पहली मार्च 2012 से लागू कर दिया गया है। उत्‍तर प्रदेश, राजस्‍थान, बिहार और झारखंड ने इस कानून को अपनाया है तथा बाकी राज्‍यों से इसे अपनाने का अनुरोध किया गया है। इस कानून के लिए वेब पोर्टल एनआईसी की सलाह के साथ विकसित किया गया है और क्‍लीनिकल स्‍टैब्लिशमेंट पंजीकरण को इस वेब पोर्टल के जरिए चालू कर दिया गया है। उन्‍होंने बताया कि फिलहाल सरकार का स्‍वास्‍थ्‍य नियामक संस्‍था बनाने का कोई प्रस्‍ताव नहीं है, लेकिन जब क्‍लीनिकल स्‍टैब्लिशमेंट कानून 2010 पूरी तरह लागू हो जाएगा, तब इसकी आवश्‍यकता की समीक्षा की जाएगी।

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