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Monday 29 April 2013 03:49:51 AM
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों यानी आईआईटी का गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों को आकर्षित करने और बने रहने के लिए समुचित नीति तैयार करने का इरादा है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ शशि थरूर ने बताया कि इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान वर्ष भर खुले विज्ञापन देंगे, वीडियो कांफ्रेंस के जरिए चयन समिति की बैठकें की जाएंगी, क्षमता वाले उम्मीदवारों तक पहुंच के लिए पूर्व छात्रों, वैज्ञानिकों भारत और विदेश के शिक्षकों की सेवा ली जाएंगी, विदेशों से पेशेवर लोगों को आकर्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में विज्ञापन दिया जाएगा और युवा शिक्षक पुरस्कार शुरू किया जाएगा।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने बताया कि इसके अलावा सरकार ने केंद्र सरकार या केंद्रीय स्वायत्त निकायों में कार्यरत शिक्षकों को लंबे समय के लिए प्रतिनियुक्ति पर केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में सेवा देने की अनुमति दे दी है। यह अवधि दस वर्ष की हो सकती है। संस्थान, शिक्षकों के स्थायी पद के लिए अप्रवासी भारतीयों और भारतीय मूल के नागरिकों को नियुक्त कर सकेंगे। आईआईटी में लगभग 42 प्रतिशत और एनआईटी यानी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में लगभग आधे पद रिक्त हैं।
देश में इस समय 16 आईआईटी और 30 एनआईटी हैं। वर्तमान कमी को दूर करने के लिए यह संस्थान अनुबंध पर शिक्षकों को नियुक्त कर रहे हैं और विजिटिंग फैकल्टी की सेवा ली जाती है। कमी का प्रमुख कारण इन संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती के लिए पीएचडी की न्यूनतम योग्यता होना है। बीटेक, एमटेक पाठ्यक्रम पास करने वाले कई विद्यार्थियों को कंपनियों या निगमों में प्लेसमेंट मिल जाती है और वे शिक्षक बनने का विकल्प नहीं चुनते।