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Monday 29 April 2013 03:59:12 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने बहुप्रतिक्षित एनसीडीसी-राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के नए भवन परिसर की आधारशिला रखी। अमरीका में अट्लांटा जैसे संस्थान के जैसा है, भारत में यह संस्थान, जिसका अपना एक इतिहास है। भारत में भी इसी प्रकार के भवन बनाने की कल्पना की गई थी, आज इस कल्पना ने भारत में भी साकार रूप लिया। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने सपने के अनुरूप दिल्ली में देश का पहला ऐम्स बनाया, हाल ही में ऐसे छह ऐम्स देश के विभिन्न भागों में बनाए गए हैं। इससे भारत में चिकित्सा के इतिहास में बड़ी क्रांति आई है। परिवार कल्याण मंत्री का कहना है कि एनसीडीसी ने महत्वपूर्ण सेवा की है, संचारी रोगों के क्षेत्र में शिक्षा, प्रशिक्षण पर अनुसंधान के लिए इसे विश्वस्तरीय संस्थान माना जाता है।
ढांचागत विस्तार, जनशक्ति के उन्नत प्रशिक्षण, नई प्रौद्योगिकी के आगमन से यह संस्थान, उभर रहे रोगों पर कारगर रूप से काबू पाने की जटिल चुनौती का सामना करने में सक्षम हो जाएगा। प्रमुख संचारी रोगों पर निगरानी और नियंत्रण में एनसीडीसी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वास्थ्य मंत्रालय 12वीं पंचवर्षीय योजनाओं में इसकी आठ शाखाओं को सशक्त बनाने और इसके अलावा देश के विभिन्न भागों में इसकी 27 और शाखाएं खोलने का इच्छुक है। ऐसा हो जाने से हर राज्य में एनसीडीसी की शाखा हो जाएगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने, निगरानी में सुधार लाने और अन्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए डेटाबेस बनाने का काम आसान हो जाएगा। आने वाले समय में यह जनता की सेवा में प्रमुख भूमिका निभाएगा। एनसीडीसी को पहले एनआईसीडी के नाम से जाना जाता था।
मूल रूप में इसकी शुरूआत 1909 में हिमाचल प्रदेश के कसौली में केंद्रीय मलेरिया ब्यूरो के रूप में की गई थी। बाद में इसका नाम बदलकर मलेरिया सर्वे ऑफ इंडिया रखा गया। वर्ष 1938 में फिर इसका नाम बदलकर मलेरिया इंस्टटीयूट ऑफ इंडिया के रूप में इसे दिल्ली में लाया गया। वर्ष 1960 के दौरान देश भर में मलेरिया के मामले में बेहद कमी आने के बाद इसके कामकाज में अन्य संचारी रोगों को शामिल किया गया और 1963 में इसे एनआईसीडी का नाम दिया गया। वर्ष 2009 में मूल संस्था के शताब्दी समारोह के समय इसे एनसीडीसी का नाम दिया गया। यह रोगों के नियंत्रण के लिए तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करती है और प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करने और तकनीकी मार्गदर्शन देने एवं देशभर में संचारी रोगों की राष्ट्रव्यापी निगरानी में तालमेल का काम करती है।
इसके पास रोग फैलने पर उसके अन्वेषण और प्रबंधन करने की विशेषज्ञता प्राप्त है। हाल ही में एनसीडीसी ने एवियन फ्लू, एचवन एनवन और सीसीएचएफ बुखार पर काबू पाने की अपनी सक्षमता प्रदर्शित की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनसीडीसी को उन्नत बनाने के लिए 11वीं और 12वीं योजना में 382.41 करोड़ रुपए निधारित किए हैं। इनमें से 326.19 करोड़ रुपए नए भवन के लिए हैं। उन्नत एनसीडीसी में नया भवन, आधुनिक उपकरण और अधिक जनशक्ति होगी। एनसीडीसी के उन्नत होने के बाद कई नए कार्यक्रम शुरू किए जा सकेंगे और यह अपनी प्रमुख भूमिका निभाती रहेगी।