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Tuesday 30 April 2013 07:07:05 AM
दुमका, झारखंड। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को दुमका में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया और कहा कि भारत में तेज़ी से बदलाव का दौर चल रहा है, जिसे रोका नहीं जा सकता, हालांकि यह बदलाव समाज के हर क्षेत्र में अलग-अलग गति से हो रहा है, भारतीय समाज में भौगोलिक, धर्म, जाति, लैंगिक और रोज़गार के रूप में विभिन्नता की जटिलता को देखते हुए इस बदलाव की प्रक्रिया की ध्यानपूर्वक निगरानी और इसका गहन संचालन करने की ज़रूरत है, इस बदलाव का सफल प्रबंधन वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौति है, इस बदलाव में हमारी प्रतिक्रिया, भारत के एक राष्ट्र के रूप में उसका भाग्य तय करेगी।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि हम महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं। हमें इन अपराधों के कारणों का पता लगा कर उनका हल तलाशना होगा। प्रणव मुखर्जी ने कहा कि महिलाओं के मान-सम्मान की सुरक्षा हमेशा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थानों का भी यह दायित्व है कि ऐसी शिक्षा प्रदान करें जो नैतिक चुनौतियों का सामना करने में मद्दगार हो, शिक्षा समाज में मानवीय प्रतिष्ठा और समानता के मूल्यों के प्रसार में सहायक होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की वर्तमान जनसंख्या का स्वरूप इसको और बल प्रदान करता है। वर्ष 2020 तक भारत में औसत आयु 29 वर्ष होगी। यह अमरीका 40 वर्ष, जापान 46 वर्ष और यूरोप 47 वर्ष से काफी कम होगी। 2025 तक दो-तिहाई भारतीय कामकाजी आयु वर्ग में होंगे, अगर हम इस क्षमता का सही ढंग से उपयोग करें तो देश के आर्थिक स्वरूप को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस अवसर का लाभ उठाने के लिए हमें शिक्षा में निवेश करना होगा और उच्च शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष ध्यान होगा। हमें शिक्षा प्रणाली में उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विकरण के दौर में विश्वविद्यालय, राष्ट्र की महत्वपूर्ण संपत्तियों के समान हैं, दुनियाभर में सरकारों ने विश्वविद्यालयों में भारी निवेश किया हैं, इन्हें ज्ञान और नई सोच का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।