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Friday 03 May 2013 06:54:26 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में केंद्रीय संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने दक्षिण भारतीय चित्रकला की तंजौर और मैसूर दीर्घाओं को आम दर्शकों के लिए उद्घाटन करके खोल दिया। इन दीर्घाओं में 88 चित्र रखे गए हैं। सभी चित्र बहुत अनोखे और चित्रकारों की प्रतिभा के अद्भुत उदाहरण हैं।
तंजौर चित्रकला-इस वर्ग में जो अनोखे चित्र प्रदर्शित किये गए हैं, उनमें प्रमुख हैं-तंजौर नरेश शिवाजी द्वितीय की 1830 की नवनीत कृष्ण शीर्षक कलाकृति और 19वीं सदी की नटराज शिव की राम पट्टाभिषेक तथा 19वीं सदी का बना चित्र सरफोजी द्वितीय का दरबार (1798-1833)।
मैसूर चित्रकला-इस दीर्घा में प्रदर्शित कुछ कृतियों के शीर्षक हैं-शिव-पार्वती और सीता-राम के विवाह समारोह, 18वीं सदी के अंत का बना हुआ पार्वती के समक्ष शिव का सांध्य तांडव, 19वीं सदी के शुरू में बनाया गया भरत के चिता प्रवेश को हनुमान द्वारा रोकने का दृश्य, 19वीं सदी का देवी सरस्वती, 19वीं सदी का ही बना राम दरबार और 19वीं सदी का गीता उपदेश। ये कला दीर्घाएं नये सिरे से सजाई गई हैं और इनमें अति-आधुनिक प्रकार के शीर्षक लगाए गए हैं। दीर्घाओं में तंजौर और मैसूर चित्रकला शैलियों पर स्लाइड शो दिखाने की भी व्यवस्था है।
चंद्रेश कुमारी कटोच ने तंजौर और मैसूर चित्रकला से संबंधित पुस्तिकाओं और पाँच ग्रीटिंग कार्ड का भी विमोचन किया। ये दोनों दीर्घाएं आम दर्शकों के लिए प्रति दिन सवेरे दस बजे से शाम पाँच बजे तक खुली रहेंगी। सोमवार को छुट्टी रहेगी। तंजौर और मैसूर चित्रकला वर्ग में आमतौर पर तीन प्रकार के चित्र बनाए गए हैं। इनमें कृष्ण, राम, विष्णु आदि देवताओं के चित्र और उनके विभिन्न अवतार तथा लक्ष्मी और अन्य देवी-देवताओं के चित्र, शिव के विभिन्न अवतार तथा देवी पार्वती और कार्तिकेय, सुब्रमण्यमय और गणेश के चित्र और विभिन्न राजा-महाराजाओं, साधु-संतों आदि के चित्र बनाए जाते रहे हैं।