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Saturday 01 June 2013 07:56:29 AM
पुणे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 31 मई को पुणे में उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी संस्थान (डीआईएटी) के सातवें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि सशक्त भारत की लोकतांत्रिक राज्यव्यवस्था और बहुलवादी समाज में हमारी सेना का विशिष्ट योगदान है, भारत स्थिर और नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का इच्छुक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी आधुनिक सेना के लिए यह अनिवार्य है कि वह ज्ञान पर आधारित संस्था हो, रक्षा तैयारियों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का बढ़ता इस्तेमाल आज आवश्यकता बन चुकी है, ज्ञान का क्षेत्र बनाने तथा नवाचार के जरिए क्षमताएं विकसित करने एवं व्यवस्था को सशक्त बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं को समस्याओं की पहचान करने, रुझानों को रेखांकित करने, परिदृश्य विकसित करने तथा सिफारिश के अनुसार नीतिगत विकल्पों के लिए सक्रिय होना चाहिए, ताकि किसी भी संकट से निपटा जा सके।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे देश में संस्थाओं का पूल होना चाहिए, जो हमारी रक्षा प्रणाली की प्रौद्योगिकीय क्षमता बढ़ाने तथा रक्षा एवं सुरक्षा के मुद्दों पर ज्ञान का विस्तार करने के लिए समर्पित हो। उन्होंने कहा कि हमारे रक्षा प्रतिष्ठान की जरूरतें पूरी करने के लिए अत्याधुनिक ज्ञान सृजित करने में विशिष्ट रक्षा अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के रूप में उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका है।