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Saturday 01 June 2013 10:19:29 AM
बैंकॉक। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 30-31 मई को थाईलैंड की यात्रा की। उनके साथ विदेश मंत्री, उच्चस्तोरीय अधिकारी और मीडिया शिष्टामंडल भी था। भारत के प्रधानमंत्री ने भारत और थाईलैंड के बीच साझा सांस्कृ्तिक विरासत के प्रतीक के रूप में थाईलैंड के नरेश भूमिबल अदुल्यंदेज को बोध गया के पवित्र बोधि वृक्ष का एक पौधा उपहार स्वशरूप भेंट किया। भारत और थाईलैंड के बीच आधिकारिक बातचीत 30 मई को हुई। प्रधानमंत्री यिंगलुक शिंवात्रा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भारतीय शिष्टमंडलके सम्मािन में राजकीय भोज का आयोजन किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने परस्पोर हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर व्यांपक विचार-विमर्श किया। उन्होंने साझा ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृंतिक संबंधों पर आधारित, मजबूत, व्या पक और घनिष्ठई रिश्ता कायम करने के लिए हाल के वर्षों में की गई प्रगति की समीक्षा की। उन्होंयने इस बात पर संतोष व्यंक्तप किया कि भारत और थाईलैंड ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तंरों पर एक सुदृढ़ और परस्प्र लाभदायक सहयोग विकसित किया है और इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास, शांति और स्थिरता कायम करने में योगदान किया है। इस बात पर सहमति व्यतक्तकी गई कि महत्वहपूर्ण प्रगति के बावजूद संबंधों में और विस्ताझर की पर्याप्तसंभावनाएं हैं। थाईलैंड की 'लुक वेस्ट्' और भारत की 'लुक ईस्टत' नीतियां दोनों देशों के संबंधों को कार्यनीतिक भागीदारी के रूप में विकसित करने का आधार सिद्ध होंगी।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर संतोष व्याक्तआ किया कि हाल के वर्षों में भारत और थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार में महत्वधपूर्ण वृद्धि हुई है। पिछले पांच वर्षों में भारत और थाईलैंड के बीच व्यामपार में 15 प्रतिशत वार्षिक बढ़ोतरी हुई। पिछले वर्ष द्विपक्षीय व्या पार 8.6 अरब अमरीकी डालर से अधिक का रहा। दोनों देशों ने उम्मीरद जाहिर की कि आपसी लाभ और स्थाअयी आर्थिक विकास के लिए द्विपक्षीय व्यामपार में वृद्धि का सिलसिला जारी रहेगा। दोनों ने भारत और थाईलैंड के बीच हाल के वर्षों में निवेश में बढ़ोतरी की सराहना की, जिससे दोनों देशों में आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिली है। थाईलैंड के निवेश बोर्ड ने 20 करोड़ अमरीकी डालर के निवेश वाली 25 भारतीय परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की। पिछले वर्ष थाईलैंड से भी भारत में 1.2 करोड़ अमरीकी डालर का प्रत्योक्ष विदेशी निवेश हुआ।
भारत ने विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में, विशेषकर दिल्लीव-मुम्बदई और चेन्नंई-बंगलौर औद्योगिक गलियारों, बौद्ध स्थतलों तथा देश के पूर्वोत्तार राज्यों। में थाईलैंड से निजी निवेश आमंत्रित किया है। भारत बंदरगाहों और राजमार्गों, इलेक्ट्रो निक्स्, ऑटमॅबील कल-पुर्जों, खाद्य प्रसंस्कगरण और बिजली उत्पालदन तथा पर्यटन एवं आवभगत सुविधाओं में भी थाईलैंड के निवेश का स्वाउगत करेगा। भारत ने थाईलैंड में परिवहन और बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं में निवेश करने में रुचि प्रकट की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने थाईलैंड-भारत व्या पार मंच की स्थानपना का स्वाटगत किया। निजी क्षेत्र की भागीदारी से बनाया गया यह मंच द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश के विस्तामर को बढ़ावा देगा और व्यागपार साझेदारी के विकास में मदद करेगा। व्याकपार और निवेश प्रोत्सावहन के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनाने तथा दोनों देशों के व्याऔपारियों की एक-दूसरे देश में यात्राओं में सुविधा पहुंचाने के लिए भारत और थाईलैंड ने एक-दूसरे के पात्र उद्यमियों को फास्ट ट्रैक व्यादपार वीसा सेवा प्रदान करने पर सहमति व्यरक्तम की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक-दूसरे देश के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के लिए एक संस्थागत व्य्वस्थार की आवश्युकता रेखांकित की। थाईलैंड-भारत मुक्ते व्या-पार वार्ताओं को व्यापक एवं संतुलित मुकाम पर पहुंचाने का संकल्पक दोहराया। दोनों देशों ने नवंबर 2012 में इस बारे में नई दिल्लीन में हुई बातचीत के बाद इस दिशा में हुई प्रगति पर संतोष व्यतक्तल किया। दोनों देशों ने भारत और आसियान के बीच व्यारपक आर्थिक सहयोग समझौते के बृहत फ्रेमवर्क के तहत सेवाओं के व्या पार और निवेश संबधी भारत-आसियान समझौते की बातचीत सफल होने का स्वा गत किया। उन्होंतने इस बात पर भी सहतमति व्यवक्तह की कि बिमस्टेक मुक्ता व्या पार समझौता (एफटीए) इस क्षेत्र के लिए लाभदायक होगा और उम्मीरद जाहिर की कि बीमस्टेीक सदस्यम इसे अंतिम रूप देने के लिए बातचीत की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करेंगे।
दोनों देशों ने क्षेत्रीय सहयोग के जरिए संचार सुविधा बढ़ाने की आवश्यरकता पर बल दिया। इसके लिए भारत और थाईलैंड के बीच सड़क और जहाजरानी ढांचे के विकास की आवश्यहकता पर विचार किया गया। उन्होंदने संचार और बुनियादी ढांचे के बारे में थाईलैंड-भारत संयुक्ता कार्यदल के गठन का स्वायगत किया। दोनों नेताओं ने सितंबर 2012 में हुई कार्यदल की पहली बैठक के नतीजों को उपयोगी बताया, जिसमें दावेई डीप सी पोर्ट और विशेष आर्थिक क्षेत्र परियोजनाओं में सहयोग की संभावनाएं भी शामिल हैं। दोनों नेताओं ने भारत-म्यांरमां-थाईलैंड त्रि-पक्षीय राजमार्ग परियोजना को महत्वेपूर्ण बताया क्योंकि इससे मेकांक उप-क्षेत्र और भारत के बीच संचार संपर्क में जबरदस्ती इजाफा होगा। उन्होंयने इस बात पर भी ध्या न दिया कि सितंबर 2012 में त्रिपक्षीय राजमार्ग से संबंधित संयुक्तष कार्यदल की बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि 2016 तक त्रिपक्षीय सड़क सम्पयर्क का निर्माण कार्य पूरा करने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे। इस सिलसिले में भारतीय पक्ष ने थाईलैंड के इस प्रस्तांव का स्वा गत किया कि वह जून-जुलाई 2013 में त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना से संबंधित भारत-म्यांकमां-थाईलैंड संयुक्ता कार्य दल और संचार से संबधित थाईलैंड-भारत संयुक्तं कार्यदल की बैठकों की मेजबानी करेगा।
थाईलैंड ने परिवहन से संबंधी तीसरी भारत-म्यांमां-थाईलैंड मंत्री स्तयरीय बैठक की मेजबानी करने का प्रस्तांव किया। इसका उद्देश्यय क्षेतीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने मेंत्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना का अधिकतम लाभ सुनिश्चित करना है। थाइलैंड ने भारतीय पक्ष को इस बात से अवगत कराया कि दक्षिणी म्यांमां में दावेई विशेष आर्थिक क्षेत्र के विकास संबंधी परियोजना के निर्माण में थाइलैंड और म्यांनमां ने कितनी प्रगति की है, जिसके चालू हो जाने पर क्षेत्रीय संचार व्यमस्था् मजबूत होगी और क्षेत्र में व्या,पार के अवसरों में वृद्धि होगी। दोनों ने इस बात पर संतोष व्यथक्तत किया कि भारत और थाइलैंड के बीच विमान संपर्क का निरंतर विकास हुआ है और विमान सेवाओं में इजाफा हुआ है। रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में थाइलैंड और भारत की सशस्त्रा सेनाओं के बीच घनिष्ठच और नियमित विचार-विमर्श और दिसंबर 2012 में थाइलैंड के रक्षा मंत्री की भारत यात्रा, फरवरी 2013 में भारत-थाईलैंड रक्षा वार्ता और भारतीय नो-सेना तथा थाईलैंड की शाही सेना द्वारा नियमित रूप से समन्वित गश्ता लगाए जाने जैसी गतिविधियों की सराहना की।
थाईलैंड ने भारत के रक्षा उद्योग में रुचि प्रदर्शित की, जिसका उत्पादन प्रतिस्प र्धी है और प्रौद्योगिकी अत्याधुनिक है। उन्होंकने सुरक्षा सहयोग के बारे में संयुक्तप कार्यदल के जरिए सहयोग मजबूत किए जाने का भी स्वा्गत किया। सुरक्षा सहयोग के बारे में भारत-थाईलैंड संयुक्तत कार्यदल की 7वीं बैठक जुलाई 2012 में हुई थी, जिसमें इस बात पर सहमेति हुई थी कि संयुक्तष कार्यदल अंतिम रूप दिए गए पांच वर्षीय कार्यक्रम को तेजी से लागू करे। इसकी प्रगति पर संयुक्तो कार्यदल की अगली बैठक में समीक्षा की जायेगी जो भारत में होगी। दोनों ने द्विपक्षीय पर्त्यंपण संधि पर हस्ता्क्ष्र किए जाने का स्वागत किया, जो राष्ट्री य हितों के खिलाफ काम करने वाले तत्वोंक से निपटने में एक कानूनी प्रदान करती है। दोनों नेताओं ने आतंकवाद, सुनियोजित अपराधों, नशीले पदार्थों की तस्कंरी, जाली मुद्रा और मानव तस्कसरी से निपटने में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने का संकल्पत दोहराया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग के महत्वे को स्वी कार किया गया। दोनों सरकारों के वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विषयक संगठनों के बीच संबधों को व्या पक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा और कौशल का आदान-प्रदान किया जा रहा है।
विभिन्नप सांस्कृलतिक आदान-प्रदानों को बढ़ावा देते हुए सांस्क़्तिक और ऐतिहासिक संबंध मजबूत करने पर सहमति व्यौक्तब की गई। शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग का महत्वज समझते हुए सभी स्तारों पर अधिक संख्याक मेंविद्यार्थियों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्तय की गई। दानों प्रधानमंत्रियों ने महसूस किया कि दोनों देशों के बीच संस्थाखगत संपर्क का भली-भांति विकास हो रहा है। उन्होंनने दोनों देशों के विभिन्नत विश्व्विद्यालयों के बीच सीधे सहयोग में बढ़ोतरी और आधुनिक नालंदा विश्वीविद्यालय को उत्कृकष्टा अंतर्राष्ट्री य संस्थाहन बनाने के साझा लक्ष्यल की दिशा में हुई प्रगति पर संतोष प्रकट किया। भारत ने थाईलैंड सरकार द्वारा इस विश्वीविद्यालय की स्थाउपना निधि में 1,00,000 अमरीकी डालर का योगदान करने और थाईलैंड के निजी क्षेत्र के कुल मिलाकर 33,000 डालर के योगदान की सराहना की। थाईलैंड-भारत सांस्कृमतिक आदान-प्रदान, को प्रोत्सा हित करने का संकल्पड दोहराया। थाईलैंड ने बैंकाक में भारतीय संस्कृगति केन्द्रद की गतिविधियों का स्वागत किया, जो थाईलैंड के लोगों को भारतीय संस्कृरति को समझने में सहायता कर रहा है।
दोनों देशों ने 2012-14 की अवधि के लिए द्विपक्षीय सांस्कृहतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श किया और इस सिलसिले में थाईलैंड के राष्ट्री य संग्रहालय के सहयोग से बैंकाक में बौद्ध धर्म पर एक प्रदर्शनी आयोजित करने के कोलकाता के भारतीय संग्रहालय की पेशकश का स्वापगत किया। थाईलैंड और भारत के बीच जनता के स्तिर पर संपर्क बढ़ाना आपसी संबधों का आधार है। दोनों प्रधान मंत्रियों ने इस बात की पुष्टि की कि दोनों देश सभी प्रकार की वैध यात्रियों का स्वारगत करेंगे, जैसे पर्यटक, विद्यार्थी, कार्मिक और भिक्षुक।
दोनों देशों ने आसियान-भारत कार्यनीतिक भागीदारी और बिमस्टे्क के संदर्भ में अपनी बहुमूल्यभागीदारी और सहयोग को और मजबूत करने की इच्छा व्य्क्तकी। मेकांक-गंगा सहयोग (एमजीसी) के जरिए निचले मेकांक क्षेत्र में परियोजनाओं के विकास और क्षमता निर्माण का संकल्पे दोहराया। इस सिलसिले में दोनों नेताओं ने कंबोडिया में सिएम रीप में एमजीसी एशियन ट्रेडिशनल टेक्टाडतइल म्यूनजियम की स्थासपना का समर्थन किया। दोनों नेताओं ने स्वीडकार किया कि पूर्वी एशिया सम्मेीलन एशिया और प्रशान्तथक्षेत्र शांति, स्थिरता और खुशहाली को बढ़ावा देने में क्षेत्रीय सहयोग के एक मुक्ती, समावेशी, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण ढांचे के रूप में महत्वशपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। विभिन्न् अंतर्राष्ट्री य मंचों पर भारत और थाईलैंड के घनिष्ठ् सहयोग की सराहना की और इस बात पर सहमति व्यतक्त की कि वे आपसी हित के मामलों में संयुक्त् राष्ट्रष और अन्यस अंतर्राष्ट्री य मंचों पर सहयोग को और सुदृढ़ करेंगे।
दोनों नेताओं ने संयुक्तत राष्ट्रो और उसके प्रमुख अंगों में जारी सुधार प्रक्रिया के प्रति समर्थन दोहराया, यात्रा के दौरान इन समझौतों पर हस्तारक्षर किए गए-थाईलैंड-भारत आदान-प्रदान कार्यक्रम की स्थापना। मानचित्रण और भूस्थानिक प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के क्षेत्र में सहयोग के लिए थाईलैंड की जिओ-इंफोर्मेटिक्स् एंड स्पेकस टेक्नोरलॉजी डिवेलॅप्मेंट एजेंसी और सर्वे ऑफ इंडिया के बीच समझौता। मानचित्रण और भूस्थारनिक प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के क्षेत्र में सहयोग के लिए थाईलैंड की जिओ-इंफोर्मेटिक्से एंड स्पे्स टेक्नोओलॉजी डिवेलॅप्मेंट एजेंसी और भारत के नेशनल एटलस एंड थीमैटिक मैपिंग आर्गेनाइजेशन के बीच समझौता। मनी लांडरिंग और आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन दिए जाने के अपराधों के बारे में वित्तीमय खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान में सहयोग के लिए भारत की फानेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट और थाइलैंड के एंटी मनी लांडरिंग आर्गेनाइजेशन के बीच समझौता। थाम्मासैट विश्व्विद्यालय में हिंदी पीठ की स्थाआपना संबंधी समझौता। सजायाफ्ता व्य्क्तियों को एक दूसरे देश को सौंपने संबंधी संधि की पुष्टि संबंधी दस्ताफवेज का आदान-प्रदान। दोनों देशों ने विदेशी मंत्री स्तकर के संयुक्तआयोग की अगली बैठक इस वर्ष बाद में बैंकाक में आयोजित करने पर सहमति व्यतक्तज की।