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नए संपत्ति कानून मे संपत्ति सुरक्षा का दावा

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Thursday 06 June 2013 08:21:48 AM

नई दिल्ली। भारत सरकार का दावा है कि भू-संपत्ति (विनियमन एवं विकास) विधेयक-2013 एक महत्‍वपूर्ण कदम है, जिसके जरिए उपभोक्‍ताओं के हितों की रक्षा होगी और भू-संपत्ति के लेन-देन में निष्‍पक्षता आएगी तथा परियोजनाओं को समय से पूरा करना सुनिश्चित किया जा सकेगा। केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्री अजय माकन ने मीडिया को से कहा कि इस विधेयक में एक समान नियामक माहौल बनाने की व्‍यवस्‍था है, जिसमें विवादों का जल्‍दी से निपटारा हो पाएगा और रियल एस्‍टेट क्षेत्र का समुचित विकास संभव होगा।
संपत्ति विकास को पारदर्शी और उपभोक्‍ता हितैषी बनाने की सरकार की वचनबद्धता दोहराते हुए अजय माकन ने कहा कि 80 के दशक तक आवास और भू-संपत्ति राज्‍य के सबसे बड़े चिंता के क्षेत्र रहे हैं, उनके कोई प्रमोटर नहीं थे और इसे उद्योग का शुरूआती दौर समझा जाता है, अर्थव्‍यवस्‍था में उदारता लाने के साथ इस क्षेत्र को प्रोत्‍साहन दिया गया, जिससे प्राइवेट क्षेत्र में गृह निर्माण को बढ़ावा मिला, इसे एक बड़ी सफलता माना गया और यह क्षेत्र आज देश के सकल घरेलू उत्‍पाद में काफी ज्‍यादा योगदान कर रहा है, लेकिन हाल ही में भू-संपत्ति और आवासन विनियामक रहित हो गए हैं, जिससे उपभोक्‍ताओं को पूरी सूचना नहीं मिल पाती और निर्माताओं और विकासकर्ताओं पर कोई कारगर विनियमन न होने के कारण उन पर जवाबदेही नहीं लागू की जा पाती।
अजय माकन ने उम्‍मीद जाहिर की कि प्रस्‍तावित विधेयक उपभोक्‍ताओं में ज्‍यादा जवाबदेही सुनिश्चित करेगा और इसके कारण धोखाधड़ी और देर करने के मामलों में काफी कमी आएगी, इस विधेयक का उद्देश्‍य आम जनता में जवाबदेही और पारदर्शिता लाकर विश्‍वास बढ़ाना और भू-संपत्ति क्षेत्र में लोगों का फिर से भरोसा जमाना है, विधेयक से उम्‍मीद की जाती है कि यह कुशलता, व्‍यावसायिकता और मानकीकरण को ठीक तरीके से विकसित करेगा और नियमित बनाएगा,उम्‍मीद की जाती है कि यह विधेयक उपभोक्‍ताओं के हितों की रक्षा करेगा और स्वीकृतियों अथवा प्रक्रिया में मात्र एक चरण की वृद्धि नहीं करेगा, इसमें अनेक धाराएं हैं, जो भू-सपंत्ति परियोजनाओं के पंजीकरण और रियल एस्‍टेट एजेंटों के रियल एस्‍टेट रेगुलेटरी अथोरिटी के पास पंजीकरण से संबंधित हैं और उसके कार्यों और प्रमोटर तथा एजेंट के कर्तव्‍यों और कार्यों से संबंधित हैं, इसमें आवंटियों के अधिकारों और कर्तर्व्‍यों तथा रियल एस्‍टेट रेगुलेटरी अथोरिटी की स्‍थापना और केंद्रीय सलाहकार परिषद की स्‍थापना त‍था रियल एस्‍टेट अपीलेट ट्रिब्‍यूनल वित्‍त, खाते, लेखा परीक्षा और रिर्पोट से संबंधित प्रावधानहै।
शहरी विकास मंत्री ने रियल स्‍टेट बिल-2013 के फायदे गिनाते हुए कहा कि यह विधेयक भू-संपत्ति के सौदों को विनियमित करने का प्रस्‍ताव करता है और यह संविधान की समवर्ती सूची की प्रविष्टि 6,7 और 46 के अनुसरण में लाया गया है, जो भू-संपत्ति के हस्‍तांतरण, विलेखों और संविदाओं के पंजीकरण तथा प्रलेखन से संबंधित है, इस विधयेक के मसौदे को राज्‍य सरकारों और संबद्ध केंद्र सरकार के मंत्रालयों के साथ विस्‍तार से सलाह-मशविरा करके तैयार किया गया है और उनसे जो भी सुझाव मिले हैं, उन्‍हें इसमें शामिल कर लिया गया है, विधेयक इस क्षेत्र में मानकीकरण लाएगा, जिससे इस क्षेत्र का स्‍वस्‍थ और सही ढंग से विकास होगा और अपार्टमेंट, कॉमन एरिआ, कार्पट एरिया, एडवर्टाइजमेंट रियल एस्‍टेट प्रोजेक्‍ट, प्रस्‍पेक्‍ट्स आदि शब्‍दों की परिभाषाएं स्‍पष्‍ट हो सकेंगी। अभी तक बिक्री की पुस्तिकाओं में कार्पट एरिया की अवधारणा का उल्‍लेख किया जाता है, जिसका अर्थ स्‍पष्‍ट नहीं है और इसे सुपर एरिआ, सुपर बिल्‍ट एरिआ आदि कहकर बेचा जाता है। यह विधेयक ऐसी बातों पर रोक लगाएगा।
अजय माकन ने कहा कि दूरसंचार, बिजली, बैंकिंग, सुरक्षा, बीमा आदि जैसे अन्‍य सेक्‍टरों की तरह यह विधेयक भू-संपदा क्षेत्र में भी खास विनियमन और परिवर्तन लाएगा, जिनमें सुधारात्मक और निवारक उपाय शामिल होंगे, इससे निष्‍पादन को बल मिलेगा, जो अभी तक अन्‍य उपभोक्‍ता कानूनों के अंतर्गत नहीं मिलता, प्राधिकरण को यह अधिकार मिल जाएगा कि वह अपंजीकृत परियोजनाओं पर जेल की सज़ा सहित अन्‍य दंड दे सके, खासतौर से उन परियोजनाओं पर जो लगातार तीन वर्षों तक कानून का उल्‍लंघन करती रही हैं, अन्‍य उल्‍लंघनों के लिए भी दंड दिया जा सकेगा। इस विधयेक के जरिए रियल एस्‍टेट एजेंटों का पंजीकरण करने का प्रस्‍ताव है, जिन पर अभी तक कोई विनियामक नहीं था और अगर था भी तो उसकी कोई जिम्‍मेदारी और कार्यों का विवरण उपलब्‍ध नहीं था, इससे लेन-देन का पता लगाना और काली कमाई को सफेद बनाने संबंधी छानबीन में बाधा पड़ती थी। वित्‍त मंत्रालय के राजस्‍व विभाग की सिफारिश पर यह प्रावधान जोड़ा गया है।
इस विधेयक में प्रमोटरों के लिए यह अनिवार्य बना दिया गया है कि वे अपनी सभी परियोजनाओं को बिक्री से पहले रजिस्टर करवाएं और विकास प्राधिकरण या नगरनिगम अधिकारियों से सभी अनुमति प्राप्‍त कर लेने के बाद ही बिक्री करें। इससे क्रेता के निवेश की रक्षा की जा सकेगी। विधेयक पारदर्शिता और निष्पक्ष व्‍यापार पद्धतियों को बढ़ावा देता है, जो भू-संपदा के लेन-देन से जुड़ी हुई हैं। इसके लिए परियोजना विवरणों का प्रकटन करना होगा और संविदा संबंधी दायित्‍व बताने होंगे, जिससे क्रेता को सूचना मिल पाएगी और वह अपनी पसंद को मूर्त रूप देगा। इससे भू-संपदा लेन-देन में इस समय चल रही धन बल इस्‍तेमाल करने की प्रवृत्ति में काफी कमी आएगी। विधेयक के जरिए एक विनियामक सर्वेक्षण तंत्र स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव है, जो रियल एस्‍टेट अथॉरटी और राज्‍यों में अपीलेट ट्रिब्‍यूनल के जरिए काम करेंगे। इसका काम प्रमोटर और बायर तथा रियल एस्‍टेट एजेंटों- सभी के लिए जवाबदेही मापदंडों को लागू करना होगा। विधेयक के जरिए भू-संपत्ति क्षेत्र का विनियामक प्राधिकरण की प्रवर्तन भूमिका के जरिए विकास करना होगा, जिससे इस क्षेत्र में व्‍यावसायिकता और सुनि‍योजित विकास को बढ़ावा मिलेगा।
यह विधेयक प्रमोटरों के लिए इस बात को अनिवार्य बनाता है कि समुचित सरकार अधिसूचित निधियों के 70 प्रतिशत (या इससे कम) भाग को प्रमोटर के अलग से बैंक खाते में जमा कराए, ताकि समय पर परियोजनाएं पूरी करना सुनिश्चित किया जा सके। इससे परियोजनाओं को समय पर पूरी करने में सहायता मिलेगी और निधियों का दुरुपयोग नहीं हो पाएगा। इस विधेयक में तेजी से काम करने वाले और विशेष प्रकार की न्‍याय प्रक्रिया तंत्र को बढ़ावा मिलेगा, जिससे प्रमोटर और बायर दोनों के बीच विवाद निपटाए जा सकेंगे। इस तरह से अदालतों और उपभोक्‍ता मंचों पर भू-संपत्ति संबंधी विवादों का बोझ कम होगा। विधेयक से इस क्षेत्र में घरेलू और विदेशी निवेश बढ़ेगा, जिससे क्षेत्र में ज्‍यादा गतिविधियां संभव होंगी और सकल घरेलू उत्‍पाद में वृद्धि होगी। शहरी विकास मंत्री ने मसौदा विधेयक की और भी मुख्‍य विशेषताएं गिनाईं।
रियल एस्‍टेट परियोजना का अर्थ भवन का विकास या अपार्टमेंट्स वाले भवन, वर्तमान भवन या जिसके एक भाग को अर्पाटमेंट्स में परिवर्तित करना या कालोनी के भूखंडों या अपार्टमेंट्स का विकास, जैसी भी स्थिति हो, संपूर्ण या अर्पाटमेंट्स के कुछ भाग या भूखंडों या भवनों की बिक्री के लिए हो और उसके लिए विकास कार्य शामिल हो। अपार्टमेंट चाहे रिहायशी इकाई, फ्लैट, परिसर, सुइट, किरायदारी, इकाई या अन्‍य किसी रूप में एक या कई स्‍थानों पर स्थित अचल संपत्ति या उसका एक भाग, एक भवन या भूखंड पर, रिहायशी या उसके इरादे से हो या किसी स्‍वतंत्र अनुषंगी उपयोग के लिए हो और गैराज शामिल हो, चाहे वह प्रमोटर द्वारा आवंटी को वाहन खड़ा करने के लिए अर्पाटमेंट वाले भवन के पास हो या न हो, या जैसी भी स्थिति हो या अपार्टमेंट में घरेलू सहायक का घर हो।
रियल एस्‍टेट नियामक प्राधिकरण का काम राज्‍य अथवा संघ शासित क्षेत्र में एक या अधिक रियल एस्‍टेट नियामक प्राधिकरण या दो या अधिक राज्‍यों-केंद्र शासित क्षेत्रों के लिए निर्दिष्‍ट कार्यों रियल एस्‍टेट के लेन-देन पर निगरानी के दायित्‍वों, विभिन्‍न पक्षों के बीच विवादों के हल और दंड तथा ब्‍याज लगाने के लिए न्‍याय निर्णायक तंत्र की स्‍थापना करना। दंडात्‍मक प्रावधानों में विधेयक के प्रावधानों या प्राधिकरण या ट्रिब्‍यूनल के आदेशों का पालन नहीं करने पर परियोजना का पंजीकरण रद्द और जुर्माना शामिल है। नियम और विनियम बनाने का अधिकार विधेयक में विनिर्दिष्‍ट विषयों पर सरकार को नियम बनाने और नियामक प्राधिकरण को विनियमन बनाने का अधिकार होगा।

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