स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 24 June 2013 09:54:00 AM
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रतिनिधि डॉ नेटा मेनाब्दे ने कहा है कि भारत में टीके से पैदा होने वाले पोलियो के खिलाफ पोलियो रोकथाम के कार्यक्रम में तेजी आ गई है। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान भारत में पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया है, लेकिन चूंकि भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पोलियो-ग्रस्त देशों के पड़ोस में है, इसलिए वहां वाइल्ड पोलियो वायरस का खतरा मौजूद है।
याद रहे कि महाराष्ट्र के बीड जिले के धारूर मंडल में 11 साल के एक बच्चे को टीका लगाने के बाद पोलियो हो गया था और उसके मस्तिष्क को क्ष्ाति पहुंची थी। बच्चे को 7 मई को सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था, जहां 22 जून को उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद से टीका लगाने से पैदा होने वाले पोलियो के खिलाफ अभियान में तेजी आई। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2012 में भारत को पोलियो-ग्रस्त देशों की सूची से हटा दिया था, क्योंकि यहां एक वर्ष के दौरान वाइल्ड पोलियो वायरस का एक भी मामला सामने नहीं आया था। वर्ष 2012 के बाद इस तरह का कोई भी मामला सामने न आने के कारण भारत को अगले वर्ष पोलियो-मुक्त प्रमाणपत्र प्राप्त हो सकता है।
टीका लगाने के बाद पोलियो होना वाइल्ड पोलियो वायरस से भिन्न होता है। यह उन्हीं बच्चों में पाया जाता है, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो या जो बच्चे ऐसी आबादी में रहते हों, जहां टीकाकरण का स्तर बहुत कम हो। इस संबंध में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव केशव देसिराजू ने कहा कि टीके से पैदा होने वाले पोलियो को रोकने के लिए रणनीति बनाई गई है और बच्चों के टीकाकरण के उच्च स्तर को कायम रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकारें आम टीकाकरण अभियान में तेजी ला रहे हैं, ताकि टीके से उत्पन्न होने वाले पोलियो के खतरे को कम किया जा सके।
वर्ष 2013 में सरकार पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा चिन्हित 411, 129 उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में चार विशेष टीकाकरण सप्ताहों का आयोजन कर रही है। इन क्षेत्रों में मलिन बस्तियां, निर्माण स्थल, ईंट के भट्टे और ऐसे क्षेत्र आते हैं, जहां पर रहने वाले लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर घर बदलते रहते हैं। उपरोक्त उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में से 82,965 क्षेत्र महाराष्ट्र में आते हैं। वाइल्ड पोलियो वायरस को समाप्त करने और टीके से उत्पन्न पोलियो के फैलाव के खतरे को रोकने के लिए भारत ‘ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन इनिशियेटिव’ के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस संबंध में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के विशेषज्ञों के एक समूह ने इस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। टीके से उत्पन्न पोलियो पर अधिक जानकारी npspindia.org पर प्राप्त की जा सकती है।