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Friday 28 June 2013 08:39:24 AM
नई दिल्ली। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने शुक्रवार को महामारियों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रयोगशालाओं के नेटवर्क को स्थापित करने की योजना के अधीन 10 क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं, 30 राज्य स्तर प्रयोगशालाएं और 120 चिकित्सा महाविद्यालय स्तर प्रयोगशालाएं स्थापित करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। योजना पर 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 646.83 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। राज्य स्तर और चिकित्सा महाविद्यालय स्तर की प्रयोगशालाओं की स्थापना पर आने वाले व्यय को केंद्र और राज्य सरकार 75:25 (पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर सहित पहाड़ी राज्यों में 90:10 के अनुपात में) में वहन करेंगी। क्षेत्रीय प्रयोगशालों का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।
पूरे देश में प्रयोगशालाओं के तीन स्तर के नेटवर्क की स्थापना के लिए सरकार की प्रमुख पहल से वायरल रोगों की जल्दी और समय रहते पहचान, समय रहते वायरल बीमारियों को फैलने की भविष्यवाणी के लिए उपकरणों का विकास वर्तमान के साथ-साथ नये वायरल रोगों पर लगातार निगरानी और चौकसी रखने तथा जैव आतंक के एजेंट के रूप में इस्तेमाल किये जाने की संभावना से निपटने के लिए क्षमता स्थापित करने में बहुत मदद मिलेगी। फिलहाल एनसीडीसी, नई दिल्ली और एनआईवी, पूणे जैसे राष्ट्रीय शीर्ष संस्थान जांच करने के लिए अधिकृत हैं। इससे उन पर कार्य की अधिकता का बोझ पड़ रहा है और उनकी वास्तविक रैफरल भूमिका प्रभावित हो रही है।
क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं बीएसएल-3 आधुनिक सुविधाओं से और राज्य स्तरीय प्रयोगशालाएं बीएसएल-2 आधुनिक सुविधाओं से युक्त होंगी। चिकित्सा महाविद्यालय स्तर की प्रयोगशालाएं वायरस (इलीसा आधारित निदान) की सिरोलोजी करने के लिए उचित अवसंरचना से युक्त होंगी। सभी प्रयोगशालाएं उचित संपर्क और नेटवर्क के माध्यम से एनआईवी और एनसीडीसी जैसे शीर्ष संस्थानों के समग्र मार्ग दर्शन में कार्य करेंगी। जिन राज्यों/ संघ शासित राज्यों में फिलहाल कोई चिकित्सा महाविद्यालय नहीं है, उन्हें पड़ोसी राज्य की प्रयोगशालाओं से जोड़ दिया जाएगा।