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Monday 01 July 2013 09:51:37 AM
मुंबई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को मुंबई में पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक के जन्म शताब्दी समारोहों के समापन समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वसंतराव नाइक के नेतृत्व में महाराष्ट्र में 1965 से लेकर 1975 तक एक पार्टी की स्थायी सरकार थी और यह ध्यान देने योग्य बात है कि यह राष्ट्रीय स्तर पर काफी उथल-पुथल वाला समय था।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब नाइक, बैंक और वित्त राज्य मंत्री थे, तब उनसे उनकी पहली बार मुलाकात हुई थी, उस समय उनके साथ ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों की स्थापना करने और ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए संस्थागत ऋण उपलब्ध कराने के मुद्दे पर उनके साथ काफी विचार-विमर्श हुआ था। ग्रामीण भारत और किसानों की स्थितियों के बारे में नाइक की जानकारी से वे काफी प्रभावित हुए थे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में श्री नाइक का कार्यकाल न केवल लंबे कार्यकाल के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि उन्होंने राज्य में आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता कायम रखी थी, जबकि देश के अन्य हिस्सों में उथल-पुथल चल रही थी। नाइक एक ऐसे विशिष्ट भारत पुत्र थे, जिन्होंने न केवल महाराष्ट्र के लिए अत्यधिक योगदान किया, बल्कि देश के शेष भागों के लिए भी।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि नाइक ने क्रांतिकारी ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना की शुरूआत की थी, जो करोड़ों किसानों के लिए एक वरदान साबित हुई थी, बाद में योजना आयोग ने इसकी मंजूरी देते हुए राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू कराया, जिसे आज महात्मा गांधी मनरेगा के नाम से जाना जाता है। ‘चतुरास्र’ की पहली प्रति ग्रहण करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात से प्रसन्नता है कि इस अवसर पर नाइक के चुनिंदा भाषणों को मिलाकर एक पुस्तक का रूप दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में उनके पूरे व्यक्तित्व और महाराष्ट्र की समस्याओं के प्रति उनकी पहुंच का बेजोड़ चित्रण किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह अंक राजनीति विज्ञान के छात्रों को आधुनिक महाराष्ट्र का स्वरूप प्रदान करने में नाइक की भूमिका पर आधारित शोध करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।