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Tuesday 2 April 2024 06:04:46 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सेना कमांडरों के सम्मेलन में भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित करते हुए कहा हैकि एक अरब से भी अधिक देशवासी भारतीय सेना को सर्वाधिक भरोसेमंद और प्रेरक संगठनों में से एक मानते हैं। उन्होंने सेना कमांडरों के सम्मेलन में उपस्थित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और राष्ट्र की रक्षा-सुरक्षा को सफलतापूर्वक नई ऊंचाइयों पर ले जाने केलिए सैन्य नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के समावेश पर भी भारतीय सेना के दृष्टिकोण की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि सेना हर परिस्थिति में नागरिक प्रशासन को सहायता प्रदान करने के अतिरिक्त हमारी सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। रक्षामंत्री ने कहाकि भारतीय सेना ने सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत, चिकित्सा सहायता से लेकर देश की स्थिर आंतरिक स्थिति को बनाए रखने तक हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज की है, राष्ट्र निर्माण केसाथ समग्र राष्ट्रीय विकास में भी भारतीय सेना की भूमिका अनुकरणीय है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि विश्व की वर्तमान जटिल स्थिति सभीको प्रभावित कर रही है एवं हाइब्रिड युद्ध सहित अपरंपरागत और असीमित युद्ध भविष्य के युद्धों का हिस्सा होगा। उन्होंने कहाकि भविष्य में साइबर, सूचना, संचार, व्यापार और वित्त संघर्ष एक अविभाज्य हिस्से के रूपमें सामने आ रहे हैं, इसके लिए आवश्यक हो गया हैकि सशस्त्र बलों को योजना निर्धारण और रणनीति गठन के समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। उत्तरी सीमाओं पर वर्तमान स्थिति पर रक्षामंत्री ने पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए कहाकि हमारे सैनिक दृढ़ हैं, शांतिपूर्ण समाधान केलिए चल रही वार्ता जारी रहेगी, विघटन और डी-एस्केलेशन आगे का रास्ता है। रक्षामंत्री ने सीमा सड़क संगठन के प्रयास सराहे, जिसके कारण कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं में सड़क संचार में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। रक्षामंत्री ने पश्चिमी सीमाओं पर स्थिति का उल्लेख करते हुए सीमापार आतंकवाद से निपटने केलिए भारतीय सेना की प्रतिक्रियाओं की प्रशंसा की और कहाकि हालांकि दुश्मन द्वारा छद्म युद्ध जारी है। रक्षामंत्री ने कहाकि मैं जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल/ पुलिस बलों और सेना केबीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना करता हूं, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में समन्वित अभियान, क्षेत्र में स्थिरता बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इसे जारी रखना चाहिए।
रक्षामंत्री ने परिचालन तैयारियों और क्षमताओं के उच्च मानकों केलिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने कहाकि वे अग्रिम क्षेत्रों की अपनी यात्राओं के दौरान इन उच्च मानकों का सदा अनुभव करते आ रहे हैं। उन्होंने मातृभूमि की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले जाबाजों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने विदेशी सेनाओं केसाथ स्थायी सहयोगात्मक संबंध बनाकर हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को बढ़ावा देने केलिए सैन्य कूटनीति में सेना के महत्वपूर्ण योगदान सराहे। रक्षामंत्री ने जीवन के हर क्षेत्र में हो रही तकनीकी प्रगति पर जोर दिया और उन्हें उपयुक्त रूपसे शामिल करने केलिए सशस्त्र बलों की प्रशंसा की। उन्होंने प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों सहित नागरिक उद्योगों के सहयोग से विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को विकसित करने केलिए सेना के प्रयासों की सराहना की और इस तरह स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण या आत्मनिर्भरता के उद्देश्य की ओर प्रगति की। उन्होंने कहाकि उभरती प्रौद्योगिकियों केसाथ सशस्त्र बलों का एक नियमित इंटरफेस जरूरी है। उन्होंने कहाकि सरकार युद्ध हताहतों की सभी श्रेणियों के दिग्गजों और परिजनों के कल्याण केलिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और राष्ट्र बहादुर सैनिकों एवं उनके परिजनों के बलिदानों का ऋणी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा आधारभूत अवसंरचना और सशस्त्र बल आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दों पर हमेशा ऐसे मंच पर चर्चा की जानी चाहिए, सशस्त्र बलों को भविष्य केलिए तैयार करने केलिए जबभी आवश्यक हो सैद्धांतिक परिवर्तन किए जाने चाहिएं। उन्होंने कहाकि ऐसे मंच पर वरिष्ठ नेतृत्व की सिफारिशों और सुझावों पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो समीक्षा एवं संशोधन केसाथ एक तार्किक निष्कर्ष पर ले जाया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि सरकार सुधारों और क्षमता आधुनिकीकरण के मार्ग पर सेना को आगे बढ़ने में मदद करने केलिए प्रतिबद्ध है। सेना कमांडरों का सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जो एक शीर्षस्तर का द्विवार्षिक कार्यक्रम है। इस दौरान भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व ने मौजूदा सुरक्षा परिदृश्यों, सीमाओं पर स्थिति, भीतरी इलाकों और वर्तमान सुरक्षा तंत्र केलिए चुनौतियों के सभी पहलुओं पर व्यापक रूपसे विचार-विमर्श किया। सम्मेलन में संगठनात्मक पुनर्गठन, लॉजिस्टिक्स, प्रशासन, मानव संसाधन प्रबंधन, स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण, विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को शामिल करने और विभिन्न मौजूदा वैश्विक स्थितियों के प्रभाव के आकलन से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। सीडीएस, सीओएएस, सीएनएस और सीएएस ने भी सम्मेलन को संबोधित किया, इस दौरान भारतीय सेना केलिए तकनीकी समावेश और रोडमैप से संबद्ध योजनाओं पर एक संक्षिप्त विवरण भी दिया गया।