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Friday 5 April 2024 11:32:30 AM
मुंबई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी बॉम्बे में चिकित्सा विज्ञान में अभूतपूर्व प्रगति को चिह्नित करते हुए कैंसर के इलाज केलिए भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी का शुभारंभ किया। राष्ट्रपति ने कहाकि यह कैंसर उपचार थेरेपी निस्संदेह एक बड़ा कदम है-वास्तव में भारत में स्वास्थ्य सेवा नवाचार की यात्रा में एक नया मील का पत्थर है, यह हमें उन्नत चिकित्सा देखभाल के वैश्विक मानचित्र के साथ-साथ उन देशों की विशिष्ट सूची में रखता है, जिनके पास इस सबसे नवीन प्रौद्योगिकी मंच तक पहुंच है। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें लगता हैकि इसे विदेशों में विशेषज्ञों से पहले ही उच्च प्रशंसा मिल चुकी है। उन्होंने कहाकि हमारे सामने जो कुछ है, वह अकादमिक शोध को व्यावहारिक और व्यवहार्य बनाने का एक प्रेरक उदाहरण भी है। उन्होंने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि यह कैंसर उपचार थेरेपी देशभर के प्रमुख कैंसर अस्पतालों में उपलब्ध होगी, जिससे रोगियों एवं उनके परिवारों को नई आशा मिलेगी। उन्होंने कहाकि यह किफायती कैंसर उपचार थेरेपी दुनियाभर के रोगियों केलिए उपलब्ध कराया जा सकता है, जो हमारे वसुधैव कुटुंबकम के दृष्टिकोण के अनुरूप होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि आईआईटी बॉम्बे विशेष रूपसे हमारी शिक्षा केसाथ-साथ प्रौद्योगिकी क्षेत्रों का गौरव है, नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क 2023 में इसको समग्र रूपसे चौथा और इंजीनियरिंग में तीसरा स्थान दिया गया, इसके संकाय की प्रतिष्ठा और इसके छात्रों की क्षमता उत्कृष्ट है एवं इसे सरकार 'उत्कृष्ट संस्थान' का दर्जा दे चुकी है। राष्ट्रपति ने कहाकि जब उन्हें कैंसर उपचार थेरेपी के बारेमें पता चला तो सुखद आश्चर्य हुआ, क्योंकि आईआईटी बॉम्बे न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में प्रौद्योगिकी शिक्षा के मॉडल के रूपमें प्रसिद्ध है। उन्होंने कहाकि यह आईआईटी बॉम्बे के बीते तीन दशक में अनुसंधान और विकास पर दिए गए फोकस से संभव हुआ है, आईआईटी बॉम्बे कई उत्कृष्टता केंद्र और प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटर स्थापित कर रहा है एवं एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूपमें सरकार से प्राप्त धनराशि का निवेश करके, इसने अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास सुविधाएं स्थापित की हैं, परिणामस्वरूप आईआईटी बॉम्बे ने बड़ी संख्या में बौद्धिक संपदा अधिकार भी अर्जित किए हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि भारत की पहली जीन थेरेपी की शुरूआत कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई में बड़ी सफलता है। उन्होंने कहाकि कैंसर उपचार की इस श्रृंखला का नाम सीएआर-टी सेल थेरेपी है, जो कैंसर इम्यूनोथेरेपी उपचार है, यह सुलभ और सस्ती है, इसलिए संपूर्ण मानव जाति केलिए आशा की नई किरण प्रदान करती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि यह थेरेपी अनगिनत मरीजों को नवजीवन देने में सफल होगी। राष्ट्रपति ने कहाकि सीएआर-टी सेल थेरेपी को चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति में से एक माना जाता है, यह कुछ समय से विकसित देशों में उपलब्ध है, लेकिन यह बेहद महंगी है और दुनियाभर के अधिकांश रोगियों की पहुंच से बाहर है। राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता जताईकि यह थेरेपी दुनिया की सबसे सस्ती सीएआर-टी सेल थेरेपी है एवं मेक इन इंडिया पहल आत्मनिर्भर भारत का दीप्तिमान उदाहरण है। उन्होंने कहाकि पिछले एक दशक में भारत में इस थेरेपी का विकास और अक्टूबर 2023 में इसकी मंजूरी भारतीय वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के कौशल के बारेमें बहुत कुछ कहती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को यह जानकर खुशी हुईकि भारत की पहली सीएआर-टी सेल थेरेपी उद्योग भागीदार इम्यूनोएसीटी के सहयोग से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे और टाटा मेमोरियल अस्पताल के समन्वय से विकसित की गई है। उन्होंने कहाकि यह शिक्षा-उद्योग साझेदारी का एक सराहनीय उदाहरण है, जिससे इसी तरह के कई अन्य प्रयासों को प्रेरणा मिलेगी। राष्ट्रपति ने कहाकि आईआईटी बॉम्बे न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में प्रौद्योगिकी शिक्षा के मॉडल के रूपमें विख्यात है। उन्होंने कहाकि आईआईटी बॉम्बे और अन्य समान संस्थानों के संकाय और छात्रों के ज्ञान आधार एवं कौशल केसाथ जारी तकनीकी क्रांति से देश लाभांवित होगा। राष्ट्रपति ने कहाकि सभ्यता की शुरुआत केबाद से हमने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अविश्वसनीय प्रगति की है, हालकी शताब्दियों में विज्ञान ने हमें विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज में मदद की है, पहले कई जानलेवा बीमारियां हुआ करती थीं, जिन्हें अब मिटा दिया गया है और भुला दिया गया है, हालांकि कैंसर उन जटिलताओं में से एक है, जो हमें हमारी सीमाओं की याद दिलाती है।