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Saturday 13 April 2024 02:36:49 PM
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव-2024 में पहलीबार एक पथ प्रदर्शक पहल करते हुए बुजुर्गों और दिव्यांगों केलिए घर पर मतदान की सुविधा प्रदान की है, जिसमें 85 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता और 40 प्रतिशत बेंचमार्क दिव्यांगता वाले दिव्यांगजन घर से मतदान कर सकेंगे। इन श्रेणियों के मतदाताओं ने पहले और दूसरे चरण के मतदान केलिए अपना वोट डालना भी शुरू कर दिया है। यह पहल चुनावी प्रक्रिया की समावेशिता एवं मतदाता तक पहुंच सुनिश्चित करने, ज्यादा से ज्यादा मतदान करने और लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करने की दिशा में अभिनव और एक महत्वपूर्ण प्रगति है। देशभर में 81 लाख से अधिक 85+ वृद्ध मतदाता और 90 लाख से अधिक दिव्यांग मतदाता पंजीकृत हैं।
निर्वाचन आयोग की बुजुर्गों और दिव्यांगों को घर पर मतदान की सुविधा देकर उनके महत्व और सम्मान की अभिव्यक्ति है। उम्मीद व्यक्त की गई हैकि इस पहल से लोगों को उनके दैनिक जीवन में ऐसे दायित्वों के प्रति प्रोत्साहन मिलेगा। पहले चरण के मतदान में घर पर मतदान की सुविधा का लाभ उठाने वाले मतदाताओं ने भारत निर्वाचन आयोग की इस पहल केलिए आभार और संतोष व्यक्त किया है। इसमें मतदान कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों के पूरे दल की भागीदारी से घर से मतदान होगा और मतदान की गोपनीयता भी रखी जाएगी। माना जा रहा हैकि ईसीआई ने अधिक मतदान, न्यायसंगत और अपना प्रतिनिधि चुनने की लोकतांत्रिक सुविधा की दिशा में यह एक और निर्णायक कदम उठाया है, जहां शारीरिक सीमाओं या उम्र की परवाह किए बिना प्रत्येक नागरिक की आवाज़ सुनी जा रही है।
घरेलू मतदान का प्रावधान एक प्रगतिशील उपाय है, जिसका उद्देश्य उन मतदाताओं को सशक्त बनाना है, जो मतदान केंद्रों पर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने में बाधाओं का सामना करते हैं। विशेष रूपसे यह सुविधा दो प्रमुख जनसांख्यिकीय समूहों तक विस्तारित है: 40 प्रतिशत के बेंचमार्क के दिव्यांगता मानदंडों को पूरा करने वाले दिव्यांग व्यक्ति और 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक। मतदाताओं के इन वर्गों केलिए इस वैकल्पिक सुविधा का विस्तार करके निर्वाचन आयोग ने इस आवश्यकता को पहचाना हैकि शारीरिक अड़चनें और दिव्यांगता नागरिकों के वोट देने के अधिकार में कोई बाधा नहीं है। निर्वाचन आयोग अपने इस आदर्श वाक्य-कोई भी मतदाता न छूटे को सुनिश्चित करता है। इस सुविधा का लाभ उठाने की प्रक्रिया सरल और संपूर्ण है। चुनाव अधिसूचना के पांच दिन के भीतर पात्र मतदाताओं को फॉर्म 12डी पूरा करना होगा और रिटर्निंग अधिकारी को जमा करना होगा। दिव्यांग मतदाता अपने आवेदन केसाथ एक आधारभूत दिव्यांगता प्रमाणपत्र जमा करेंगे।
मतदान केलिए आवश्यक दस्तावेज पूरा होने पर मतदाता के निवास स्थान से फॉर्म 12डी प्राप्त करने की जिम्मेदारी बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की है। जवाबदेही और पारदर्शिता बनाए रखने केलिए उम्मीदवारों को इन मतदाताओं की एक सूची दी जाती है, यदि वे चाहें तो प्रक्रिया की निगरानी केलिए अपना एक प्रतिनिधि चुन सकते हैं। इसके बाद सुरक्षा अधिकारियों केसाथ मतदान अधिकारियों की एक समर्पित टीम मतदाताओं के वोट लेने केलिए उनके निवास पर जाती है। महत्वपूर्ण रूपसे मतदाताओं को नियोजित यात्रा के समय से पहले सूचित किया जाता है, जिससे वे सुरक्षित और आरामदायक तरीके से मतदान के अपने अधिकार का प्रयोग करने केलिए तैयार रहें। मतदान प्रक्रिया को और तेज़ करने व पहुंच सुनिश्चित करने में सुधार करने केलिए मतदाता उन दिनों के बारेमें एसएमएस के माध्यम से सूचनाएं भी प्राप्त कर सकते हैं, जब उनके घर पर मतदान की सुविधा कार्य करेगी। पारदर्शिता केलिए पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है।
निर्वाचन आयोग की यह पहल चुनावी प्रक्रिया को लोकप्रिय, लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ाने और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के ईसीआई के समर्पण पर जोर देती है। डिजिटल सूचनाओं से लेकर वीडियोग्राफरों की तैनाती तक नवीन समाधानों का समावेश पात्र व्यक्तियों केलिए एक सहज और पारदर्शी मतदान अनुभव की सुविधा प्रदान करता है। गौरतलब हैकि भारत देश 2024 के लोकसभा चुनाव केलिए तैयार हो रहा है, जो घरेलू मतदान की शुरुआत सहभागी, समावेशी और चुनावों की सुलभता को बनाए रखने की ईसीआई की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह भी उल्लेखनीय हैकि भारत निर्वाचन आयोग ने इन दस वर्ष में निर्वाचन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने केलिए और भी अनुकरणीय निर्णय लिए हैं, जिन्हें दुनिया के कई देश अपना रहे हैं। यह जगजाहिर हैकि जब भारत में कुछ राजनीतिक दल भारत निर्वाचन आयोग की प्रक्रियाओं को लांछित करते हैं, तब दुनिया के देश इस प्रक्रिया अध्ययन करने और उनको अपनाने के लिए भारत आते हैं।