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Tuesday 16 April 2024 01:08:02 PM
नागपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आयकर विभाग के अधिकारियों से आर्थिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने का आग्रह करते हुए कहा हैकि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को भरपूर लाभ मिलेगा। नागपुर में राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी में आयोजित समारोह में भारतीय राजस्व सेवा के 76वें बैच के अफसरों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने उनसे स्थानीय लोगों केलिए मुखर होने, व्यापारिक समुदाय से रूबरू होने, उनमें राष्ट्रवाद की भावना को आत्मसात करने को कहा, जिससे देश को तीन बड़े लाभ होंगे-पहला परिहार्य आयात के कारण विदेशी मुद्रा बर्बाद नहीं होगी, दूसरा युवाओं केलिए रोज़गार पैदा होगा और तीसरा देश में उद्यमिता बड़ी छलांग लगाएगी। भारत में कर प्रशासन के बढ़ते डिजिटलीकरण और पहचान रहित ई-असेसमेंट प्रणाली जैसे पारदर्शिता उपायों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि इसने कर व्यवस्था में गुमनामी की शुरुआत की है और 'ईमानदार को सम्मान' देने के अपने उद्देश्य को पूरा कर रही है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि जो समाज ईमानदारों का सम्मान करता है और बेईमानों को पुरस्कृत नहीं करता, वह शांति सद्भाव और विकास केलिए स्थिर होता है। जगदीप धनखड़ ने नकदी प्रबंधन को एक खतरा बताते हुए कहाकि प्रौद्योगिकी नकदी के अनौपचारिक प्रबंधन को भी हतोत्साहित करती है, जो समाज केलिए बेहद हानिकारक है। व्यवस्था में अभूतपूर्व पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहाकि यह आज भारत में भ्रष्टाचार केप्रति शून्य सहिष्णुता के नए मानदंड के अनुरूप है। विश्व में सबसे तेजीसे बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूपमें भारत के उदय का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि अब यह एक अलग भारत है और हम आज वैश्विक विमर्श को परिभाषित कर रहे हैं। भारत के विकास पथ पर संदेह जताने वाले कुछ व्यक्तियों का जिक्र करते हुए उन्होंने टिप्पणी कीकि बाहर और भीतर संदेह और आलोचना करने वाले लोग हैं, जो सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें मेरा संदेश हैकि वे आशा और संभावना के वातावरण का अनुभव करने केलिए अपने बुलबुले से बाहर निकलें। उन्होंने कहाकि ऐसे व्यक्तियों को उस बुलबुले से बाहर निकलने केबाद प्रबुद्ध किया जाएगा और यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो यह नागरिकों का कर्तव्य हैकि वे उनके बुलबुले को फोड़ें।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संस्थान से प्रशिक्षण पूरा करके सेवा में जानेवाले अधिकारियों को सलाह दीकि वे लोगों में यह भावना पैदा करने केलिए परामर्श और अनुनय का उपयोग करेंकि सफलता का निश्चित मार्ग कर अनुपालन और कानून का पालन करना है, जबकि इसमें शॉर्टकट एक दर्दनाक मार्ग की ओर ही ले जाएंगे। कराधान प्रणाली के संरक्षक के रूपमें भारतीय राजस्व सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने उनसे करदाताओं को जानकारी केसाथ सशक्त बनाने, पारदर्शिता के माध्यम से परस्पर विश्वास को बढ़ावा देने और अपने पेशेवर आचरण में ईमानदारी के उच्चतम मानकों को बनाए रखने केलिए कहा। सिविल सेवकों को युवाओं केलिए स्वाभाविक रोल मॉडल बताते हुए उन्होंने उनसे कहाकि उनको अपने आचरण से अनुशासन, सत्यनिष्ठा, विनम्रता, नैतिकता और प्रतिबद्धता की भावना का उदाहरण प्रस्तुत करना है, साथही उनको देशभर में युवा दिमागों केलिए प्रेरणादायक और प्रेरक भी होना है। समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड अध्यक्ष नितिन गुप्ता, प्रधान महानिदेशक प्रशिक्षण सीमांचल दास, राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी, आयकर महानिदेशक प्रशिक्षण आनंद बायवार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।