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Tuesday 16 July 2024 12:04:48 PM
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली के एक नए अध्ययन में पाया गया हैकि योगाभ्यास गठिया (रूमेटाइड अर्थराइटिस-आरए) का प्रभावशाली उपचार है, इससे गठिया के रोगियों के स्वास्थ्य में काफी अच्छा सुधार देखा गया है। गठिया एक पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी है, जो शरीर के जोड़ों में सूजन का कारण बनती है, यह जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है और इसमें दर्द होता है, जिस कारण फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क जैसे अन्य अंग प्रणालियां भी प्रभावित हो सकती हैं। परंपरागत रूपसे योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभों केलिए जाना जाता है, मगर डीएसटी समर्थित मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला एनाटॉमी विभाग और रुमेटोलॉजी विभाग एम्स नई दिल्ली के सहयोगी अध्ययन ने गठिया के रोगियों में सेलुलर और मोलेक्यूलर स्तरपर योग के प्रभावों की खोज की, जिससे पता चला हैकि यौगिक क्रियाएं गठिया में बहुत राहत प्रदान करती हैं।
गठिया के उपचार के अध्ययन में पाया गयाकि योग सेलुलर क्षति और ऑक्सीडेटिव तनाव (ओएस) को नियंत्रित करके सूजन को कम करता है। यह प्रो-और एंटी-इंफ्लेमेटरी साइटोकिंस को संतुलित करता है, एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ाता है, कोर्टिसोल और सीआरपी के स्तर को कम करता है तथा मेलाटोनिन के स्तर को बनाए रखता है। इसके जरिये सूजन और अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली चक्र का विघटन रुक जाता है। मोलेक्यूलर स्तर पर टेलोमेरेज़ एंजाइम और डीएनए में सुधार तथा कोशिका चक्र विनियमन में शामिल जीन की गतिविधि को बढ़ाकर यह कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। इसके अतिरिक्त योग माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन को बेहतर बनाता है, जो ऊर्जा चयापचय को बढ़ाकर और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके टेलोमेर एट्रिशन व डीएनए क्षति से बचाता है।
एम्स दिल्ली के एनाटॉमी विभाग के मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला में डॉ रीमा दादा और उनकी टीम ने किए अध्ययन में दर्द में कमी, जोड़ों की गतिशीलता में सुधार, चलने-फिरने की कठिनाई में कमी और योग करने वाले रोगियों केलिए जीवन की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि दर्ज की है। ये समस्त लाभ योग की प्रतिरक्षात्मक सहनशीलता और मोलेक्यूलर रेमिशन स्थापित करने की क्षमता में निहित हैं। साइंटिफिक रिपोर्ट्स-2023 में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता हैकि योग तनाव को कम करने में मदद कर सकता है, जो गठिया के लक्षणों केलिए एक ज्ञात कारण है। कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन को कम करके योग अप्रत्यक्ष रूपसे सूजन को कमकर सकता है, माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन में सुधार कर सकता है, जो ऊर्जा उत्पादन और सेलुलर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और एंडोर्फिन, मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफ़िक कारक (बीडीएनएफ), डीहाइड्रोएपियनड्रोस्टेरोन (डीएचईए), मेलाटोनिन और सिरटुइन-1 (एसआईआरटी-1) के बढ़े हुए स्तरों से को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम कर सकता है।
योगाभ्यास शारीरिक अंगों में न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देता है, इस प्रकार योग रोग निवारण रणनीतियों में सहायता करता है तथा को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम करता है। इस शोध में गठिया रोगियों केलिए पूरक चिकित्सा के रूपमें योग की क्षमता का प्रमाण मिलता है। योग न केवल दर्द और जकड़न जैसे लक्षणों को कम कर सकता है, बल्कि रोग नियंत्रण और जीवन की बेहतर गुणवत्ता में भी योगदान दे सकता है। दवाओं के जैसे, योगाभ्यास के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं और यह गंभीर ऑटोइम्यून स्थितियों के प्रबंधन केलिए एक सस्ता और प्रभावी स्वाभाविक विकल्प प्रदान करता है। गौरतलब हैकि योगाभ्यास सदियों पुरानी पद्धति है जिसके करने से शरीर में मौजूद अज्ञात बीमारियों का भी उपचार हो जाता है, जिसके लिए किसी अन्य औषधि की आवश्यकता नहीं पड़ती है। शुरूआती दौर में अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति इसके प्रभाव को नहीं समझती थी, जिस कारण योगाभ्यास मनुष्य के जीवन में एक उपेक्षित चिकित्सा प्रणाली बना हुआ था, लेकिन जब इसपर शोध हुए तो यह शरीर केलिए चमत्कारिक चिकित्सा बन गया है, जिसकी देश के विख्यात चिकित्सा संस्थान एम्स के अध्ययन में भी अनेक बार पुष्टि हुई है।