स्वतंत्र आवाज़
word map

देशभक्ति ही देश के विकास का आधार-महताब

राष्ट्रपति ने डॉ हरेकृष्ण महताब की जयंती पर जारी किया डाक टिकट

'डॉ हरेकृष्ण महताब का नेतृत्व कौशल व राष्ट्रवादी विचार प्रेरणास्रोत'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 22 November 2024 12:54:06 PM

president releases postage stamp on the birth anniversary of dr harekrishna mahtab

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कल नई दिल्ली में ‘उत्कल केसरी’ डॉ हरेकृष्ण महताब के 125वें जयंती समारोह को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहाकि डॉ हरेकृष्ण महताब ने अपने राष्ट्रवादी विचारों से देशवासियों को प्रेरित किया। उन्होंने कहाकि डॉ हरेकृष्ण महताब एक दूरदर्शी नेता थे, वे जानते थेकि देशमें केवल कायिक विकास ही पर्याप्त नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जागरुकता भी जरूरी है। राष्ट्रपति ने डॉ हरेकृष्ण महताब की उपलब्धियों का बखान करते हुए कहाकि डॉ हरेकृष्ण महताब प्रख्यात लेखक थे, उन्होंने लेखन केसाथ ही ओडिशा में एक स्वस्थ, सांस्कृतिक वातावरण निर्मित किया, उन्होंने ओडिशा के कला, साहित्य और संगीत को बढ़ावा देने में विपुल योगदान दिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि ओडिशा के मुख्यमंत्री रहते डॉ हरेकृष्ण महताब के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण विकास कार्य हुए, उन्होंने महानदी पर बहुउद्देश्यीय बांध परियोजना के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राष्ट्रपति ने कहाकि हीराकुंड और कई विकास परियोजनाओं से ओडिशा बिजली उत्पादन के क्षेत्रमें देश का अग्रणी राज्य बन गया, ओडिशा विधानसभा, राज्य सचिवालय, राज्य संग्रहालय, विभिन्न अकादमियों और नंदनकानन चिड़ियाघर की स्थापना में भी डॉ हरेकृष्ण महताब का योगदान उल्लेखनीय है। उन्होंने कहाकि डॉ हरेकृष्ण महताब ने राज्य में खेलों के विकास कोभी काफी महत्व दिया, उनके मार्गदर्शन में ही कटक में बाराबती स्टेडियम का निर्माण हुआ था। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर डॉ हरेकृष्ण महताब पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि तत्कालीन बॉम्बे प्रांत के राज्यपाल के अपने कार्यकाल में डॉ हरेकृष्ण महताब ने कई लोककल्याणकारी कार्य किए, जिसके कारण उस समय के वृह्द अविभाजित बॉम्बे प्रांत के लोगों से उन्हें काफी सम्मान मिला। राष्ट्रपति ने कहाकि डॉ हरेकृष्ण महताब ने देशभक्ति को ही देश के विकास का आधार माना, उन्हें विश्वास हैकि डॉ हरेकृष्ण महताब का नेतृत्व कौशल और राष्ट्रवादी विचार हमेशा हमारे लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। गौरतलब हैकि वे वर्ष 1946 से 1950 तथा पुनः 1956 से 1961 तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे और वे ‘उत्कल केसरी’ उपनाम से भी जाने जाते हैं। जयंती समारोह में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]