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Tuesday 14 January 2025 05:30:14 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने देश को 'मौसम केप्रति तत्पर और जलवायु केप्रति स्मार्ट' राष्ट्र बनाने के लक्ष्य केसाथ 'मिशन मौसम' की शुरुआत कर दी है, जिसका उद्देश्य अत्याधुनिक मौसम निगरानी तकनीक और सिस्टम विकसित करके उच्च रिज़ॉल्यूशन वायुमंडलीय अवलोकन, अगली पीढ़ी के रडार, उपग्रहों और उच्च प्रदर्शन कंप्यूटरों को लागू करके देश को जलवायु के संदर्भ में स्मार्ट राष्ट्र बनाना है। यह मौसम और जलवायु प्रक्रियाओं की समझ को बेहतर बनाने और वायु गुणवत्ता डेटा प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित करेग, जो लंबे समय में मौसम प्रबंधन और कार्यक्रम की रणनीति बनाने में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने मौसम संबंधी जागरुकता और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन केलिए आईएमडी विज़न-2047 दस्तावेज़ भी जारी किया, जिसमें मौसम पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन शमन की योजनाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने आज भारत मंडपम नई दिल्ली में भारतीय मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस समारोह में इन पहलों की शुरुआत की। उन्होंने कहाकि आईएमडी के 150 वर्ष न केवल मौसम विभाग की यात्रा को, बल्कि भारत में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की गौरवशाली यात्रा को भी दर्शाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आईएमडी ने इन डेढ़ शताब्दियों में भारतीयों की सेवा की है और यह भारत की वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक बन गया है। उन्होंने आईएमडी की उपलब्धियों पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। उन्होंने कहाकि आईएमडी ने अपनी 150 साल की यात्रा के हिस्से के रूपमें युवाओं को जोड़ने केलिए राष्ट्रीय मौसम विज्ञान ओलंपियाड का आयोजन किया था, जिसमें हजारों छात्रों ने भाग लिया, जिससे मौसम विज्ञान में उनकी रुचि और बढ़ेगी। नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम स्थल पर लगी प्रदर्शनी में युवाओं केसाथ अपनी बातचीत को याद किया और आज इस अवसर का हिस्सा बनने वाले युवाओं को बधाई दी। उन्होंने प्रकाश डालाकि आईएमडी की स्थापना 15 जनवरी 1875 को मकर संक्रांति के बहुत करीब की गई थी, हम सभी भारत की परंपरा में मकर संक्रांति के महत्व को जानते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि एक गुजराती होने की वजह से उनका पसंदीदा त्योहार मकर संक्रांति है, मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और उत्तर की ओर जाने का प्रतीक है, जिसे उत्तरायण के रूपमें जाना जाता है। उन्होंने कहाकि यह अवधि उत्तरी गोलार्ध में सूर्य के प्रकाश में धीरे-धीरे वृद्धि को दर्शाती है, जिससे खेती की तैयारी होती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मकर संक्रांति पूरे भारत में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक विभिन्न सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों केसाथ मनाई जाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि किसी देश के वैज्ञानिक संस्थानों की प्रगति, विज्ञान केप्रति उसकी जागरुकता को दर्शाती है। उन्होंने कहाकि वैज्ञानिक संस्थानों में शोध और नवाचार नए भारत के स्वभाव का अभिन्न अंग हैं, बीते एक दशक में आईएमडी के बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है, जिसमें डॉपलर मौसम रडार, स्वचालित मौसम केंद्र, रनवे मौसम निगरानी प्रणाली और जिलावार वर्षा निगरानी केंद्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिनमें से सभीको अपग्रेड किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में मौसम विज्ञान को अंतरिक्ष और डिजिटल प्रौद्योगिकी से बहुत लाभ होता है, भारत केपास अंटार्कटिका में मैत्री तथा भारती नामक दो मौसम संबंधी वेधशालाएं हैं, पिछले साल सुपरकंप्यूटर आर्क और अरुणिका पेश किए गए थे, जिससे आईएमडी की विश्वसनीयता बढ़ी है। प्रधानमंत्री ने कहाकि विज्ञान की प्रासंगिकता न केवल नई ऊंचाइयों को छूने में है, बल्कि आम आदमी के जीवन को आसान बनाने में भी है। उन्होंने कहाकि आईएमडी ने सभी तक सटीक मौसम की जानकारी पहुंचाकर इस मानदंड को बढ़ाया है, 'सभी केलिए प्रारंभिक चेतावनी' पहल अब 90 प्रतिशत से अधिक लोगों तक पहुंच रही है। उन्होंने बतायाकि कोईभी व्यक्ति पिछले और आगामी 10 दिन की मौसम की जानकारी कभीभी प्राप्त कर सकता है, यहां तककि व्हाट्सएप पर भी पूर्वानुमान उपलब्ध है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि 'मेघदूत मोबाइल ऐप' सभी स्थानीय भाषाओं में मौसम की जानकारी प्रदान करता है। उन्होंने बतायाकि 10 साल पहले केवल 10 प्रतिशत किसान और पशुपालक मौसम संबंधी सलाह का उपयोग करते थे, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है। उन्होंने बतायाकि अब मोबाइल फोन पर बिजली गिरने की चेतावनी संभव है, पहले लाखों समुद्री मछुआरों के परिवार समुद्र में जाने पर चिंतित रहते थे, लेकिन अब आईएमडी के सहयोग से मछुआरों को समय पर चेतावनी मिल जाती है। उन्होंने कहाकि वास्तविक समय पर चेतावनी मिलने से सुरक्षा बढ़ती हैं और कृषि तथा नीली अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों को मजबूती मिलती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि किसी देश की आपदा प्रबंधन क्षमताओं केलिए मौसम विज्ञान महत्वपूर्ण है, प्राकृतिक आपदाओं के असर को कम करने केलिए मौसम विज्ञान की दक्षता को अधिकतम किया जाना चाहिए और भारत ने लगातार इस महत्व को समझा है, अब वह उन आपदाओं के प्रभावों को कम करने में सक्षम है। प्रधानमंत्री ने 1998 में कच्छ के कांडला में आए चक्रवाती तूफान और 1999 में ओडिशा में आए सुपर साइक्लोन से हुई तबाही को याद किया, जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई थी। उन्होंने बतायाकि हाल के वर्षमें कई बड़े चक्रवातों और आपदाओं के बावजूद भारत ने ज्यादातर मामलों में जानमाल के नुकसान को सफलतापूर्वक कम या खत्मकर दिया है। उन्होंने इन सफलताओं में मौसम विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका का श्रेय दिया, विज्ञान और तैयारियों की वजह से अरबों रुपये के आर्थिक नुकसान कोभी कम किया गया, जिससे अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है और निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि विज्ञान में प्रगति और उसका पूर्ण उपयोग किसीभी देश की वैश्विक छवि केलिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहाकि भारत की मौसम संबंधी प्रगति ने इसकी आपदा प्रबंधन क्षमता को मजबूत किया है, जिसका लाभ पूरी दुनिया को मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की फ्लैश फ्लड गाइडेंस प्रणाली नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका को जानकारी प्रदान करती है, भारत विश्वबंधु के रूपमें प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हमेशा दूसरे देशों की मदद केलिए सबसे आगे रहा है। उन्होंने कहाकि इससे भारत की वैश्विक छवि मजबूत हुई है और इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान केलिए आईएमडी के वैज्ञानिकों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने आईएमडी की 150वीं वर्षगांठ पर मौसम विज्ञान विशेषज्ञता के भारत के समृद्ध इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहाकि मौसम मानव विकास को प्रभावित करने वाला एक प्राथमिक कारक है और इतिहास में दुनियाभर के लोगों ने मौसम और पर्यावरण को समझने की लगातार कोशिश की है। भारत के मौसम विज्ञान विशेषज्ञता के समृद्ध इतिहास पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि पारंपरिक ज्ञान को वेदों, संहिताओं और सूर्य सिद्धांत जैसे प्राचीन ग्रंथों में प्रलेखित, परिष्कृत और गहन रूपसे अध्ययन किया गया था। उन्होंने कहाकि तमिलनाडु के संगम साहित्य और उत्तर में घाघ भद्दारी के लोक साहित्य में मौसम विज्ञान पर व्यापक जानकारी है। उन्होंने कहाकि मौसम विज्ञान को अध्ययन की एक अलग शाखा नहीं माना जाता था, बल्कि इसे खगोलीय गणनाओं, जलवायु अध्ययनों, पशु व्यवहार और सामाजिक अनुभवों के साथ जोड़ा गया था। उन्होंने आईएमडी और मौसम विज्ञान से जुड़े लोगों को उनकी 150 साल की यात्रा पर बधाई दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि पाराशर और बृहद् संहिता जैसे महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख किया, जिसमें बादलों के बनने तथा उनके प्रकारों और ग्रहों की स्थिति पर गणितीय कार्य का अध्ययन किया गया था। नरेंद्र मोदी ने आधुनिक मशीनरी के बिना प्राचीन विद्वानों के व्यापक शोध पर टिप्पणी की, उनके गहन ज्ञान और समर्पण पर जोर दिया। नरेंद्र मोदी ने सिद्ध पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने के महत्व पर जोर दिया और इस दिशामें और अधिक शोध करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने एक पुस्तक प्री-मॉडर्न कच्छी नेविगेशन टेक्निक्स एंड वॉयेज का संदर्भ दिया, जिसमें गुजरात के नाविकों के सदियों पुराने समुद्री ज्ञान का दस्तावेजीकरण किया गया है, कुछ साल पहले इस पुस्तक का लोकार्पण उन्होंने किया था। उन्होंने भारत के आदिवासी समुदायों के भीतर समृद्ध ज्ञान विरासत कोभी स्वीकार किया, जिसमें प्रकृति और पशु व्यवहार की गहरी समझ शामिल है। उन्होंने समकालीन वैज्ञानिक प्रथाओं केसाथ इस ज्ञान के अधिक अन्वेषण और एकीकरण का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि जैसे-जैसे आईएमडी के मौसम पूर्वानुमान अधिक सटीक होते जाएंगे। प्रधानमंत्री ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसमें भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं केलिए चेतावनी प्रणाली विकसित करना भी शामिल है। उन्होंने वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और आईएमडी जैसे संस्थानों को नई सफलताओं की दिशा में काम करने केलिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विश्वास जतायाकि भारत वैश्विक सेवा और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। स्थापना दिवस समारोह में पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह, विश्व मौसम विज्ञान संगठन की महासचिव प्रोफेसर सेलेस्टे साउलो भी उपस्थित थीं।