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रेडियो कार्यक्रम 'हर कंठ में भारत' का शुभारंभ

वसंत पंचमी के अवसर पर आकाशवाणी में विशेष समारोह हुआ

भारतीय शास्त्रीय संगीत के विविध स्वरूपों का प्रसारण होगा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 3 February 2025 12:32:30 PM

launch of the radio program 'india in every throat'

नई दिल्ली। आकाशवाणी दिल्ली के ब्रॉडकास्टिंग हाउस के पंडित रविशंकर संगीत स्टूडियो में वसंत पंचमी के पावन अवसर पर विशेष समारोह हुआ, जिसमें एक नई रेडियो कार्यक्रम श्रृंखला ‘हर कंठ में भारत’ का लोकार्पण किया गया। ‘हर कंठ में भारत’ को विशेष रूपसे भारतीय शास्त्रीय संगीत के विविध स्वरूपों को प्रसारित करने केलिए तैयार किया गया है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और लोकसेवा प्रसारक आकाशवाणी की संयुक्त रूपसे प्रस्तुत यह श्रृंखला 16 फरवरी 2025 तक प्रतिदिन सुबह 9:30 बजे देशभर के 21 स्टेशनों से एकसाथ प्रसारित की जाएगी, जो देश के लगभग सभी हिस्सों को कवर करेगी।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुणेश चावला, प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी, आकाशवाणी के महानिदेशक डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़, संयुक्त सचिव संस्कृति अमिता प्रसाद सरभाई और दूरदर्शन की महानिदेशक कंचन प्रसाद ने सुबह 10:30 बजे विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करके समारोह का शुभारंभ किया। मंच पर लाइव संगीत प्रदर्शन में सरस्वती वंदना, राग बसंत में गायन और सरोद पर राग देस ने स्टूडियो में मौजूद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आकाशवाणी की महानिदेशक डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने स्वागत भाषण में इसवर्ष के वसंत पंचमी के खगोलीय महत्व पर प्रकाश डाला, जो वसंत ऋतु के आगमन केसाथ सरस्वती और लक्ष्मी के दुर्लभ संगम का प्रतीक है। उन्होंने ‘हर कंठ में भारत’ की अवधारणा और प्रसारण कार्यक्रम पर चर्चा की। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि सहयोग आधारित यह प्रयास फलदायी साबित होगा। ‘हर कंठ में भारत’ श्रृंखला का अरुणेश चावला और गौरव द्विवेदी ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट केबीच डिजिटल उद्घाटन किया।
प्रसार भारती के सीईओ ने दशकों से देशभर में आकाशवाणी की शानदार ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने आशावादी दृष्टिकोण को अभिव्यक्ति देते हुए कहाकि इस तरह की रचनात्मक साझेदारी नए रास्ते खोलने में मदद कर सकती है। संस्कृति मंत्रालय के सचिव ने इस सहयोग के पीछे की दृष्टि के बारेमें विस्तार से बताया। उन्होंने संस्कृति मंत्रालय की विभिन्न पहलों की चर्चा की और एआई युग में प्रदर्शन कला के विभिन्न स्वरूपों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना है कि इस तरह की परियोजनाओं केसाथ अगली पीढ़ी को शामिल करना इस लक्ष्य की ओर एक समाधान था। उन्होंने कहाकि संस्कृति मंत्रालय इस संयुक्त प्रस्तुति को आगे बढ़ाने केलिए उत्सुक है।

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