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Thursday 25 July 2013 12:12:01 PM
नई दिल्ली। युवा मामले और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) के पुनर्गठित प्रशासनिक निकाय की एसएआई मुख्यालय में 24 जुलाई 2013 को बैठक हुई। बैठक में खेल सचिव पीके देब, एसएआई महानिदेशक जीजी थॉमसन, अंजलि चिब दुग्गल, एएस (व्यय), भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव, फिक्की के अध्यक्ष, सीआईआई के अध्यक्ष और प्रमुख खिलाड़ियों के अलावा खेल विशेषज्ञ जफर इकबाल, बाईचुंग भूटिया, कर्णम मल्लेश्वरी, अश्विनी नचप्पा, मालव श्रॉफ, बोरिया मजूमदार, विदुषपत सिंघानिया, वीरेन रसकिन्हा और मुस्तफा गौस भी उपस्थित थे। बैठक के दौरान प्रशासनिक निकाय ने कुछ खास फैसले लिए।
फैसला लिया गया कि उत्तराखंड के लैंड्सडाउन गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंटल सेंटर, आंध्र प्रदेश के सिकंदराबाद में आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स रेजीमेंटल सेंटर और महाराष्ट्र के नासिक में ऑर्टिलरी सेंटर में सेना की तीन नई आर्मी ब्वॉयज स्पोर्ट्स कंपनियों को बनाने के लिए मदद प्रदान की जाएगी। नए प्रशिक्षण केंद्रों के निर्माण के लिए डिजाइन, निर्माण, संचालन और हस्तांतरण (डीबीओटी) के लिए भेजे गए प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई। बैठक में ये भी फैसला लिया गया कि कोचों की भर्ती के लिए योग्यता, मापदंड और पद्धति की सिफारिश के लिए युवा मामले और खेल मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ जीएसजी आयंगर की अध्यक्षता में एक उपसमिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में बाईचुंग भूटिया, जफर इकबाल, कर्णम मल्लेश्वरी, मालव श्रॉफ, अश्विनी नचप्पा और डॉ एलएस राणावत भी शामिल होंगे। बैठक में एसएआई के महानिदेशक को यह भी निर्देश दिया गया कि वे कोचों सहित एसएआई के सभी कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) तैयार करें।
एसएआई के महानिदेशक को खेलों के प्रोत्साहन के लिए स्टेडियम के अधिकतम उपयोग पर एक योजना तैयार करने के साथ-साथ खेलों के अलावा भी स्टेडियम के उपयोग से राजस्व अर्जन करने का निर्देश दिया गया। स्टेडियम के अलावा ऐसे अन्य भवनों का ऊर्जा ऑडिट करने का भी फैसला लिया गया, जहां बिजली की खपत काफी ज्यादा है। एसएआई में तय की जाने वाली नीति पहलों पर प्राधिकरण के महानिदेशक को सलाह देने के लिए खेल क्षेत्रों से चुने गए विशेषज्ञों की एक सलाहकार समिति के गठन का भी फैसला किया गया। बैठक में ये भी फैसला लिया गया कि लेखा परीक्षा और वित्तीय सुधारों को निश्चित समय सीमा में किया जाए और संपूर्ण कार्य को कम्प्यूटरीकृत किया जाना चाहिए।