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Saturday 27 July 2013 10:28:31 AM
मास्को। भारत की आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री डॉ गिरिजा व्यास ने कहा है कि सरकार रीयल एस्टेट क्षेत्र को नीतिगत प्रोत्साहन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी। वे आज मास्को में भारतीय रीयल एस्टेट डेवलपर्स संघ (सीआरइडहएआइ) के 13वें राष्ट्रीय कनवेंशन में रीयलिटी फेवर्स दा ब्रेव-सर्वाइविंग अगेंस्ट ऑल ओड्स विषय पर मुख्य भाषण दे रही थीं। सरकार के प्रयासों में हाथ बंटाने के लिए रीयलिटी क्षेत्र को आगे आने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि इस विषय की तरह रीयलिटी क्षेत्र बहादुरी से काम करता है। उन्होंने कहा कि रीयलिटी क्षेत्र को आगे बढ़कर किफायती निर्माण और उन्नयन के लिए निवेश एवं तकनीक के जरिए सरकार के साथ भागीदारी करनी चाहिए।
डॉ व्यास ने कहा कि रीयलिटी क्षेत्र को समावेशी भारत के निर्माण में सरकार के प्रयासों में हाथ बंटाना चाहिए। उन्होंने शहरी गरीबों के लिए किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण् मिशन महत्वपूर्ण फ्लैगशिप स्कीमों में से एक है, जिसका उद्देश्य किफायती, कारगर, बराबर, जिम्मेदार और समावेशी शहरों को निर्माण करना है।
डॉ व्यास ने कहा कि हाल ही में शुरू की गई राजीव आवास योजना के तहत भारत को झुग्गी मुक्त बनाने की परिकल्पना की गई है। इसमें समावेशी एवं समान शहरों के सृजन पर बल दिया गया है जहां हर नागरिक को बुनियादी सामाजिक एवं सिविक सेवाएं सुलभ हों। इस कार्यक्रम के तहत किफायती आवास भागीदारी योजना और शहरी गरीब आवास समेकित सबिस्डी योजना चलाई जा रही है, जिसे राजीव ऋण योजना का नाम दिया गया। इसका उद्देश्य शहरी गरीबों के लिए किफायती आवास के लिए आपूर्ति एवं मांग के वास्ते प्रोत्साहन उपलब्ध कराना है। इन योजनाओं के तहत सरकार 25 लाख आवासों के निर्माण में सहायता देगी।
भारत में रीयल एस्टेट की विकास गाथा का उल्लेख करते हुए डॉ व्यास ने कहा कि निर्माण उद्योग कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 11 प्रतिशत योगदान देता है। उन्होंने कहा कि 2007-12 के दौरान आवास की कमी 2 करोड़ 48 लाख से 25 प्रतिशत घटकर 1 करोड़ 87 लाख रह गई। भारतीय निर्माण उद्योग में 3 करोड़ 20 लाख लोग कार्य कर रहे हैं और यहां कुल 2480 अरब रुपये का बाजार है। उन्होंने कहा कि भारतीय रीयलिटी क्षेत्र 2659 अरब रुपये का है। यह रोजगार के मामले में दूसरा प्रमुख क्षेत्र है।