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Saturday 3 August 2013 10:54:23 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक केंद्र प्रायोजित स्कीम के जरिए लघु वन उपजों के विकास के लिए विपणन व्यवस्था शुरू करने और उसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रारंभ करने का अनुमोदन किया है। यह परियोजना लघु वन उपज इकट्ठा करने वाले वनवासियों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगी और खासतौर से उन आदिवासी लोगों को सुरक्षा प्रदान करेगी जो अधिकांशत: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं। इसके अलावा इस स्कीम के जरिए आदिवासी लोगों को इकट्ठे किए गए लघु वन उपजों का लाभप्रद मूल्य दिलाया जाएगा। वनों से प्राप्त होने वाली सामान्य उपजों पर लगभग दस करोड़ जनसंख्या अपने भोजन, आश्रय, दवाओं और नकद आय के लिए निर्भर है।
इस स्कीम के लिए 967.28 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है, जिसमें से केंद्र सरकार 249.50 करोड़ रूपए देगी और बाकी राशि राज्यों में चालू योजना अवधि में अपने अंशदान के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना से आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र ओडीशा, राजस्थान और झारखंड को लाभ होगा। जिन 12 लघु वन उपजों को इस स्कीम के अंतर्गत लाया जा रहा है उनमें तेंदूपत्ता, बांस, करंज, महुआ के बीज, साल के पत्ते, साल के बीज, चिरोंजी, लाख, प्राकृतिक शहद, इमली और गोंद शामिल हैं। आदिवासी मामलों का मंत्रालय इस योजना के लिए नोडल एजेंसी होगा और वही इन उपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय करेगा। प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में एलान किया था कि लघु वन उपज पर निर्भर लोगों को उनके द्वारा इकट्ठे किए गए पदार्थों का लाभप्रद मूल्य दिलाने के लिए एक स्कीम शुरू की जाएगी।