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Wednesday 7 August 2013 12:36:08 PM
नई दिल्ली-नोएडा। गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश में कथित अवैध रेत खनन का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। पिछले कुछ दिनों से मीडिया में गौतम बुद्ध नगर उत्तर प्रदेश में कथित अवैध रेत खनन की चर्चा चल रही है। अवैध रेत खनन का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
सर्वोच्च न्यायालय के 27 फरवरी2012 के आदेश ( एसएलपी (सी) वर्ष 2009 के नंबर 19628-19629 जो कि दीपक कुमार इत्यादि बनाम हरियाणा राज्य तथा अन्य के अनुसार रेत सहित कुछ खनिजों के मामले में पर्यावरण संबंधी पूर्व स्वीकृति की जिम्मेदारी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने राज्य सरकार के पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण को सौंपी थी। पट्टे पर दी गई 5 हेक्टेयर क्षेत्र में लघु खनिज के खनन से पहले पर्यावरण संबंधी स्वीकृति देने के लिए उत्तरदायी राज्य के उपरोक्त प्राधिकरण (एसईआईएए) 18 मई 2012 के ओ एम नंबर एल 11011/47/2011-1ए. 11 (एम). के आदेश को जारी करने के पहले से ही 5 हेक्टेयर से 50 हेक्टेयर सहित पट्टे का क्षेत्र एसईआईएए के अंतर्गत ही था। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय 50 हेक्टेयर एवं उससे अधिक क्षेत्र में चल रहे लघु खनिजों को पर्यावरण संबंधी स्वीकृति सर्टिफिकेट देने के लिए उत्तरदायी है। किसी भी पट्टे के 50 हेक्टेयर या अधिक क्षेत्र में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से अनुमति के बिना किसी भी प्रकार का खनन नहीं किया जा सकता है।
गौतम बुद्ध नगर में कथित अवैध रेत खनन संबंधी जो खबरें समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में आती रही हैं, उनके बारे में सही जानकरी और जांच के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने एक कमेटी का गठन किया है जो कि इस प्रकार हैं- डॉ सरोज निदेशक वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, जीसी मीना, खदान उपायुक्त, आईबीएम, देहरादून कार्यालय के प्रभारी, केके गर्ग निदेशक पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ। कमेटी को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय से सचिवालय संबंधी सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा। कमेटी अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को 9 अगस्त 2013 तक सौंपेगी।