स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 13 August 2013 08:13:05 AM
नई दिल्ली। देशभर में सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत 2500 आदर्श स्कूलों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राज्यसभा में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ शशि थरूर ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी कहा कि ऐसे नए अनुमानित स्कूलों की संख्या निजी संस्थाओं की दिखाई गई रूचि पर निर्भर करती है। मंत्रालय ने देशभर में 3203 ऐसे प्रखंडों की पहचान की है, जो शैक्षणिक रूप से पिछड़े नहीं रह गए हैं।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने कहा कि इसके लिए निजी संस्थाएं पहले जमीन अधिग्रहित करेंगी और फिर स्कूल के रूप में उसका विकास और प्रबंधन करेगी। सरकार प्रत्येक छात्र के आधार पर बार-बार आने वाले खर्चे में योगदान करेगी। योजना के तहत ऐसे 2500 आदर्श स्कूलों में से प्रत्येक के लिए अधिकतम 980 छात्रों की मंजूरी दी गई है। इसके अलावा प्रत्येक प्रायोजित छात्र के लिए दी जाने वाली कुल सहयोग राशि का 25 प्रतिशत जो स्कूल में निवेश पूंजी के 10 प्रतिशत से अधिक न हो, आधारभूत संरचना के विकास के नाम पर उपलब्ध कराया जाएगा। बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक स्कूल के साथ 10 वर्ष के लिए प्रारंभिक समझौता होगा, जो आपसी समझ के आधार पर आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
सरकार ने उत्तमता के संदर्भ मानक के रूप में प्रत्येक प्रखंड में एक स्कूल की दर से 6000 आदर्श स्कूलों की स्थापना का फैसला लिया है, इनमें से 3500 स्कूलों की स्थापना शैक्षणिक रूप से पिछड़े प्रखंडों में संबंधित राज्य, केंद्र शासित प्रदेश सरकार के जरिए होगा, जबकि बाकी 2500 स्कूलों की स्थापना सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत उन प्रखंडों में किया जाएगा, जो शैक्षणिक रूप से पिछड़े नहीं रह गए हैं। इन सभी आदर्श स्कूलों की स्थापना केंद्रीय विद्यालय संगठन के मानकों के अनुरूप केंद्रीय विद्यालय के आधार पर की जाएगी।